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December 25, 2024

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इंदागांव परिक्षेत्र में सागौन, साल, बीजा की अवैध कटाई करने वाले पांच आरोपी भेजे गये जेल

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  • मामला उदंती अभ्यारण्य के इंदागांव वनपरिक्षेत्र का
  • रामकृष्ण ध्रुव मैनपुर

मैनपुर -उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के बफर जोन एरिया वन परिक्षेत्र इंदागांव मे सागौन, साल, बीजा के कीमती वृक्षो को कटाई करते पांच उड़ीसा के लोगो पर कार्यवाही की गई, मिली जानकारी के अनुसार दिनांक 20.11.2020 को उप निदेशक उदंती-सीतानदी टायगर रिजर्व गरियाबंद एवं सहायक संचालक(उदंती) मैनपुर, उदंती-सीतानदी टायगर रिजर्व के सफल मार्गदर्शन में गोपनीय सूचना के आधार पर प्रभारी परिक्षेत्रा अधिकारी इंदागांव(धुरवागुड़ी)बफर श्री चन्द्रबली ध्रुव,उपवनक्षेत्रापाल के अगुवाई में परिक्षेत्रा इंदागांव(धुरवागुड़ी)बफर के अधिकारी/कर्मचारियों की टीम गठित कर इंदागांव बीट के कक्ष क्रमांक 1230 में गस्त की गई।

उड़ीसा प्रांत के 05 आरोपियों के द्वारा अवैध रुप से राष्ट्रीयकृत सागौन,साजा,बीजा प्रजाति के लगभग 08 नग वृक्षों की कटाई करते हुए वन विभाग के कर्मचारियों की टीम के द्वारा घेराबंदी कर पकड़ा गया।

आरोपियो को पुछताछ हेतु वन परिसर इंदागांव मुख्यालय में लाया गया पुछताछ के दौरान आरोपी प्रदीप पिता. घनश्याम मांझी जाति गोंड़ उम्र 27 वर्ष, चरन पिता ठीकराम जाति कमार उम्र 30 वर्ष, रतन पिता तेज मांझी जाति गोंड़ उम्र 30 वर्ष, लुद्रा पिता रुपधर जाति भूंजिया उम्र 29 वर्ष, रेकशन पिता तेज मांझी जाति गोंड़ उम्र 29 वर्ष निवासी ग्राम -तालाकोट,थाना व तह.-सिनापाली जिला-नुआपड़ा(उड़ीसा) के द्वारा अपना अपराध कबुल करने के उपरांत उक्त 05 आरेापियों के विरुद्ध प्राथमिक अपराध प्रकरण क्रमांक 01/24 दिनांक 20.11.2020 दर्जकर भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26(1),(क),(ङ),(च) एवं 52, छ.ग. वन उपज(व्यापार विनियमन) अधिनियम 1969 की धारा 5 तथा माननीय न्यायालय प्रथम श्रेणी देवभोग के स्वीकृति उपरांत लोक संपति क्षति निवारण अधिनियम 1984 की धारा 3(1)। तहत अपराध पंजीबद्ध कर माननीय न्यायालय प्रथम श्रेणी देवभोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया है, उक्त कार्यवाही में प्रभारी परिक्षेत्रा अधिकारी इंदागांव (धुरवागुड़ी)बफर श्री चन्द्रबली ध्रुव उप वनक्षेत्रापाल, लोचनराम निर्मलकर सहायक परिक्षेत्रा अधिकारी कोयबा/करलाझर, टकेश्वर देवागंन,वनरक्षक, राकेश कुमार मार्कण्डेय वनरक्षक, ऋषि कुमार ध्रुव,वनरक्षक, फलेश्वर दिवान वनरक्षक एवं सुरक्षा श्रमिकों का योगदान सराहनीय रहा।

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