अभियक्ति की आजादी के लिए प्रशांत भूषण के साथ एकजुटता कायम कऱो
1 min readShikha Das, Mahasamund/ Raipur
सर्वोच्च न्यायालय ,उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीशों सहित देश के दस हजार से अधिक नागरिकों ने सर्वोच्च न्यायालय के तुगलकी आदेश का लिखित विरोध किया है, तथा लाखों नागरिकों ने उन दो ट्वीटों को रिट्वीट किया है ,जिनको लेकर अवमानना की कार्यवाही की गई है।
20अगस्त को देश भर में प्रशांत भूषण के साथ खड़े होकर राष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता प्रदर्शित की गई, सर्वोच्च न्यायालय मे इसी विषय पर अगली सुनवाई आज 24अगस्त को होनी है, संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में 24 अगस्त को शाम 4 बजे से बाबा साहेब की मूर्ति के पास प्रशातं भूषण के साथ एकजुटता कायम करते हुए,कंगारू अदालत के द्वारा सुनाया गया.
फैसले का विरोध किया गया।इस तरह का फैसला अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने वाला आदेश है ,देश में लगाता मानव अधिकारों का हनन हो रहा हैऔर संविधान को ख़त्म किया जा रहा है, संयुक्त संघर्ष समिति के साथियों के द्वारा पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया गया,कार्यक्रम में फिजिकल दूरि बनाये रखते हुए, कोरोना संक्रमण से बचने हेतु सभी सावधानियां का पालन किया गया,कार्यक्रम मे भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) रेड़ स्टार के राज्य सचिव कॉमरेड सौरा यादव, सी पी आई.एम से कॉमरेड धर्मराज महापात्र, ए आई के के एस से कॉमरेड तेजराम विद्रोही ,उमा प्रकाश ओझा,अधिवक्ता रामकृष्ण जांगडे, मदन लाल,उत्तम साहू, बिट्टू ,रियाज जी, रतन कुमार गोंडाने, अधिवक्ता सदिक अली एंव अन्य साथियों ने आज के कार्यक्रम में इन नारों के साथ भाग लिये।
- 1 जस्टिस कनान के बाद सुप्रीमकोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण के ऊपर सडयंत्र पूर्वक हमले करना बंद करो।
- 2 अभिव्यक्ति की आजादी के लिए एकजुट हो,
- 3 लोकतंत्र की हत्या करना बंद करो,
- 4 प्रशांत भूषण के साथ एकजुटता कायम करो,
- 5 न्यायपालिका बी जे पी/आर एस एस की गुलामी करना बंद करो,
- 6 गिरफ्तार किए गए तमाम पत्रकार,लेखक,बुद्धजीवीयों और मानवअधिकार कार्यकर्ताओ को रिहा करो,
- 7 अभिव्यक्ति और मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट हो,