बीमरी में पड़े महाप्रभुयों की राजवैद कर रहे उपचार
फुलुरी तेल सेवा से होंगे स्वस्थ
पुरी। श्रीजीउयों की महास्रान के बाद महाप्रभु जगन्नाथ अपने भाई और बहन सुभद्रा मां के साथ अणसर में हैं। परंपरा अनुसार, महाप्रभु महस्रान के बाद भगवान बीमार पड़ते हैं और इस दौरान तीनों श्रीजीउ अणसर घर में 15 दिन तक रहते हैं। यहां राज बैद महाप्रभुओं का उपचार करते हैं। उसी रीति नीति के अनुसार अब महाप्रभुओं का राजबैद उपचार कर रहे हैं।
शनिवार को एक विशेष तेल फुलुरी तेल से महाप्रभुओं की मालीश कि गयी है। इस रीति नीति को फुलुरी तेल सेवा कहते हैं। यह विश्वास है की फुलुरी तेल सेवा के बाद महाप्रभु स्वस्थ होते हैं। अणसर घर में महाप्रभु देवस्रान पुर्णिमा से लेकर नवयौवन तक रहते हैं और नवयोवन के दिन फिर से स्वस्थ होकर भक्तों को दर्शन देते हैं। महाप्रभु के उपचार के विधि सबंध में मीडिया से बात करते हुए मां सुभद्रा के बाडग्राही तथा दईतापति सेवक ने कहा कि महाप्रभु के श्रीअंग फीटा नीति के बाद उपचार नीति प्रारंभ किया जाता है। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को महाप्रभु के अणसर घर में रहने का चौथा दिन है। इस दिन महाप्रभु के शरीर में सालों से लगे चंदन, पाटडोरी, मुंह में बांधे गये कपड़ा को निकाल दिया गया है। इसे श्रीअंग फीटा नीति कहा जाता है। उसके बाद उस कपड़े को त्रयोदशी के रात में कोईली बैकुंठ में विसर्जन किया जाएगा। ओर इसे राजप्रसाद बिजे कहा जाता है। इसके बाद शनिवार से महाप्रभु के उपचार वीधि शुरू किया गया। महाप्रभु की इस विशेष मालिश तेल के लिए कइ तरह की औषधी तत्व वाले फूल, जडीबुटी से बनाये जाते हैं। यह ओषधीयां मठ और श्रीमंदिर का बागीचा कोइलि बैकुंठ से लाया जाता है। सभी को मिला कर पारपांरीक रीति नीति से यह तेल प्रस्तुत किया जाता है। यह तेल बड़ ओड़िया मठ में प्रस्तुत किया जाता है और इसकि खासीयत यह है की फु लुरी तेल को एक साल के पहले प्रस्तुत किया जाता है। इसमें केवड़ा, मल्ली, चंपा, चंदन, बेणाचर, कपूर और अन्य जड़ीबुटी का एक मिश्रण है।