मुख्यमंत्री जी आपकी योजना पर पलीता लगाने में जुटे हैं पिथौरा जनपद सीईओ व पंचायत इंस्पेक्टर !
1 min read- पंचायती राज अधिनियम की धज्जियां उड़ाने वाले सरपंचों पर आखिर क्यों है पिथोरा के सीईओ और पंचायत इंस्पेक्टर मेहरबान
मुख्यमंत्री जी आप के गांव नरूवा घुरवा गौगौठान मनरेगा के जिम्मेदार सरपँच चारमाह से लापतागँज मे
जनपदसीईओ पँचायत निरीक्षक सचिव के माथे मे शिकन तक नहीं ? - इस्तीफा दिया फिर वापिसी लिया..? भुमिगत रहकर आयागया जिला पँचायत ?
- जनपद के कुछ भ्रष्ट अफसर ही काफी है आपकी पँचायती राज योजनाओं को बदनाम करने के लिये
- क्या डिजिटल साईन से हो रहा फर्जीवाड़ा ?
- शिखा दास, महासमुंद पिथौरा
महासमुंद (पिथौरा) । प्रदेश का गांव-गांव में पंचायतीराज के तहत विकास की बयार बहे, गांव का किसान मजदूर आमजनों को सुगम सुलभ संसाधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ रोजगार मूलक कार्य उपलब्ध हो इसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री ऐसी-ऐसी योजनाएं लागू कर रहे जिसका डंका ना केवल प्रदेश – देश में बज रहा हैं। वहीं दूसरी और प्रदेश में महासुमंद ज़िला के पिथौरा जनपद पंचायत में तो कुछ उल्टी ही बयार बह रही है। यहां पर जनपद पंचायत के सीईओ और पंचायत इंस्पेक्टर तो मानों मुख्यमंत्री की कोशिशों की मट्टी पलीत करने पर आमादा लगते हैं हम यह बात यूं ही नहीं कर रहें आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि जनपद पंचायत पिथौरा मे पंचायत राज अधिनियम की धज्जियां कुछेक सरपंच सीईओ और पंचायत इंस्पेक्टर के सरंक्षण में बखुबी बेखौफ़ उडा रहे है, ऐसा इस कारण लिखना पड रहा है कि कभी कोई सरपंच महीनों फरार हो जाता है तो कोई गुलसट्टा जुआ मे पुलिसिया कानून मे सपडाये जाने के बावजुद ग्राम विकास को ठेंगा दिखा रहा है और ज़िम्मेदार अधिकारी हांथ में हांथ बांधे बैठे नज़र आ रहे हैं। ये तो मात्र एक बानगी है पिथौरा जनपद के समीपस्थ पंचायत चिखली व ठाकुर दियाकला की । सुदुर पंचायतों मे क्या होता होगा यह सहज अनुमान लगाया जा सकता है ।
शासन प्रशासन ने ग्राम पंचायतों के विकास के लिये लाखों करोड़ों की योजनाओं का पिटारा खोल दिया हैं ।इसमें कुछ भ्रष्ट अफसरशाही निरंकुशता की चरमसीमा को पार कर रहें तो वे कहा से अनुशासनहीन सरपंच पर अँकुश लगा पायेंगे ?
अब यह चर्चा जोर पर है कि पिथौरा जनपद सीईओ का रवैया इतना ढुलमुल क्यो है, वें आज तक जुआ गुल मे रमे रहनेवाले अनियमितता बरतनेवाले सरपंच विद्याधर पटेल व 4 माह से लापता रहनेवाले चिखली सरपंच पर अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों नहीं करते? इस संबंध में बात करने के लिए उनके मोबाइल पर संपर्क करने पर मोबाइल रिसीव करने से बचते व डरते क्यों है ?
मामला अजीबोगरीब पर गँभीर तो है क्यो कि शासन की महत्वपूर्ण वित्तीय योजनाओं सहित गांव गरीब विकास के मामले से जुड़ी हुई पंचायत का है जिसका सरपंच मार्च माह से लापता है । ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के जनकल्याणकारी व महत्वकांक्षी योजनाओं का क्रियान्वयन कैसे हो रहा होगा । मजेदार पहलू यह है कि ऐसे लापरवाह सरपंचों के खिलाफ पंचायती राज अधिनियम के तहत् कोई कार्यवाही करना भी अब तक जरूरी नहीं समझा हैं।
हम बात कर रहे हैं पिथौरा जनपद पंचायत के समीपस्थ ग्राम पंचायत चिखली के सरपंच मोहनदास की जो बिना किसी सूचना के पहले तो मार्च माह में कहीं चले जाते है। पंचायत सचिव रंकमणि प्रधान ने हमें बताया कि जब गांव और सोशल मीडिया में हल्ला हुआ तो अशिक्षित सरपंच ने लापतागंज से आकर सीधा जिला पंचायत महासमुंद पहुंच कर उपसंचालक दीप्ति साहु को इस्तीफ़ा सौंपा जिसकी कापी इस समाचार के साथ देख सकते है , फिर 17 मई को इस्तीफा वापिसी का आवेदन दिया । मजाल हैं कि अनुपस्थिति के लिये इस सरपंच पर जनपद सीईओ का कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही चला हो…क्या सरपँच के साथ मिलीभगत है .?
इस विषय मे जानकारी लेने के लिये बार-बार फ़ोन लगाने (मोबाइल रिसिविंग नहीं किये)व जनपदसीईओ व पंचायत निरीक्षक से जनपद जानें पर भी उनसे सँपर्क नहीं हो पाया ।दोनों ही मुकदर्शक व मुक है ना जाने मीडिया से क्यों बच रहें व ऐसे सरपँच सचिव को सँरक्षण क्यों दे रहे..?
जिला पंचायत डिप्टी डायरेक्टर दीप्ति साहु से जब इस प्रतिनिधि ने जानकारी चाही तो उनका कहना था कि सरपंच ने मुझे इस्तीफा दिया था और फिर इस्तीफा मई माह मे वापिस ले लिया, ऐसा पंचायत राजअधिनियम प्रारूप के तहत कर सकते हैं। अनुशासनात्मक कार्यवाही सिर्फ एसडीएम ही कर सकते है वो भी शिकायत आवेदन मिलने पर। बयान देने से बच रहे पिथौरा सीईओ व पंचायत निरीक्षक इसकी शिकायत भी इस प्रतिनिधि ने उपसँचालक जिला पंचायत से किया। वहीं करारोपण अधिकारी सुशील चौधरी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हां चिखली आश्रित ग्राम टोँगोपथरा के सरपंच मार्च से अब तक अनुपस्थिति है।जिला पंचायत मे जाकर उसने उप संचालक को इस्तीफा दिया । जब जिला पंचायत द्वारा पुर्ननिरीक्षण बयान लेने कहा गया तो फिर उसने 17 मई को इस्तीफा वापस ले लिया। करारोपण अधिकारी ने बताया कि जिला पंचायत जाकर फिर सरपंच ने पिथौरा जनपद आकर बयान दिया था कि पारिवारिक कारण से इस्तीफा दे रहा हूँ । उन्होंने ब्यान में यह स्वीकार किया कि हाँ घोर लापरवाही परिलक्षित हो रही है, सचिव ने भी सुचित नहीं किया था ।
अभी उपसरपंच कामकाज देख रहे ।
ग्रामीण व पंचगण में आक्रोश
चिखली पँचायत के सरपंच मोहनदास के अचा्नक लापता हो जाने से ग्रामीण जन के साथ पंचायत के सारे पंचों में आक्रोश है। सूत्रों के अनुसार वो अविश्वास प्रस्ताव लाकर शीघ्रता से लामबँद होकर सरपंच को बर्खास्त करने की मांग एसडीएम से करने की तैयारी में हैं।
सरकारी कार्यो के लिए भटक रहे ग्रामीण
महासमुंद जिला अंतर्गत पिथौरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत चिखली (टोंगो पथर) के सरपंच पिछले मार्च महीने से नदारद हैं । गांव के लोग कई सरकारी कार्यो के लिए सरपंच को ढूंढ रहे है। यहां तक कि जाति, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र और फौती जैसे कार्यो के लिए ग्रामीणों को भटकना पड़ रहा है। सरपंच कहां नदारद है जानने का प्रयास किया गया, जिसके बाद ग्रामीणों ने भी वहीं बताया जो पंचायत सचिव रंकमणि प्रधान ने बताया कि ग्राम पंचायत चिखली टोंगोपथरा के सरपंच के संबंध में 80 प्रतिशत गांव वालों का कहना है कि किसी महिला को लेकर भाग गया है, नदारद है. पिछले कई महीनों से कार्य में भी नही आ रहे हैं। सचिव रंकमणि ने चौँकाने वाली जानकारी दिया कि ईँटाभट्ठा इलाहाबाद से गाँव की ही महिला भी लापता है ।
( हालांकि इस बात की पुष्टि समाचार पत्र नहीं कर रहा है कि सरपंच किसी महिला को लेकर नदारद है. यह सभी जानकारी ग्राम पंचायत सचिव और ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार है) थाना में रिपोर्ट अब तक क्यों नहीं किया गया कहने पर इस प्रतिनिधि को सचिव ने गोलमाल जवाब देते हुए सारा दोष ग्रामीणो पर मढ दिया।सचिव ने बताया कि 3 जुन को सरपंच ने मोबाइल से कहा था कि वो 6जुन को आयेंगे और स्वीच आफ कर लिया । सचिव कहतें है कि जब भी मैं फ़ोन लगाता हूं मोबाइल फिर स्वीच आफ कर लेता है । बहरहाल जो भी हो पंचायती राजसुराज के होहल्ला मे एक पंचायत से सरपंच का यूं किसी को कोई जानकारी दिए बिना कहीं चले जाना, फिर इस्तीफा देना फिर वापिस लेने आनाजाना, बयान देने आना फिर सचिव को फ़ोन करना। आदि-आदि पिथौरा जनपद सीईओ अफसरशाही के ढुलमुलपन को दर्शा रहा है, तो चिखली सरपंच द्वारा पंचायती राज अधिनियम को भी ठेँगा दिखा रहा है। वहीं सचिव रंकमणि प्रधान का गैर जिम्मेदाराना रवैया भी साफ नज़र आता है क्यों उच्चाधिकारियों को सूचित करना मुनासिब नहीं समझा ? सरपंच के अनुपस्थिति में आज तक के राशि आहरण, पंचायत कार्यों का भौतिक सत्यापन स्थानीय से ना कराके बाहरी एजेंसी या टीम से करवाने से चौकाने वाले तथ्य सामने आएंगे इस बात को नाकारा नहीं जा सकता है ?