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November 20, 2024

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजकीय पशु वनभैंसों पर लिखी गई किताब का किया विमोचन, वनमंत्री मोहम्मद अकबर भी उपस्थित रहे

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  • शेख हसन खान, गरियाबंद
  • वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु जंगली भैंसों के संरक्षण पर लिखी विशेष पुस्तक का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा किया गया विमोचन

मैनपुर। वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु जंगली भैंसों के संरक्षण पर लिखी विशेष पुस्तक का विमोचन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा वन मंत्री मोहम्मद अकबर द्वारा आज सोमवार को किया गया। ज्ञात हो कि मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र के उदंती अभ्यारण्य राजकीय पशु वनभैंसो के लिए पूरे प्रदेश में जाना पहचाना जाता है आज पुस्तक विमोचन के अवसर पर मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अतिरिक्त मुख्य सचिव सुब्रत साहू, प्रधान सचिव (वन) मनोज कुमार पिंगुआय पीसीसीएफ एवं वन बल प्रमुख संजय शुक्लाय पीसीसीएफ (वन्यजीव) पी वी नरसिंगराव एवं राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्योंके साथ साथ राज्य के कई वरिष्ठ वन अधिकारी भी उपस्थित थे। इस अवसर पर मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक नरसिंह राव ने जंगली भैंसों पर लिखी इस विशेष पुस्तक के बारे में जानकारी दी और पिछले 17 वर्षों से वन विभाग को तकनीकि सहयोग के वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया को धन्यवाद दिया।

भारत में विश्व स्तर पर लुप्तप्राय जंगली भैंसों (बुबालिस अरनी) की 80 प्रतिशत से अधिक संख्या पायी जाती है छत्तीसगढ़ में कठोर भूमि (हार्ड ग्राउंड) में रह रहे वन भैंसों की संख्या 50 से भी कम रह गयी है असम के आर्द्रभूमि में रह रहे वन भैंसों की संख्या 4000 के करीब है पिछले लगभग 17 वर्षों से डब्ल्यूटीआई छत्तीसगढ़ वन विभाग के साथ वन भैंसों के संरक्षण एवं संबर्धन पर कार्य कर रहा है उक्त पुस्तक में पिछले दो दशकों से चल रही परियोजना के विभिन्न पहलुओं के विवरण के साथ साथ संरक्षण के लक्ष्य का विस्तृत विवरण दिया गया है।
वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के उपनिदेशक एवं मध्य क्षेत्र प्रमुख डॉ. राजेंद्र मिश्रा के अनुसार “परियोजना अवधि के दौरान उदंती अभ्यारण्य में अधिकतम 11 वन भैंसे थे वन विभाग ने डब्ल्यूटीआई के तकनीकी सहयोग से वर्ष 2020 में असम के मानस राष्ट्रीय उद्यान से दो वन भैंसों (नर एवं मादा) कंजर्वेशन ब्रीडिंग के लिए बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित करने में भी सफल रहा डॉ मिश्रा ने सहयोग के लिए ओरैकल को धन्यवाद दिया। पुस्तक में बताया गया है कि उदंती के वन भैंसे असम राज्य और यहां तक कि महाराष्ट्र के जंगली भैंसों के साथ हैप्लोटाइप साझा करती हैं और इसलिए उदंती में जंगली भैंसों की आबादी को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, “उदंती-सीतानादी टाइगर रिजर्व में घटते जा रहे वन एवं घास के मैदानों के कारण जंगली भैंस की इस संख्या को बचाने में गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। लगातार तीन वर्षों के जन जागरूकता अभियान के माध्यम से, डब्ल्यूटीआई ने लगभग 4000 छात्रों, 3000 ग्रामीणों एवं 12 सार्वजनिक सेवा विभागों तक वन भैंसों के संरक्षण एवं संबर्धन का प्रचार प्रसार किया जिसका असर समाज के सभी वर्गों तक पहुंचा है।