भाजपा एक एक कर छीन लिया निषाद समाज का परम्परागत पेशा-लौटनराम निषाद
1 min readमत्स्याखेट व शिकारमाही हेतु गंगा की नीलामी के विरुद्ध होगा बड़ा आंदोलन
लखनऊ।उप्र की योगी सरकार ने पहले ई-टेंडरिंग के द्वारा पुश्तैनी पेशेवर निषाद मछुआरा समाज का बालू-मौरंग खनन का परम्परागत पेशा छीना,माँ गंगा सहित प्रदेश की सभी नदियों की मत्स्याखेट व शिकारमाही हेतु नीलामी पर ठेका देने जा रही है।राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ.लौटनराम निषाद ने भाजपा सरकार पर निषाद मछुआरा समाज की रोजी-रोटी छीनने का आरोप लगाते हुए कहा कि नदियों की मत्स्याखेट व शिकारमाही हेतु नीलामी शर्मनाक है।गंगा को नदी नहीं माँ का दर्जा प्राप्त है और हिन्दू धर्म का ढोंग रचने वाली भाजपा माँ गंगा की वेश्या की तरह नीलामी कर हिन्दू धर्म की आस्था पर चोट पहुँचा रही है।
1992 में कल्याण सिंह की सरकार ने भी इसी तरह का तुगलकी फरमान जारी किया था जिसके विरुद्ध ग़ाज़ीपुर, बलिया,आज़मगढ़, वाराणसी,मिर्ज़ापुर,इलाहबाद, जौनपुर में राष्ट्रीय निषाद संघ द्वारा आंदोलन छेड़ा गया था और कल्याण सिंह को गंगा आदि नदियों की नीलामी का शासनादेश वापस लेना पड़ा था।उक्त जनपदों में मत्स्याखेट व शिकारमाही हेतु कोई भी नदी नीलाम नहीं होती है।उत्तर प्रदेश सरकार ने शासनादेश संख्या-1/2019/33/एक-2-2019-19(रिट)/2018 दिनांक-10 जनवरी,2019 के द्वारा नदियों की नीलामी का आदेश जिलाधिकारियों को दिया है।उन्होंने भाजपा सरकार के उक्त निर्णय को परम्परागत पेशेवर निषाद मछुआरा जातियों का विरोधी बताते हुए प्रदेश सरकार से इस निर्णय को वापस लेने की मांग करते हुए चेतावनी दिया है कि सरकार ने अपना तुगलकी आदेश वापस नहीं लिया तो निषाद समाज सड़कों पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेगा।
निषाद ने कहा कि निषाद समाज की देशभक्ति से चिढ़कर ब्रिटिश हुकूमत ने निषाद जातियों को 1871 में जरायमपेशी जनजाति घोषित कर जुल्म ढाया।निषाद समाज के परम्परागत पेशों को छीनकर भूखों मारने के लिए प्रीवी कौंसिल द्वारा 1878 में नॉर्दर्न इंडिया फेरिज एक्ट,नॉर्दर्न इंडिया फिशरीज एक्ट,नॉर्दर्न इंडिया माइनिंग एक्ट व नॉर्दर्न इंडिया फॉरेस्ट एक्ट बनाया था।बोलू मोरंग खनन,मत्स्याखेट व शिकारमाही, मत्स्यपालन, सिंघाड़ा खेती,नौकाफेरी,नदियों की तलहटी व कछार में खरबूज,तरबूज,सब्जी आदि की खडी निषाद जातियों का परम्परागत पेशा है। निषाद ने कहा कि बहते जलश्रोत व प्रवाहमान नदियों की नीलामी अनुचित है।गंगा एक अंतरप्रांतीय व अंतर्राष्ट्रीय नदी हैं।धार्मिक दृष्टिकोण से भी गंगा की नीलामी अनुचित है।उन्होंने कहा- “सदियों सदियों का नाता है,गंगा हमारी माता हैं।” योगी व भाजपा सरकार ने साज़िश कर आरक्षण को शिथिल कर दिया,मछुआ आवास योजना को खत्म कर निषाद मछुआ विरोधी चरित्र को उजागर कर दिया।राजनीतिक अपमान करते हुए तीसरी बार चुनाव जीते जयप्रकाश निषाद को पशुपालन व मत्स्य राज्यमंत्री बनाया। जयप्रकाश निषाद चंदौली के प्रभारी मंत्री हैं और उसी जिले के डीएम विश्वनाथ सिंह ने मत्स्याखेट व शिकारमाही हेतु गंगा नदी की नीलामी की निविदा प्रकाशित कराया है।उन्होंने जयप्रकाश निषाद से इस्तीफा की मांग करते हुए कहा है कि यदि वे सरकार से निर्णय वापस नहीं कराते हैं तो उनके आवास के घेराव के साथ निषाद समाज करो या मरो की तर्ज़ पर आंदोलन करेगा। गंगा आदि नदियों की नीलामी से इस पार उस पार के निषाद जातियों के साथ उत्तर प्रदेश व बिहार के निषादों में जातीय संघर्ष व मारकाट शुरू हो जाएगी।