Recent Posts

October 17, 2024

समाचार पत्र और मीडिया है लोकतंत्र के प्राण, इसके बिन हो जाता है देश निष्प्राण।

डिजिटल मीडिया आज की जरूरत: सुनील कुमार

1 min read
  • कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर
  • मासिक व्यख्यानमाला में डिजिटल युग में प्रिंट मीडिया की चुनौतियों पर विमर्श

रायपुर। दिनांक 01 मार्च, 2021। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में ‘डिजिटल युग मे प्रिंट मीडिया की चुनौतियां ‘ विषय पर मासिक व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार ने कहा कि आज का युग डिजिटल की ओर तेजी से बढ़ रहा है। खासकर कोरोना काल ने लोगों की सोच-विचार और मीडिया के तौर तरीक़े बदल दिए। कोरोना काल ने लोगों का ध्यान डिजिटल मीडिया की ओर और अधिक बढ़ाया है। यह युग डिजिटल युग है। जहां लोग अखबारों को भी डिजिटल रूप मे पढ़ना पसंद कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया परंपरागत रूप से अब सीमित होता जा रहा है और लोगों का रूझान डिजिटल मीडिया की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि बिना डिजिटल के कोई गुजारा नहीं हो सकता। लेकिन डिजिटल मीडिया में गंभीरता और विश्वसनीता का अभाव देखने को मिलता है। अब आपके अखबार के हिट देखे जाते हैं। उसी आधार पर उनका मूल्यांकन होता है। उन्होंने कहा कि डिजिटल मीडिया में ग्लैमर और क्राइम की खबरों में लोगों का रूझान अधिक रहता है। उन्होंने कहा कि प्रिंट का अस्तित्व कभी खत्म नहीं होगा। प्रिंट अभी भी ताकतवर है। बस डिजिटल को देखकर प्रिंट के तौर तरीके बदलने पड़ रहे हैं।

इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बल्देव भाई शर्मा ने कहा कि पत्रकारिता केवल एक प्रोफेशन नहीं बल्कि जिंदगी की जिजीविषा है। पत्रकारिता करने के लिए जानना, सीखना और जूझना पड़ता है। उन्होंने कहा कि दृष्टि हमेशा सीखने की होनी चाहिए। पत्रकार जन्मजात नहीं होता, बल्कि प्रशिक्षित होना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि गलत को गलत कहने से कुछ नहीं बदलता बल्कि गलत को सही करने से समाज बदलता है। पत्रकारिता में समय का नियोजन आवश्यक है। पत्रकारिता में चीजों को एक नए नजरिये से देखना चाहिए। अखबार को एक आम आदमी की ताकत कहा जाता है। बाजार के दबाव में पत्रकारिता की मूल दृष्टि को नहीं भूलना चाहिए।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. आनंद शंकर बहादुर ने कहा कि यह दौर डिजिटल विस्फोटक का है। इसके दो रूप मानवीकरण और दानवीकरण हैं। डिजिटल युग मे हम मिनटों मे करोड़ों लोगो तक पहुंच सकते हैं। मगर प्रिंट जैसा गंभीर प्रभाव नहीं छोड़ सकते। युग भले बदल जाए लेकिन डिजिटल युग मे भी मूल्य, प्यार, गुस्सा, इमानदारी, मानवता कभी नहीं बदल सकती।

इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि सोशल मीडिया, न्यूज़ पोर्टल और ओटीटी प्लेटफॉर्म अब खासे चर्चा में हैं। इनके बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत सरकार ने इनके नियमन के लिए गाइडलाइन जारी की है। जिनमें आपत्तिजनक कंटेन्ट डालने पर कड़ी कानूनी कार्यवाही का प्रावधान किया गया है। इस अवसर पर पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष पंकज नयन पांडेय, विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशुतोष मंडावी, एसोसिएट प्रोफेसर शैलेन्द्र खंडेलवाल, प्राध्यापक डॉ. नृपेंद्र शर्मा, डॉ. राजेन्द्र मोहंती सहित समस्त विभागों के विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन वर्षा शर्मा ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *