पहले खुद हस्ताक्षर करके स्वीकृति देते है फिर खुद विरोध करने खड़े हो जाते है झूठ और अफवाह का धारावाहिक चला रहा विपक्ष : लक्ष्मीपति राजू
1 min read- सफाई का ठेका सामान्य सभा से पारित इसीलिए सभापति और सचिव जिम्मेदार
भिलाई:- सफाई को लेकर विपक्ष द्वारा जो भी आरोप लगाए जा रहे हैंए वह सिर्फ कपोलकल्पित बातें हैं चूँकि सफाई का पूरा मामला सामान्या सभा में पास हुआ सभापति और सचिव ही इसके लिए जिम्मेदार हैंद्। उन्होंने आगे बताया कि
17ध्07ध्2020 को सामान्यसभा की बैठक आहूत की गयी जिसमें सफाई के मुद्दे को सदन में लाया गया। इस मामले पे विस्तृत चर्चा हुई जिसे सभापति ने माना और सचिव ने नोट किया आगे जो भी कार्यवाही हुई वो इसी आधार पर हुई अतः नियमतः पुरे मामले के लिए सदन चलने वाले सभापति और नोटिफाई करने वाले सचिव जिम्मेदार है।
महापौर परिषद की बैठक दिनांक 19/03/2020 को जानवर पृथक पृथक साफ़ साई से सम्बंधित प्रस्ताव में प्रशासकीय स्वीकृति एवं निविदा आमंत्रित किये जाने की अनुमति हेतु प्रकरण सामान्य सभा में रखे जाने का संकल्प पारित किया गया था। दिनांक 17/07/2020 को आहूत सामान्य सभा के प्रस्ताव क्रमांक 5;डद्ध 15 से 21 तक के पृथक पृथक जोनवार साफ़ सफाई से सम्बंधित प्रस्ताव में खुली चर्चा के दौरान वर्त्तमान में कोरोना महामारी की स्तिथिए कार्य की आवश्यकता एवं समय की कमी को दृष्टिगत रखते हुए यह सुझाव दिया गया यदि निविदा की प्रशासकीय स्वीकृति के साथ वित्तीय स्वीकृति प्रदान किया जाता है तो समय पर साफ़ सफाई व्यवस्था के नै निविदा के कार्य प्रारम्भ हो सकता है।
अब इसके आगे की बातों को समझिये
सम्माननीय सभापति छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में उल्लेखित प्रावधानों के तहत सदन का संचालन एवं कार्यवाही विवरण अक्षरसः पढ़कर हस्ताक्षर करने का संपूर्ण अधिकार रखते हैं। इसके बाद भी निगम अध्यक्ष अपने ही हस्ताक्षर किये गए संकल्प को गलत ठहराना इसके लिए स्वयं वे दोषी एवं असक्षम है।
निगम सचिव भी मनगढ़ंत बातों का उल्लेख कर पत्रकारी करना यह भी निगम सचिव के लिए गैर जिम्मेदाराना कृत्य है।यदि दबावपूर्वक कोई बात थी तो उसी समय सचिव आयुक्त नगर पालिक निगम भिलाई के संघ्यान में क्यों नहीं है । इसके बाद भी विभाग द्वारा सामान्य सभा में पारित निर्णय के उपरहंत भी प्रकरण को महापौर परिषद के लिए प्रेषित किया गया थाद्य किन्तु निगम सचिव अपने ही स्तर में दिनांक 8/10/2020 को नोटशीट में यह उल्लेख चूँकि उपरोक्त प्रकरणों में सामान्य सभा की बैठक दिनांक 17/7/2020 को यह प्रस्तुत प्रस्ताव पर चर्चा उपरान्त वर्तमान में कोरोना महामारी की स्थिति कार्य की आवश्यकता एवं समय की कमी को दृष्टिगत रखते हुए निविदा में प्राप्त न्यूनतम दरदाता से कार्य कराये जाने हेतु वित्तीय स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है, जिससे प्रकरण को पुनः स्वीकृति हेतु महापौर परिषद् की बैठक में रखा जाना उचित प्रतीत नहीं होता हैद्य।
लिखकर सभी प्रक्रारों को मूलतः विभाग को वापिस किया गया हैद्य । इससे स्पष्ट है कि निगम सचिव राजनीति के शिकार होकर मनगढंत तथ्यों को जाहिर कर रहा हैद्य क्यूंकि सदन में रखे गए प्रस्ताव की कार्यवाही विवरण तैयार कर अक्षरसः पढ़कर हस्ताक्षर करने का संपूर्ण अधिकार सभापति एवं निगम सचिवका है।
दिनांक 17/7/2020 को साफ़ सफाई से सम्बंधित पारित संकल्प निगम सचिव एवं अध्यक्ष के हस्ताक्षर के बाद विधि सम्मत होती हैद्य इसके बावजूद अध्यक्ष अपने संकल्प को गलत ठहराना यह सरासर गलत है और वह स्वयं दोषी हैद्य यह भी स्पष्ट होता है की भारतीय जनता पार्टी के कुछ पार्षदों द्वारा अपने ही सभापति की निपटाने में लगे हुए हैंद्य
लेकिन सवाल यह है कि अगर सामान्य सभा का संकल्प गलत है तो सबसे पहले सभापति और सचिव का दोषी मानना चाहिए ।।
हमेशा नियम विरुद्ध करने वाले बीजेपी के कुछ पार्षदों को यह पच नहीं पा रहा है कि इसीलिए वे बेवजह का मुद्दा बनाकर बेकार की बातें कर रहे हैं आखिर इतने दिनों बाद इनकी नींद कैसे टूटी हैद्य।इसमें यह बात भी समझना चाहिए की अगर सफाई के संकल्प में कोई गड़बड़ी नजर आई तो तीन महीने तक सभापति क्यों सो रहे थेअब अपने ही किये हस्ताक्षर वाले संकल्प को क्यूँ झूठा बता रहे हैंद्य।
क्या सभापति ने बिना पढ़े संकल्प में हस्ताक्षर किया या अब कुछ और बात है
अगर सफाई के संकल्प में कोई गड़बड़ी नज़र आई तो 3 महीने तक सभापति क्यों सो रहे थे,या कुछ और मामला था जिसके कारण नही कर पा रहे थे। आखिर क्यों अपने ही किये हस्ताक्षर वाले संकल्प को झूठा ठहराने पर तुले हुए है।
पार्टी में अंतरकलह, आरोप लगाने वाले सभापति ही प्रेस कॉन्फ्रेंस से गायब
आखिर क्या कारण है कि हस्ताक्षर करने के बाद भी किस दबाब में सभपति ये आरोप लगा रहे, अगर आरोप ही लगाना था तो वे स्वयं प्रेस कॉन्फ्रेंस लेते, ज़बरदस्ती बयानबाजी दूसरे पार्षद क्यों कर रहे । आखिर विपक्ष चुनाव से पहले ही एक नही है, सभापति की अनुपस्थिति अंतरकलह को स्पस्ट करती है अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के लिए पार्षद ओछी राजनीति पर उतर आए है ।