Recent Posts

December 23, 2024

समाचार पत्र और मीडिया है लोकतंत्र के प्राण, इसके बिन हो जाता है देश निष्प्राण।

संस्कृति और परम्परा को सहजने देवगुड़ी विकास योजना

1 min read
  • मैनपुर विकासखण्ड के विशेष पिछडी जनजाति कमार आदिवासियों को पारम्परिक बांस बर्तन निर्माण के लिए प्रशिक्षण, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति में धीर धीरे सुधार होता जा रहा है
  • जनजातीय आजीविका और कल्याण के लिए शासन प्रतिबद्ध, प्रशिक्षण से आजीविका संवर्धन सुनिश्चित हुआ
  • न्यूज रिपोर्टर, रामकृष्ण ध्रुव


मैनपुर – आदिवासी बाहुल्य इस जिले में जनजातीय कल्याण के लिए विभिन्न गतिविधियां शासन द्वारा चलाई जा रही है। पुरातन संस्कृति और परम्परा के संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य शासन विशेष प्रयास कर रही है। जिले में आदिवासी विकास विभाग द्वारा न केवल जनजातीय बल्कि विशेष पिछड़ी जनजाति भुंजिया एवं कमार परिवारों को स्वरोजगार के अवसर और आजीविका सुदृढ़ करने विकासखंड गरियाबंद, छुरा एवं मैनपुर में निवासरत् भुंजिया परिवारों को बांस शिल्पकलाध्बांस फर्नीचर निर्माण प्रशिक्षण प्रदाय किया गया है। पिछले वर्ष वि.ख. गरियाबंद के ग्राम रायआमा के विशेष पिछड़ी जनजाति के 40 भुंजिया हितग्राहियों को प्रशिक्षण हेतु प्रदाय किया गया।

इसी तरह विकासखंड मैनपुर में निवासरत् विशेष पिछड़ी जनजाति कमार परिवारों को बांस शिल्पकलाध्बांस फर्नीचर निर्माण प्रशिक्षण प्रदाय किया गया है। वि.ख. मैनपुर के ग्राम छिन्दौला के 19 विशेष पिछड़ी जनजाति कमार प्रशिक्षणार्थी को प्रशिक्षण प्रदाय किया गया। पूर्व में इन परिवारों की आर्थिक स्थिति कमजोर थी तथा समय-समय पर शासन द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कार्यों में मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण किया करते थे।

उक्त प्रशिक्षण दिये जाने से ये परिवार बांस से बर्तन फर्नीचर सुपा, टोकनी इत्यादि सामग्री का निर्माण कर स्थानीय हॉट बाजार में विक्रय कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे है, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होता जा रहा है। इनके द्वारा बनाए गये बांस शिल्प को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन ने आवश्यक पहल की है। यह प्रशिक्षण उनके कौशल का उन्नयन करने और संवर्धन करने के लिए आयोजित किया गया। समूह की एक सदस्य ने बताया कि प्रशिक्षण के पश्चात अब वे बाजार व मांग आधारित वस्तुओं के निर्माण में कुशल हो गई है। इससे उनकी आमदनी भी बढ़ी है।
इसके अलावा विभाग द्वारा आदिवासी संस्कृति के संरक्षण एवं विकास के लिये देवगुड़ी विकास योजना संचालित किया गया है। आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में स्थित देवस्थल के विकास हेतु देवगुड़ी विकास योजना अंतर्गत प्रत्येक ग्राम को एक लाख रूपये की राशि प्रदान की जाती है। जिले में अभी तक 20 देवगुड़ी स्थल का विकास किया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *