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December 16, 2025

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मुसलाधार बारिश के बीच देव दशहरा भाठीगढ़ में देवी देवताओं की शौर्य प्रदर्शन, राजा रजवाड़े जमाने की तलवार खड़ग जमकर भांजे गए

  • शेख हसन खान, गरियाबंद 
  • भाठीगढ़ देवदशहरा का 700 वर्ष पुराना इतिहास, आदिवासी परंपरा अनुसार रैनी मार गढ़ चढाई कर मनाई गई विजयीदशमी 
  • मुसलाधार बारिश के बीच भारी उत्साह के साथ मेले मे पहुंचे हजारों लोग

गरियाबंद । गरियाबंद जिले के मैनपुर क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक देव स्थल भाठीगढ़ मे आज गुरूवार को मुसलाधार बारिश के बीच देवदशहरा का पर्व आदिवासी परंपरा अनुसार धूमधाम के साथ मनाया गया, भाठीगढ़ मे क्षेत्रभर से पहुंचे देवी देवताओं व हजारो लोगो की उपस्थिति मे विशाल शोभा यात्रा निकाल, रैनी मार, गढ़ चढाई के साथ ऐतिहासिक देव दशहरा पर्व संपन्न हुआ। इस देव दशहरा मे आदिवासी संस्कृति की अनूठी झलक देखने को मिलती है जहां क्षेत्रभर के देवी देवताओं के पहुंचने के बाद आपस मे मेल मुलाकात के पश्चात देवी देवता व हजारो लोग की भीड़ रैनी मारकर व गढ़ चढ़ाई की रश्म निभाते हुए दशहरा का पर्व मनाते है और राजा रजवाड़े जमाने के तलवार खडक बाना सांगा व अनेक अस्त्र शस्त्र भांजे जाते है। यह परंपरा 700 वर्ष से चली आ रही है और लोग इस दशहरा पर्व मे शामिल होने देवी देवताओ से आशिर्वाद लेने बडी संख्या मे भाठीगढ़ पहुंचे थे।

क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक व देवस्थल पैरी उद्गम भाठीगढ़ मे चार दिवसीय देव दशहरा पर्व पर क्षेत्र भर के हजारो लोग पहुंच, देवी देवताओ से क्षेत्र मे सुख शांति समृध्दि व खुशहाली की कामना की। ज्ञात हो कि पैरी उद्गम भाठीगढ़ छत्तीसगढ़ के प्रमुख गढ़ के रूप मे विख्यात है और अपने धार्मिक आस्थाओं के लिये पूरे प्रदेश मे मशहूर है। यहां मनाये जाना वाला चार दिवसीय देव दशहरा अपने आप मे एक अनूठा धार्मिक आयोजन है आदिवासी संस्कृति के अनुसार दशहरा पर शक्ति पूजा के रूप मे देवी देवताओ की पूजा कर सवारी निकाली गई आज विजय दशमी के दिन पहाड़ी पर स्थित क्षेत्र के प्रमुख देवी मां बम्हनीन माई के दरबार मे विशेष पूजा अर्चना के पश्चात् गाजे बाजे के साथ सभी देवी देवताओ की सवारी नेगी परिवार के घर पहुंची जहां राजा रजवाड़े जमाने के तलवार, खड़क, अस्त्र शस्त्र की पूजा अर्चना कर देवी देवता अस्त्र शस्त्र लेकर शक्ति के रूप मे नृत्य, शौर्य प्रदर्शन किये।

देर शाम को राज भर के माता जिड़ारिन देवी की सवारी हजारो लोगो की भीड़ रैली के साथ ध्वज लेकर ग्राम भाठीगढ़ की सीमा पर पहुंची जहां तलवार व लाठी कला का प्रदर्शन किया गया। ठीक इसी समय राज देवी बस्तरहीन, गादी माई व रणमौली खांड़ा देवी भी भाठीगढ़ डांग डोली गाजे बाजे के साथ पहुंची। सभी प्रमुख देवी देवताओ के भाठीगढ़ पहुंचने पर भाठीगढ़ के देवी देवताओं व हजारो श्रध्दालुओं द्वारा जोरदार स्वागत के पश्चात् मां बम्हनीन, मां दंतेश्वरी, मां काला कुंवर, मां गढ़वाली, मां भठीगढ़ीन, मां जिड़ारिन, मां बस्तरहीन, कचना धुर्वा देव व सभी प्रमुख देवी देवताओं के साथ हजारो की भीड़ तेज गति के साथ पूरे उत्साह से रैनी भांठा पहुंची और रैनी (सोनपत्ता) मारकर दशहरा पर्व मनाया गया। इस देव दशहरा को देखने क्षेत्र व प्रदेश के कोने कोने से हजारो लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी, पश्चात् उपस्थित भीड़ ने देवी देवताओं से क्षेत्र मे सुख, शांति, समृध्दि की कामना करते हुए आशीर्वाद लिये इस दौरान रावण भाठा मैदान मे विशाल मेले का आयोजन किया गया जहां विभिन्न प्रकार के दुकाने लगाई गई थी। बताया जाता है रैनी मारने के बाद सभी देवी देवता एक दूसरे से गले मिलकर दशहरा पर्व की बधाई देते है पश्चात सभी देवी देवताओं ने गढ़ चढ़ाई रस्म पूरी की। गजभारन मे क्षेत्र भर से पहुंचे सभी देवी देवता रात्रि विश्राम के पश्चात् शुक्रवार को तीसरे दिन क्षेत्र भर से पहुंचे देवी देवताओ की विशेष पूजा अर्चना के पश्चात् देवी देवताओ की दरबार जायेगी जो अपने आप मे अनूठा है जहां देवी देवता क्षेत्र के समस्याओ के संबंध मे विचार विमर्श कर क्षेत्र भर से पहुंचे लोगो को आशीर्वाद प्रदान करेंगे। सुरक्षा के लिहाज से भारी पुलिस बल तैनात किये गये थे।

इस मौके पर प्रमुख रूप से हरिश्चन्द्र नेगी, पे्रमसाय जगत, छबी दीवान, मुख्तियाज दीवान, खेदू नेगी, खेलन दीवान, आशाराम यादव, जयराम चक्रधारी, नाथुराम धु्रर्वा, डाकेश्वर नेगी, दामोदर नेगी, तुलसी नागेश, माखन दास वैष्णव, बंसत जगत, लिकेश यादव, महेन्द्र साहू, रामकृष्ण धु्रव, गेंदु यादव, महेन्द्र नेताम, पवन दीवान, लिलेश साहू, राजेश वैष्णव, लिलेश्वर चक्रधारी, राजेन्द्र नागेश, थानुराम पटेल, लोकेश्वरी नेताम, रामेश्वर पटेल, अकबर सिंह, नितेश कुमार, पारेश्वर नेगी, महेश कुमार दीवान, मंगल यादव, साकेत पटेल, मनीष पटेल , कुमारी बाई पटेल, डोमार सिंह पटेल एंव बडी संख्या में पुरे क्षेत्रभर से लोग उपस्थित थे।