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December 13, 2025

समाचार पत्र और मीडिया है लोकतंत्र के प्राण, इसके बिन हो जाता है देश निष्प्राण।

तौरेंगा विश्राम गृह में कभी देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी पहुंचे थे तो फिल्म अभिनेता असरानी दो दिन रुके थे, अब गुमनामी के अंधेरे में

  • शेख हसन खान की विशेष रिपोर्ट 
  • असरानी के निधन के बाद लोगों को याद आई फिर एक बार तौरेंगा का विश्रामगृह

गरियाबंद। यह बात बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखण्ड अन्तर्गत घने जंगल के अन्दर बसे ग्राम तौरेंगा के विश्रामगृह लगभग 38 वर्ष पहले फिल्म अभिनेता असरानी बकायदा दो दिनों तक रूक कर पूरे क्षेत्र के जंगल का भ्रमण किया था। तौरेंगा ग्राम के प्रसिद्व कुंए का पानी भी पीये थे। उस समय यहां हेण्डपम्प नहीं हुआ करता था। अंग्रेज जमाने का काफी ऐतिहासिक कुंआ आज भी वहां मौजूद है उसका पानी का पीये थे और तो और गांव के लोगों के साथ चर्चा किया था। असरानी के निधन के साथ एक बार फिर पुराने वरिष्ठ एवं बुर्जूग लोगों को तौरेंगा की विश्रामगृह की याद आ गई जहां फिल्म अभिनेता असरानी पहुंचे हुए थे। उल्लेखनीय है कि गरियाबंद जिले के तहसील मुख्यालय मैनपुर से महज 22 किमी दूर नेशनल हाइवे 130 सी सड़क किनारे तौरेंगा स्थित वन विभाग का प्रसिद्ध विश्राम गृह अब धीरे -धीरे गुमनामी के अंधेरे में खोता जा रहा है। टाइगर रिजर्व के भीतर स्थित यह विश्राम गृह आज से 15 वर्ष पहले तक प्रदेश व देश में काफी प्रसिद्ध माना जाता था लेकिन क्षेत्र में नक्सली गतिविधी बढ़ने के बाद इस विश्रामगृह में बड़े जनप्रतिनिध राजनेता अब नही रूकते पहले यह विश्रामगृह नेताओं, बड़े जनप्रतिनिधियों के पसिन्दीदा विश्रामगृह हुआ करता था। लेकिन अब वन विभाग का यह विश्राम गृह जर्जर अवस्था में पहुंच रहा है। हालंकि यहां परिषर में दो विश्राम गृह है, जहां चार कमरे है जिसमे से दो कमरों का सुधार कार्य पिछले 5 वर्ष पहले किया गया है और दो कमरे की स्थिति बेहद खराब हो गई है।

जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच गया है। वन विभाग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, तौरेंगा विश्राम गृह का निर्माण अंग्रेज जमाने मे किया गया था। इसके बाद इसे तोड़कर वन विभाग द्वारा इसमे मरम्मत कार्य करवाकर चारों तरफ गार्डन का निर्माण कर पूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। आज भी इस विश्राम गृह मे बिजली की व्यवस्था नहीं है। सौर ऊर्जा से यहां बिजली की व्यवस्था की गई है। तौरेंगा विश्राम गृह किसी परिचय का मोहताज नहीं है। यहां सन् 1988 में फिल्म स्टार असरानी भी पहुंच चुके हैं। वे इस विश्राम गृह मे बकायदा दो दिन तक रूककर घने जंगल क्षेत्रों का भ्रमण किये थे। आज भी वन विभाग के अतिथि स्वागत रजिस्टर में फिल्म स्टार असरानी का नाम अंकित है और असरानी ने इस विश्राम गृह तथा इस क्षेत्र के जंगल की खूबसूरती व यहा के मनोरम दृश्य के बारे में लेख अपने हाथों से लिखे हैं।

  • तौरेंगा विश्राम गृह में सन् 1982 में देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल पहुंचे थे

मैनपुर से 22 किमी दूर तौरेंगा स्थित वन विभाग का यह विश्राम गृह का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। यहां आज से लगभग 40 वर्ष पहले देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी ओड़िशा से कार के माध्यम से लौटते समय तौरेंगा विश्राम गृह में रूककर भोजन ग्रहण किये थे। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के इस तौरेंगा विश्राम गृह को अविभाजित मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व.पं. श्यामाचरण शुक्ल का काफी पंसदीदा विश्राम गृह के रूप मे जाना जाता है। जब भी पं. श्यामचरण शुक्ल इस क्षेत्र के देवभोग तक दौरे में पहुंचते थे तो वे तौरेंगा के विश्राम गृह में ही रात्री विश्राम करते थे। पं. श्यामाचरण शुक्ल को जंगल और वन्य प्राणियों से काफी लगाव था। घंटों सुबह के समय वे विश्राम गृह में बैठकर घने जंगल और आसपास विचरण कर रहे वन्य प्राणियों को देखा करते थे।

ज्ञात हो कि तौरेंगा स्थित विश्राम गृह मे पूर्व केन्द्रीय मंत्री पं. विद्याचरण शुक्ल, पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह, पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, स्व पवन दीवान, ओड़िशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, नंदकुमार साय, ननकीराम कंवर सहित अनेक बड़े बड़े जनप्रतिनिधि और छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल केएम सेठ भी सहपरिवार इस विश्राम गृह मे रूक चुके है। इतना महत्वपूर्ण यह विश्राम गृह आज बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है और तो और इस विश्राम गृह मे सुविधा नही होने के कारण साथ नक्सल प्रभावित क्षेत्र होनेे के कारण अब स्थानीय जनप्रतिनिधि भी नहीं रूकते। धीरे -धीरे यह विश्राम गृह गुमनामी के अंधेरे मे खोता जा रहा है।