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November 19, 2024

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मझवार, तुरैहा, गोंड़ की पर्यायवाची जातियों को प्रमाणपत्र दिलाये भाजपा- लौटनराम

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BJP-Loutan Ram gives certificates to castes, synonymous with Maujwar, Tuayyah, Gond

“17 अतिपछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति परिभाषित करने का मामला पोलिटिकल स्टंट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जातियों की सूची में 1950 से ही मझवार, तुरैहा, गोड़ जाति अनुसूचित जाति के रूप में सूचीबद्ध हैं। सेन्सस आॅफ इण्डिया-1961 में क्रमांक-51 पर मझवार की पर्यायवाची,वंशानुगत जाति नाम- मल्लाह, मांझी, केवट, राजगौड़, गोड़-मझवार आदि दर्ज है। इसी सेन्सस के क्रमांक-24 पर चमार, जाटव, धुसियां, झूसियां की पर्यायवाची जाटवी, मोची, कुरील, रैगर, रमदसिया, शिवदसिया, रैदासी, नीम, पिपैल, कर्दम, उतरहा, दखिनहा, दबकर, दोहरा, दोहरे आदि का उल्लेख है और इन सभी को जाटव या चमार के नाम से जाति प्रमाणपत्र निर्बाध रूप से जारी किया जाता है, लेकिन मंझवार, तुरैहा, गोड़ का प्रमाणपत्र मांगने पर मल्लाह, केवट, माझी, बिन्द, धीवर, धीमर, कहार, गोडिया,रैकवार आदि बताकर आवेदन पत्र को निरस्त कर दिया जाता है। राष्ट्रीय निषाद संघ/नेशनल एसोसिएशन आॅफ फिशरमेन के राष्ट्रीय सचिव लौटन राम निषाद ने भाजपा सरकार से मझवार, तुरैहा, गोड़ जाति का प्रमाण पत्र जारी कराने के लिए मण्डलायुक्तों,जिसलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश-पत्र जारी करने की मांग किया है।

BJP-Loutan Ram gives certificates to castes, synonymous with Maujwar, Tuayyah, Gond

उन्होंने बताया कि जिन 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने व प्रमाण पत्र निर्गत करने की चर्चा हो रही हैं,वे मझवार,तुरैहा,गोंड़,शिल्पकार व पासी की पर्यायवाची व उपजाति हैं।मांझी,मल्लाह,केवट,बिन्द आदि मझवार की,गोड़िया,कहार,रैकवार,बाथम आदि गोंड़ की,तुराहा,तुरहा, धीवर,धीमर आदि तुरैहा की,भर,राजभर आदि पासी,तड़माली व कुम्हार,प्रजापति शिल्पकार की पर्यायवाची उपजाति हैं।राज्य सरकार केंद्र को प्रस्ताव भेजकर जबतक गृह मंत्रालय से आदेश जारी नहीं कराएगी,अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र व लाभ मिलना कठिन है।
निषाद ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ सांसद रहते हुए कई बार संसद में निषाद, मल्लाह, केवट, कश्यप, बिन्द, धीवर आदि जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण देने का मुद्दा उठा चूके हैं। कसरवल काण्ड के दूसरे दिन 08 जून 2015 को आरक्षण आंदोलन का समर्थन करते हुए निषाद जातियों को अनुसूचित जाति का लाभ देने की मांग किये थे। भाजपा मछुआरा प्रकोष्ठ के गोरखपुर में आयोजित 03 जुलाई 2015 के सम्मेलन में भी इस मांग को उठाते हुए कहा था कि भाजपा निषादों के आरक्षण अधिकार व सम्मान की लड़ाई लड़ेगी । उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी ने निषाद मछुआरों को उनके अधिकारों से वंचित करने का ही काम किये हैं।
निषाद ने कहा कि मत्स्य पालन, बालू, मौरंग खनन आदि मछुआरों का परम्परागत पुश्तैनी पेशा छिन जाने से मछुआरा जातियां बेकारी व भूखमरी की स्थिति में पहुंच गई है । मछुआरों को मत्स्य पालन को कृषि के दर्जे का लाभ नहीं मिल पा रहा है। मत्स्य पालन की पट्टा प्रणाली खत्म होने से तालाबों, झीलों, जलाशयों आदि पर गैर मछुआरा माफियाओं का कब्जा हो गया हैं। योगी सरकार ने बालू, मौरंग खनन को ई-टेण्डरिंग के माध्यम से नीलामी करने से निषादों का पेशा छिन गया है। फिशरमेन विजन डाक्यूमेंटस के संकल्पों को लागू कर अपना वादा पूरा करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि भाजपा निषाद मछुआरों के साथ झूठा छलावा व वादाखिलाफी कर रही है।
निषाद ने प्रमुख सचिव समाज कल्याण विभाग द्वारा 12 जून, व 24 जून,2019 के मझवार का प्रमाण पत्र बनाने व 17 अतिपिछड़ी जातियों के आरक्षण के सम्बंध में जो  शासनादेश जारी किया गया है व  झूठा भुलावा,पोलिटिकल स्टंट व बकवास है।  कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है और न इसका कोई लाभ निषाद मछुआरा जातियों/उपजातियों को मिलने वाला है।जब तक सेन्सस-1961 के आधार पर मल्लाह,मांझी,केवट आदि को मझवार मानते हुए स्पष्ट आदेश नहीं होगा और ओबीसी की सूची से इन जातियों का विलोपन नहीं होगा,मझवार का प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा।

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