उदंती अभ्यारण्य में राजकीय पशु वनभैंसा के वंश वृध्दि के लिए असम से लाया जायेंगे मादा वनभैंसा, टीम रवाना
1 min read- वन भैंसों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर अंतराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन राजधानी रायपुर में किया गया था
- शेख हसन खान, गरियाबंद
छत्तीसगढ़ प्रदेश के राजकीय पशु वनभैंसो के लिए पुरे प्रदेश व देश में विख्यात उदंती अभ्यारण्य में संकट के बादल मंडरा रहे है, कारण उदंती अभ्यारण्य में मात्र 07 नर वनभैंसा ही है और इनके वंश वृध्दि के लिए एक भी मादा वनभैसा नही है लगभग दो वर्ष पूर्व आशा नामक मादा वनभैंसा के मौत के बाद वनभैसों के वंश वृध्दि पर पुरी तरह रोक लग गई है जिसके कारण वन प्रशासन बेहद चिंतित और परेशान हो गये। लगातार राजकीय पशु वनभैंसो की संख्या घटने से इसके अस्तित्व को लेकर संकट मंडरा रहा है पिछले आठ दस वर्षो से असम से मादा वनभैंसा लाने के लिए वन विभाग एंव डब्लू टी.आई के द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा था लेकिन तमाम प्रकार के प्रक्रियाओं के गुजरने के बाद अब वन विभाग को मादा वनभैसा असम से लाने अनुमति मिल गई है जो पुरे छत्तीसगढ प्रदेश के लिए एक अच्छी खबर है क्योंकि मादा वनभैसा लाने के बाद उदंती अभ्यारण्य में वनभैंसा की संख्या में वृध्दि होने की संभावना है।
ज्ञात हो कि लगभग चार वर्ष पूर्व बारनवापारा अभ्यारण्य में दो वनभैसा लाया गया है। इसके बाद लगभग चार वर्षो पश्चात तमाम प्रकार के कागजी कार्यवाही और उच्च स्तरीय अनुमति मिलने के बाद अब मानस टाईगर रिजर्व असम से चार मादा वनभैसा लाने की तैयारी वन विभाग द्वारा किया जा रहा है। तथा मादा वनभैसा लाने के लिए वन विभाग के अफसरों की टीम आज रविवार को रायपुर से असम के लिए सडक मार्ग से रवाना हो गया है, लगभग तीन दिनों के सफर के बाद यह टीम असम पहुचेंगी और वंहा से मादा वनभैसा लाया जायेगा जिसे लाने में लगभग एक पखवाडे लग जायेंगे और कुछ दिनों यह मादा वनभैसा को सुरक्षित स्थानों पर रख पुरी तरह प्रदेश के वातावरण में ढलने के बाद गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखण्ड स्थित उदंती अभ्यारण्य लाया जायेगा। उदंती अभ्यारण्य में मादा वनभैसा लाने के बाद निश्चित रूप से वनभैंसोे ंंं के संरक्षण और संवर्धन में काफी मदद मिलेगी।
- उदंती अभ्यारण्य में शुध्द नस्ल के मात्र 07 नर वनभैंसा है
उदंती अभ्यारण्य मे वर्तमान में मात्र 07 नर वन भैंसा ही बचे है और एक भी मादा वन भैसा नही है जिससे इसकी संख्या बढ़ने की उम्मीद पर विराम लग गया है बताया जाता है उदंती अभ्यारण्य मे छोटू, मोहन, वीरा, सोमू, हीरा, राजा और प्रिंस नामक वन भैसा शुद्ध नस्ल के है जिसमे से पांच वन भैसा को दक्षिण उदंती अभ्यारण्य के कक्ष क्रंमाक 82 में संरक्षण संवर्धन केन्द्र लगभग 30 हेक्टयर जंगल को चारो तरफ तार के बडे बडे बाडे से घेरकर बनाया गया है और इस रेस्क्यू सेंटर मे रखा गया है और एक वन भैसा राजा खुले जंगल मे विचरण कर रहा है। एक और वन भैंसा छोटू के आंख मे इन्फेक्शन के चलते उसके एक आंख पूरी तरह खराब हो गई है जिसका विभाग द्वारा उच्च स्तरीय ईलाज किया जा रहा है छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद दुर्लभ पशु वन भैंसा को राजकीय पशु घोषित करने के बाद इसके वंश वृद्धि के लिए लगभग 30 हेक्टेयर जंगल को लोहे बड़े -बड़े एंगल व जाली से बाड़ा तैयार कर रेस्क्यू सेंटर बनाया गया है जहां वन भैंसो को रखा गया है।
- 2005 से पहले 72 वनभैंसा उंदती अभ्यारण्य में दर्ज किया गया था
ज्ञात हो कि वन विभाग के आकडे अनुसार 2005 से पहले उदंती अभ्यारण्य में 72 वनभैंसा होने का दावा वन विभाग द्वारा किया जा रहा था, लेकिन 2005 के बाद जब डब्लू टी.आई नई दिल्ली द्वारा नये सिरे से वनभैंसो की गणना किया गया तो उदंती अभ्यारण्य में चैकाने वाला परिणाम सामने आया डब्लू टी.आई ने गणना के बाद मात्र 07 वनभैसा उदंती में होने की बात कही तो वन विभाग के बडे बडे अफसरों के पैरो तले से मानो जमीन खिसक गये और वनभैंसो के संरक्षण और संवर्धन के लिए केन्द्र स्थापित किया गया।
- क्या कहते हैं डब्लू टी.आई के डाॅक्टर
डब्ल्यूटीआई नई दिल्ली के डाॅक्टर आर पी मिश्रा ने बताया प्रिंस वन भैसा के आंख मे इनफैक्शन के चलते उन्हे ठीक से दिखाई नहीं देता। लगातार विभाग द्वारा अच्छे से अच्छे विशेषज्ञो से ईलाज करवाया जा रहा है। श्री मिश्रा ने बताया कि मादा वनभैसा लाने प्रयास जारी है। कब तक लाया जाएगा इसके बारे में उच्च अधिकारी ही बता पाएंगे।