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November 19, 2024

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छत्तीसगढ़ का ऐतिहासिक शिव मंदिर पैरी उदगम भाठीगढ़ , शिवलिंग का रंग वर्ष में दो बार बदलती है

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  • अकाल के समय मंदिर के गर्भगृह शिवलिंग को जलाभिषेक कर भर देने से क्षेत्र में होती है झमाझम बारिश
  • माता पार्वती की पायल टुटकर पहाड़ी में जिस स्थान पर गिरा वहीं से हुआ है पैरी नदी का उदगम, जमीन सतह से लगभग एक हजार फीट पहाड़ी के बडे़ चट्टानों से निकल रहा है लगातार पानी की धार
  • शेख हसन खान, मैनपुर

मैनपुर। अभी तक आपने देश दुनिया में ऐसे कई प्राचीन मंदिरों के बारे में सुनी होगी जहां कुछ ना कुछ चमत्कारी घटनाएं होती है ऐसे में आज हम आपको छत्तीसगढ़ के एक ऐसे प्राचीन शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे। छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रमुख शिव मंदिरों में एक प्राचीन और ऐतिहासिक शिव मंदिर गरियाबद जिले के आदिवासी विकासखंड मैनपुर के पैरी उदगम भाठीगढ़ में स्थित है यहां शिवलिंग प्राकृतिक है । शिवलिंग का आकार हर वर्ष धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। वही साल में दो बार इसकी रंग भी बदलता है। माघी पुन्नी के समय शिवलिंग भूरा कलर और सावन के पवित्र महा में काला कलर दिखाएं देने लगता है। मंदिर के पुजारी माखन दास वैष्णव ने हरिभूमि को बताया भाठीगढ़ स्थित शिव मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना और काफी प्राचीन मंदिरों में एक हैै। शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग को यहां से 5 किलोमीटर दूर छुईया के जंगल से लाया गया था। पुजारी ने इसके बारे में रोचक जानकारी देते हुए बताया सैकड़ों वर्ष पहले कमार जाति की एक महिला गोपालपुर छुईया ग्राम के जंगल में वनोपज संग्रहण करने पहुंची थी जहां उन्हें एक छोटा सा पत्थर दिखाई दिया और वहां महिला उस पत्थर को लाने के लिए जैसा ही उठाया लेकिन कई बार प्रयास करने के बाद भी उससे पत्थर नहीं उठ पाया। उन्होंने इसके बारे में गांव में पहुंचकर जानकारी दिया। उसी रात गांव के किसी बुजुर्ग व्यक्ति को स्वप्न में भोलेनाथ ने आकर बताया कि वह मैं हूं और मुझे यहां से ले जाकर स्थापित किया जाए। ग्रामीणों ने विशेष पूजा अर्चना कर एक विशेष प्रकार के अंडी पेड़ के लकड़ी से बैल गाड़ी बनाकर उस गाड़ी में काले रंग के गाय के माध्यम से उसे लाया गया और जिस स्थान पर गाड़ी टूट कर पत्थर जमीन पर गिर गया उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया हैै। पुजारी ने आगे बताया उस समय यहां शिवलिंग का आकार काफी छोटा था। अब इसका आकार काफी बड़ा हो गया है और इस मंदिर में सभी धर्म संप्रदाय के लोग पूरे आस्था के साथ आते हैं और शिव जी सभी की मनोकामना को पूरा करते हैं। सावन के इस पवित्र माह में छत्तीसगढ़ प्रदेश के अलावा ओडिशा और महाराष्ट्र से भी जलाभिषेक और विशेष पूजा अर्चना करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। सावन के प्रथम सोमवार को यहां पूजा अर्चना करने हजारों की संख्या में प्रदेश व अन्य प्रदेशों से श्रद्धालुगढ़ पहुंचेंगे।

तहसील मुख्यालय मैनपुर से महज 03 किमी की दूरी पर स्थित पैरी उद्गम स्थल भाठीगढ़ है यहां घने जंगल व कई मनोरम दृश्य के साथ विशाल पहाड़ी है और इस पहाड़ी से पैरी नदी का जन्म हुआ है। जमीन सतह से लगभग एक हजार फीट की उंचाई पहाड़ी के उपर बड़े बड़े चट्टानों के बीच से पैरी नदी का उद्गम स्थल है जहां मंदिर का निर्माण किया गया है और इस उद्गम स्थल में जल कुंड बना हुआ है जहां से लगातार बारहो माह भीषण गर्मी के दिनों में भी पानी की धार बहती रहती है जिसे पैरी उद्गम स्थल के रूप मे जानते है और यह पैरी उद्गम से बहने वाली पानी की धार त्रिवेणी संगम राजिम मे मिलती है। भाठीगढ़ पैरी उद्गम मे मां बम्हनीन, मां दंतेश्वरी, मां भाठीगढीन, मां पहाडी वाली, मां कालाकुवंर, पाठदेवी सहित प्राकृतिक शिवलिंग का मंदिर है यहां भगवान गणेश और राधा कृष्ण तथा जगन्नाथ स्वामी का भी मंदिर है। आदिवासी समाज के प्रमुख देवी देवताओं का मंदिर और पूजनीय स्थल भाठीगढ़ में है। इस संबंध मे चर्चा करने पर पैरी विकास समिति के अध्यक्ष एवं क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिक हेमसिंग नेगी, आशाराम यादव, नकछेड़ा राम धुर्वा, जयराम चक्रधारी, माखन दास वैष्णव , खेदु नेगी ,हरिश्चन्द्र नेगी, जनपद सदस्य डाकेश्वर नेगी, सरपंच जिलेन्द्र नेगी, तुलसी नागेश , विशेश्वर सिक्का , थानू दास वैष्णव ने पैरी उदगम के संबध मे बताया कि माता पार्वती के पैरी की पायल जंहा पर टुटकर गिरा उस पत्थर से पैरी नदी का जन्म हुआ है। जमीन सतह से लगभग 1000 फीट की उंचाई पहाडी के उपर बडे पत्थरो के बीच से लगातार पानी के धार निकल रही है साथ ही वंहा तक पहुचने के लिए सीढि़यों का भी निर्माण किया जा चुका है।

  • 52 ग्रामों के प्रमुखगढ़ के रूप में जाना जाता है पैरी उदगम स्थल

पैरी उदगम स्थल भाठीगढ को 52 ग्रामों के प्रमुख गढ के रूप में जाना जाता है क्षेत्रभर के प्रमुख देवी देवताओं का यहां मंदिर और पूजा स्थल है भाठीगढ राज मे जंहा भी कोई भी धार्मिक कार्यक्रम या मडाई मेला का आयोजन किया जाता है तो भाठीगढ के इन प्रमुख देवी देवताओ को अवश्य रूप से आमंत्रित किया जाता है, पुरे क्षेत्र के 52 ग्रामो के लोगों के प्रमुख आस्था का केन्द्र भाठीगढ को माना जाता है और यहा सभी धर्मो के लोग पहुंचते है। राजा रजवाडे जमाने से यहा देवी देवताओं की विशेष पुजा अर्चना किया जा रहा है।

  • पैरी उदगम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग

क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक स्थल पैरी उद्गम को पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग लंबे समय क्षेत्र की जनता कर रहे है यहां दूर दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, विश्राम गृह, मिनी गाॅडन व अन्य सुविधा उपलब्ध करा कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना आवश्यक हो चला है। यहां पहुंचने वाले श्रध्दालुओ के लिए ठंडा पेयजल फ्रिजर व अन्य सुविधाए उपलब्ध कराई जानी चाहिए साथ ही पैरी मंदिर तक सिढियो के दोनों ओर रेलिंग की भी व्यवस्था किया जाना चाहिए पूर्व में कांग्रेस के तत्कालीन विधायक ओंकार शाह के द्वारा यहा पर सामुदायिक भवन का निर्माण करवाया गया है।

  • 25 साल पहले यहां मायावती आदमखोर शेरनी का था आतंक

पैर उदगम भाठीगढ़ पहाड़ी क्षेत्र मे आज से लगभग 25 साल पहले आदमखोर शेरनी और उसके शावक के आतंक से पूरा क्षेत्र दहल उठता था बाघ के द्वारा 17 लोगों का भक्षण किया गया था। एक शेरनी मायावती एवं उसके शावक राजा को पिंजरे मे कैद कर वन विभाग द्वारा नंदन वन रायपुर भेजा गया था तो इसी पहाड़ी में अति दूर्लभ प्रजाती के काला शेर भी वन विभाग ने पिंजरे मे कैद किया था। आज भी पैरी उदगम पहाड़ी क्षेत्र मे दूर्लभ प्रजाती के वन्यप्राणी भालू, चीता, हिरण, सांभर ,मोर,साई मुर्गी समय समय पर दिखाई देता है।

अनेक रहस्य को अपने भीतर समेटे हुए पैरी उदगम पहाड़ी क्षेत्र

पैरी उदगम स्थल भाठीगढ़ जंगल क्षेत्र अनेक रहस्य को अपने भीतर समेटे हुए हैं। यहां राजा रजवाड़े जमाने के तलवार खड़क आज भी कई जगह स्थापित है और तो और बड़े-बड़े गुफा तथा अनेक देवस्थाल, आदिवासी संस्कृति अनुसार पूजा पद्धति अपने भीतर अनेक रहस्यो को समेटे हुए नजर आते हैं।