CoRoNa…विगत दो माह से CG में प्रोटोकॉल ही बदल गया
1 min readबिलासपुर
जिले में जब 26 मार्च को कोरोना संक्रमित पहला मरीज मिला था तब से लेकर बिलासपुर के कोरोना हॉटस्पॉट बनने और जुलाई तक क्वारेंटाइन सेंटरों में पॉजिटिव केस मिलने तक प्रशासन-पुलिस कीक़ मुस्तैदी दिख रही थी। मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव मिलते ही प्रशासनिक व स्वास्थ्य अधिकारी मौके पर पहुंच जाते थे। जिनके नेतृत्व में पूरा अमला मरीजों को अस्पताल ले जाने, सैनिटाइजेशन करने, क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन बनाने और कांटेक्ट ट्रेसिंग कर सैंपलिंग के कार्य में जुट जाती थी, लेकिन विगत दो माह से जब कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है तब मरीज मिलने से लेकर इलाज तक में कोविड-19 प्रोटोकॉल बदल गया।
अब मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव होने के बाद उन्हें घंटों स्वास्थ्य विभाग की टीम के आने का इंतजार करना पड़ता है। यहां तक कि देर शाम रिपोर्ट आने पर टीम अगली सुबह एंबुलेंस लेकर मरीज को लेने पहुंचती है। सैनिटाइजेशन और सैंपलिंग में भी ऐसी ही देरी होने लगी है। पहले कांटेक्ट ट्रेसिंग भी फटाफट की जाती थी, लेकिन मरीजों के परिजन से पूछकर सिर्फ औपचारिकता निभाई जाती है।
इस तरह बदल गई तैयारियां: अब प्रशासन भी कोरोना को गंभीरता से नहीं ले रहा
सर्वे…
पहले… मरीज के घर को एपीसेंटर मानते हुए चारों ओर करीब 1 किमी के दायरे के घरों में सर्वे किया जाता था। एक-एक व्यक्ति के स्वास्थ्य की जानकारी ली जाती थी।
अब… सर्वे अब बंद हो गया है। मरीज के घर से लगे घरों में ही निवासरत लोगों के स्वास्थ्य की जानकारी ली जाती है। इसके बाद के मकानों में सर्वे नहीं होता है।
सैंपलिंग
पहले… कोरोना संक्रमित मरीज के परिवार के लोगों का सैंपल लिया जाता था। संपर्क में आने वाले पड़ोसियों के अलावा लक्षण के आधार पर आसपास रहने वाले लोगों की सैंपलिंग होती थी।
अब… मरीज से क्लोज कांटेक्ट समेत हाई रिस्क और लक्षण दिखने पर ही सैंपल लिया जाता है वह भी 24 से 48 घंटे में। इसके लिए चिन्हित लोगों को बुलाया जाता है।
हॉस्पिटल
पहले…संक्रमित मरीज की जानकारी मिलते ही पहले सीधे बड़े शहरों के अस्पताल में भेजे जाते थे बाद में शहर के कोविड हॉस्पिटल में भर्ती किया जाने लगा।
अब… अब लक्षण दिखने पर ही मरीज को कोविड हॉस्पिटल में भर्ती किया जाता है। बिना लक्षण वाले मरीजों को कोविड केयर सेंटर में रखा जाता है। गंभीर केस सिम्स व एम्स भेजे जाते हैं।
डिस्चार्ज
पहले… हॉस्पिटल में भर्ती मरीज के इलाज के बाद लगातार दो बार कोरोना रिपोर्ट निगेटिव होने पर ही डिस्चार्ज किया जाता था। 2-3 हफ्ते तक मरीजों को रखा जाता था।
अब… हॉस्पिटल में मरीज को कम से कम एक सप्ताह रखना जरूरी है। स्वास्थ्य ठीक होने और पहले बार में ही जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर छुट्टी दी जा रही है।
कंटेनमेंट जोन
पहले… संक्रमित मरीज के घर के चारों ओर करीब 1 किमी में बेरिकेड्स लगाकर कंटेनमेंट जोन घोषित किया जाता था। लोगों को घर से बाहर निकलना पूर्णत: प्रतिबंधित था। 24 घंटे पुलिस जवान निगरानी करते थे।
अब… संक्रमित मरीज के घर के चारों ओर बांस-बल्ली लगाकर कंटेनमेंट जोन घोषित किया जा रहा है। लोगों को होम क्वारेंटाइन करते हैं
आइसोलेशन
पहले… शुरुआत में जब संक्रमित मरीज मिलते थे तब उनके परिजनों समेत संपर्क में आने वाले लोगों को क्वारेंटाइन सेंटर में निर्धारित अवधि के लिए रखा जाता था।
अब… परिजन या संपर्क में आने वालों को क्वारेंटाइन सेंटर नहीं भेजा जाता है बल्कि होम क्वारेंटाइन और होम आइसोलेशन को तवज्जो दिया जा रहा है।