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October 19, 2024

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आस्था… होलिका दहन के धधकते अंगारों पर नंगे पांव ऐसे चलते हैं ग्रामीण जैसे फुलों पर चल रहा हो

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  • मैनपुर के गोहरापदर में होलिका दहन के धधकते अंगारो में चलने की वर्षों पुरानी परम्परा आज भी कायम 
  • शेख हसन खान, गरियाबंद

मैनपुर । गरियाबंद जिले के आदिवासी विकास खंड मैनपुर के ग्राम गोहरापदर में होलिका दहन के बाद दहकते आग पर नंगे पांव चलने की यहां तस्वीरें और वीडियो बेहद हैरत भरा है जिस आग पर चलने की सोचकर हम सब घबरा जाएं, उस आग पर पूरी आस्था के साथ चलते हैं ग्रामीण नंगे पैर अंगारों पर चलकर होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से गांव पर आपदा नहीं आती. सदियों पुरानी अपनी इस परंपरा का पालन आज भी पूरी आस्था से करते हैं ग्रामीणों द्वारा किया जा रहा है, होली के दिन देश के विभिन्न हिस्सों में कहीं फूलों की होली होती है, तो कहीं लोग एक-दूसरे पर लट्ठ बरसाते हैं, लेकिन मैनपुर विकास खंड क्षेत्र के ग्राम गोहरापदर में अंगारों से होली खेली जाती है. हालांकि इस पर यकीन कर पाना किसी किसी को थोड़ा मुश्किल जरूर हो सकता है पर यहां पुरी तरह सत्य है. गांव में देवी देवताओं की पूजा अर्चना करने के बाद होलिका दहन किया जाता है देवी माता के जयकारो के साथ छोटे छोटे बच्चों से लेकर युवा बुजुर्ग बारी बारी से दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलते हैं और पूरी तरह सुरक्षित निकलते हैं। यह यहां की परंपरा है, जो सदियों से चली आ रही।

सदियों से चली आ रही इस परंपरा में गांव के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक नंगे पैर धधकते अंगारों पर ऐसे चलते हैं, मानो सामान्य जमीन पर चल रहे हों. उनके पैरों में न तो कही छाला पड़ता है और न ही किसी तरह की तकलीफ अंगारों पर चलते समय होती है. गांव को आपदा से और खुद को विभिन्न बीमारियों और संकटों से दूर रखने के लिए ग्रामीण इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं।

ग्राम के वरिष्ठ नागरिक विष्णु नारायण तिवारी, जुगधर यादव, पूर्व संसदीय सचिव गोवर्धन मांझी, नेकराम बघेल, आर पी साहू, गुरूनारायण तिवारी ने बताया कि गांव में विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद ग्रामीणों के सहयोग से होलिका दहन किया जाता है। इसके बाद अंगारों पर नंगे पैर चलने का सिलसिला शुरू होता है. यह परंपरा कब शुरू हुई और किसने शुरू की, इसकी सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है. हालांकि ग्राम के वृद्ध लोगों ने बताया कि बरसों से देखते चले आ रहे हैं परंपरा को. बताते हैं कि गांव में कभी भी कोई आपदा नहीं आए, इसी मान्यता के चलते प्रत्येक वर्ष होली पर यह परंपरा को निभाते आ रहें हैं और आगे भी निभाएंगे।