छग सर्व आदिवासी समाज ने सौंपा ज्ञापन, अपने अस्तित्व के लिए निर्णायक लडाई लड़ेंगी आदिवासी समाज
- शिखादास पिथौरा, महासमुंद
- भीखम ठाकुर, मनराखन ठाकुर ने कहा कि स्थानीय मुद्दों को लेकर करेंगे जनजागृति
आज प्रदेश स्तरीय प्रस्ताव अनुरूप समस्त जिले में छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ( रुढ़ीजन्य परम्परा पर आधारित ) की 23 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश भर के जिला मुख्यालय में ज्ञापन सौंपा जाना सुनिश्चित किया गया था। इसी तारतम्य में जिला मुख्यालय महासमुंद में अपर कलेक्टर को मुख्यमंत्री छ.ग. शासन के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ में अपने संवैधानिक एवं नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा तथा ज्वलंत समस्याओं को लेकर पिछले कई वर्षों से शासन – प्रशासन को निवेदन किये , कोई सकारात्मक पहल सरकार के द्वारा नहीं होने से अपनी बात रखने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से दिनांक 19 जुलाई , 2021 को जिला / ब्लॉक स्तरीय धरना प्रदर्शन माह सितम्बर 2021 में बंद एवं चक्काजाम किये , प्रदेश स्तरीय महाबंद भी किये उसके उपरांत भी सरकार , प्रशासन एवं जिला स्तर पर भी कोई पहल नहीं किया गया , 14 मार्च 2022 को हुंकार रैली एवं विधानसभा घेराव , 32 प्रतिशत के लिए जिला , ब्लाक में धरना उपरांत संभाग स्तरीय धरना प्रदर्शन 15 नवम्बर , 2022 किया गया । आज भी इस प्रदेश के बहुसंख्यक आदिवासी समाज हताश एवं नाराज है । पूर्व में 19 फरवरी , 2018 को रावणभाठा मैदान रायपुर में सर्व आदिवासी समाज के संवैधानिक एवं विभिन्न मांगों के 21 सूत्रीय मांग पत्र पर सभी समाज प्रमुख एवं वर्तमान सरकार के अधिकतर विधायक और मंत्रियों का भी हस्ताक्षर हैं , न पूर्व के सरकार , न ही वर्तमान के सरकार द्वारा जिसमें बहुसंख्यक आदिवासी विधायक है इसके बावजूद आदिवासी समाज के किसी भी प्रावधानित संवैधानिक अधिकार , मांग एवं प्रताड़ना में कोई भी निदान नहीं हुआ है । सर्व आदिवासी समाज का शासन के प्रति नाराजगी का प्रमुख संवैधानिक एवं नैसर्गिक अधिकार तथा ज्वलंत समस्याएं निम्नानुसार है : ( 1 ) छ.ग. में आदिवासियों को 32 प्रतिशत आरक्षण सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत मिला है उसे विधिवत राज्य शासन के द्वारा संवैधानिक रूप से किया जाए एवं भविष्य में भी आदिवासियों का 32 प्रतिशत यथावत रहे । ( 2 ) जिला – सुकमा के ग्राम – सिलेगर में दोषियों पर कार्यवाही एवं निर्दोष मृतक ग्रामीणों के परिजन को उचित मुआवजा । एडसमेटा , सारकेगुड़ा , ताड़मेटला घटनाओं के न्यायिक जांच में सभी एनकाउंटर फर्जी पाया गया है दोषी अधिकारी , कर्मचारी पर तत्काल दण्डात्मक कार्यवाही एवं मृतक / प्रभावित के परिवार को उचित मुआवजा । बस्तर में नक्सल समस्या का स्थायी समाधान हेतु शासन स्तर पर पहल करे । ( 3 ) छत्तीसगढ़ प्रदेश में पेसा कानून का नियम बनाया गया है उसमें संशोधन कर ग्रामसभा को पूर्ण अधिकार दिया जाये । ( 4 ) छ.ग. में विभिन्न शासकीय पदों के पदोन्नति में आरक्षण लागू करें । शासकीय नौकरी में बैकलॉग एवं नई भर्तियों पर आरक्षण रोस्टर लागू किया जावे । नयी भर्तियों में स्थानीय ( 1932 के खतियान अनुसार ) लोगों को ही प्राथमिकता दी जाए । ( 5 ) पांचवी अनु . क्षेत्र में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भर्ती में शत – प्रतिशत आरक्षण एवं पूर्व की भांति जिला रोस्टर लागू किया जाए । ( 6 ) पांचवी अनुसूची क्षेत्र में गैर संवैधानिक रूप से बनाये गये नगर पंचायतों , नगर पालिक निगम को वापस ग्राम सभा बनाया जाये । ( 7 ) छ.ग. राज्य में समस्त वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाये जाये एवं वहां निवासरत किसानों को राजस्व ग्राम की तरह अधिकार एवं सुविधा दी जाए । सीतानदी अभ्यारण्य में प्रभावित वनग्राम / ग्राम में वनोपज संग्रहण और विक्रय का अधिकार दिया जावे । ( 8 ) मात्रात्मक त्रुटि में सुधार किया जाकर जाति प्रमाण पत्र ( सामाजिक पारस्थितिक प्रमाणीकरण पत्र ) जारी करे । फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्रकरण पर दोषियों पर शीघ्र कार्यवाही हो । ( 9 ) प्रदेश के 5 वीं अनुसूचित क्षेत्रों में ग्रामसभा की सहमति के बिना किये गये भूमि अधिग्रहण रद्द करें एवं बिना ग्रामसभा के सहमति के किसी प्रकार का कार्य न किया जाये एवं शासकीय एवं सार्वजनिक उपक्रम के अलावा किसी भी कार्य की सहमति न दी जाये । बस्तर में नगरनार विनिवेश को रोका जाये तथा हसदेव कोल ब्लाक खनन को भी रोका जाये । ( 10 ) प्रदेश में खनिज उत्खनन के लिए जमीन अधिग्रहण न की जाए आवश्यक होने पर लीज में लेकर जमीन मालिक को शेयर होल्डर बनाए जाए । गौण खनिज का पूरा अधिकार ग्राम सभा को दिया जावे । ( 11 ) पांचवी अनुसूची क्षेत्र कांकेर जिला के 14 ग्राम पंचायत में सरपंच पद को अनारक्षित किया गया है उसे पुनः आदिवासी के लिए आरक्षित किया जाये । ( 12 ) अनुसूचित जाति एवं जनजाति का आरक्षण एवं सुविधाएं जाति पर आधारित है ( आर्टिकल 16 ) अतः केन्द्र सरकार द्वारा छात्रवृत्ति योजना में आदिवासियों के लिए आय सीमा में 2.50 लाख निर्धारित है को समाप्त किया जावे । ( 13 ) आदिवासी सलाहकार परिषद का गठन नियमानुसार किया जावे , इस परिषद का अध्यक्ष आदिवासी सलाहकार परिषद के सदस्यों में से ही होना चाहिए । आदिवासी सलाहकार परिषद का एक कार्यालय होना चाहिए जहां अ.ज.जा. वर्ग के लोग अपनी समस्या एवं विचार रख सकें । आदिवासी को ही अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया जाये ।
14 ) छ.ग. प्रदेश में विधिसम्मत बसाये गए विदेशी शरणार्थियों के अलावा अवैध रूप से आदिवासी क्षेत्रों में रह रहे विदेशी घुसपैठियों जिनकी संख्या कई हजारों में है , उनका निष्पक्ष जांचकर इसे आदिवासी क्षेत्रों से बाहर भेजा जावे । ( 15 ) बस्तर संभाग में हजारों बेकसूर आदिवासियों को नक्सली या उनका सहयोगी बताकर नक्सल धारा लागू कर जेलों में बिना कारण के बन्दी बनाकर रखा गया है ऐसे निरापराध आदिवासियों को निष्पक्ष जांच कर निःशर्त जेलों से रिहाई किया जाये तथा फर्जी तरीके से मारे गए आदिवासियों के परिवारों को रू . 25 लाख मुआवजा दिया जाये । सलवा जुडूम में 600 उजड़े गांव को पुनः बसाया जाये और जो अन्य क्षेत्रों / प्रांत में गये हो उन्हें वापास लाया जाये । ( 16 ) अभ्यारण्य और टाईगर रिजर्व , बांध या सरकारी उपक्रम के नाम पर आदिवासियों को बेदखल किया जा रहा है जिसके तहत ( अ ) सीतानदी अभ्यारण्य में 32 गांव , बारनवापारा अभ्यारण्य में 6 गांव तथा उदंती अभ्यारण्य एवं अचानकमार अभ्यारण्य में अनेको गांव उजाड़े जा रहे है ।
धमतरी के गंगरेल , सॉदूर , दुधावा जैसे बांधों से विस्थापितों को मय ब्याज मुआवजा तत्काल दिया जाये
अतः जब तक इन बस्तियों के आदिवासी के परिवारों तथा उनके पालतू जानवर , नदी नाला , बोध , जंगल आदि का पुनर्वास एवं पुर्नव्यवस्थापन नहीं कर दिया जाता तब तक इन बस्तियों को न उजाड़ा जाए इसके लिए समाज विरोध करता है । ( स ) सरगुजा संभाग में प्रस्तावित समस्त अभ्यारण्य टाइगर रिजर्व के प्रस्ताव पर तत्काल रोक लगाया जावे । ( 17 ) अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण 1989 के प्रावधान होते हुए भी जमीन कब्जा मामलों पर एफ.आई.आर. दर्ज नहीं किया जाता है तथा जिला न्यायालय भी कार्यवाही करने से इंकार करते है । अतः इस पर तत्काल कार्यवाही किया जाये । ( 18 ) आदिवासी धार्मिक , पारम्परिक और सांस्कृतिक स्थलों जैसे भोरमदेव के देखरेख और सेवा अर्जी के लिए बनाये गये समिति या ट्रस्ट में आदिवासी समाज के लोगों को ही रखा जाए । अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी पारंपरिक , धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों में ट्रस्ट न बनाए जाये । ( 19 ) आदिवासियों की घटती जनसंख्या विशेषकर अति पिछड़ी जनजाति के मद्देनजर उसकी संख्या के नियंत्रण को बढावा देने वाली सरकारी योजनाओं जैसे ” परिवार नियोजन ” की अवधारणा से परे समस्त जनजातियों को वंश वृद्धि में संख्या की बाध्यता से बाहर रहने की पात्रता में छूट दिया जाये । ( 20 ) वन अधिकार कानून 2006 के तहत सभी दावेदारों को उनकी पूर्ण काबिज जमीन के व्यक्तिगत वनाधिकारों को मान्यता दी जाये । ( 21 ) आदिवासी समाज की लड़की से अन्य जाति / समाज में शादी होने पर इनके नाम की जमीन जायदाद वापस किया जाए । ( 22 ) जिला – बालोद , तह – लोहारा के ग्राम – तुयेगोंदी में ग्रामीणों की पारंपरिक आस्था की जगह जामड़ी पाठ में बाहरी आदमी के द्वारा कब्जा किया गया है । उसे तत्काल हटाया जाए एवं ग्राम – तुयेगोंदी ( जामड़ी पाठ ) में ग्रामीणों को वन अधिकार मान्यता पत्र दिया जाए । ( 23 ) आदिवासियो पर उत्पीडन जैसे – जमीन का हस्तांतरण , महिला एवं बच्चों पर अत्याचार , हत्या , जातिगत अपमान पर तत्काल कार्यवाही करे । उपरोक्त संवैधानिक अधिकार , मांग , प्रताड़ना के लिए सर्व आदिवासी समाज ( रूढ़िजन्य परम्परा पर आधारित ) लगातार ब्लॉक से लेकर राज्य स्तरीय ज्ञापन , धरना प्रदर्शन , चक्काजाम , विधानसभा घेराव किये लेकिन शासन – प्रशासन के द्वारा कोई भी पहल नहीं किया गया । सत्ता में 30 विधायक होने के बाद भी कोई निदान नहीं हुआ न ही विपक्ष के द्वारा इन मुद्दों पर पार्टी फोरम या विधानसभा में कोई ठोस पहल की गई ।
आदिवासी समाज अपने इन बातों एवं स्थानीय मुद्दों को लेकर जनजागृति , गांव – गांव एवं मोहल्ला पारा तक पहुंचायेगी और शासन – प्रशासन को अपने अस्तित्व के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ेगी।
इस दौरान जिलाध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज भीखम सिंह ठाकुर, जिलाध्यक्ष गोंड समाज मनराखन ठाकुर, धरम दीवान जिला उपाध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज,जिला सचिव एसपी ध्रुव,कार्यकारी जिलाध्यक्ष युवा प्रभाग हेमसागर बिंझवार ,श्रीमति भूमिका ध्रुव,उदयभानु ध्रुव ,तुलसी दीवान,माधव मांझी,ओंकार ध्रुव,लोकेश मांझी, पूरन शबर सहित सर्व आदिवासी समाज जन उपस्थित थे!