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November 22, 2024

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कोरोना संक्रमण के दौरान वनोपज संग्रहण कर वनांचल के ग्रामीणों का हुआ मुश्किल आसान

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गरियाबंद जिले में लघु वनोपज की खरीदी से ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति सुदृढ 27 करोड 76 लाख राषि का भुगतान

हजारों वनवासी परिवारों की वन विभाग ने बदली तकदीर, करोडो रूपये का संकट के समय में ग्रामीण संग्रहको के लिए वरदान साबित

Ramkrishan dhruv, Mainpur

मैनपुर – कोरोना वायरस ने पुरे प्रदेश व देश की रफ्तार को रोक दी है वायरस को लेकर हाहाकार मचा हुआ है अधिकांश काम धंधे ठप पडे हुए है, ऐसे समय में वनांचल क्षेत्र में बसने वाले परिवारों द्वारा वनोपज संग्रहण कर उसे समर्थन मूल्य पर विक्रय कर आर्थिक स्थिति मजबुत करने में सहायता प्राप्त हुई है मिली जानकारी के अनुसार राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मंशा अनुसार एंव वन मंत्री मोहम्मद अकबर के दिए निर्देशानुसार वन विभाग के द्वारा गरियाबंद जिले जो एक वनाच्छादित जिला है ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था सुदृढ करने विशेष प्रयास कर कोरोना वायरस के समय ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ करने के लिए 27 करोड 46 लाख राशि का भुगतान तेन्दुपत्ता एंव अन्य लघु वनोपज के संग्रहको को किया जा रहा है, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ करने यह पहली बार हो रहा है कि इतने बडे पैमाने पर वन विभाग द्वारा ग्रामीण एंव आदिवासी अंचलो के लोगो को यह रकम की भुगतान की जा रही है वनमंडलाधिकारी गरियाबंद मंयक अग्रवाल से मिली जानकारी के अनुसार तेन्दुपत्ता खरीदी वर्ष 2020-21 में वन विभाग के सक्रियता के कारण लक्ष्य का 70 प्रतिशत तेन्दुपत्ता क्रय कर कुल 66800 तेन्दुपत्ता संग्रहक परिवारों को 23 करोड 37 लाख 80 हजार राशि का भुगतान किया गया है.

इसके अतिरिक्त अन्य लघु वनोपज महुआ फुल, ईमली, शहद, नांगर मोथा, साल बीज क्रय किया गया है जिससे की ग्रामीण अंचलो में 04 करोड 39 लाख रूपये संग्रहको के खाते में भुगतान किया गया है, यह पुरी राशि द्वारा विशेष प्रयास करने पर आगामी धान की खेती के पूर्व उनके खातो में हस्तांतरित की गई है जिससे की उन्हे धान फसल बुआई बीज खरीदी एंव अन्य खजिनों मे आसानी हो सके वही पुरे गरियाबंद जिलो मेें पहली बार 46.24 क्विटंल शहद खरीदी किया गया है, जिसकी कीमत 09 लाख 83 हजार रूपये संग्रहकों के खातें में जारी की गई है श्री अग्रवाल ने आगे बताया विशेष अभियान चलाकर लगभग 06 वर्ष बाद 19003 क्विटंल सालबीज का संग्रहण वन विभाग द्वारा जिले के अंतर्गत किया गया है जिससे कि वनवासियों एंव आदिवासियों तथा ग्रामीण क्षेत्र के लोगो को 03 करोड 80 लाख शुध्द लाभ मिला है, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ करने पहली बार इतना बडे पैमाने पर वन विभाग द्वारा वनांचल क्षेत्र के ग्रामीणों संग्रहको को यह रकम भुगतान किया जा रहा है, जो अपने आप में एक मिशाल है।

कोरोना महामारी के इस संकट के समय में वनोपज संग्रहण करने वालों को वन विभाग द्वारा करोडो रूपये के भुगतान करने से वनाचल क्षेत्र में बसने वाले परिवारों को एक नई संजीवनी मिली है कोरोना वायरस का संक्रमण थमने का नाम नही ले रहा है और लोगो को रोजी रोटी के लिए दिक्कतों का सामना करना पड रहा है, ऐसे समय में वनाचल क्षेत्रो में बसने वाले लोगो को शासन द्वारा भरपुर काम मिल रहा है एक तरफ मनरेगा योजना के तहत ग्रामीणो को रोजगार मिल रहा है तो दुसरी तरफ वन विभाग द्वारा सीजन में महुआ फुल, चरोटा बीज, धवईफुल, बेहडा, हर्रा, शहद , ईमली, लाख, भेलवा, माहुल पत्ता, चार, सहित अन्य वनोपज का संग्रहण किया जाता है।

पहली बार 06 वर्षो बाद लगभग 04 करोड रूपये के सालबीज खरीदी बना मिशाल

गरियाबंद जिले के भीतर लगभग 06 वर्षो के बाद वन विभाग ने कोरोना महामारी संकटकाल के दौरान लगभग 19003 साल बीज खरीदकर एक नया किर्तिमान रचा है जिसकी कुल राशि लगभग पौने चार करोड रूपये की भुगतान संग्रहको को किया जा रहा है, जो अपने आप में एक मिशाल है, इतने बडे पैमाने में पहली बार साल बीज का संग्रहण किया गया है।

गरियाबंद जिले में 10 लाख रूपये के शहद स्वः सहायत समुह के माध्यम से खरीदा गया

गरियाबंद जिले में इस वर्ष वन विभाग के सक्रियता के चलते समर्थन मूल्य पर लगभग 10 लाख रूपये के शहद खरीदी किया गया है जिसमें 46.24 क्विंटल जिसकी कीमत 09 लाख 80 हजार रूपये संग्रहकों के खाते मे हस्तांतरिक किया गया है।

मैनपुर में 14 साल बाद माहुल पत्ता का केन्द्र प्रारंभ किया गया जिसमें सैकडो लोगो को मिल रहा है रोजगार

गरियाबंद जिले के वनमंडलाधिकारी मंयक अग्रवाल के विशेष प्रयास से लगभग 14 वर्षो बाद तहसील मुख्यालय मैनपुर में माहुल पत्ता केन्द्र का शुभारंभ किया गया है और यहा लगातार सैकडो महिलाओं को रोजगार मिल रहा है ।

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