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October 18, 2024

समाचार पत्र और मीडिया है लोकतंत्र के प्राण, इसके बिन हो जाता है देश निष्प्राण।

चार दशक पहले MLA यात्री बसों से चलते थे पर जनता के करीब होते थे अब चलते हैं लग्जरी कारों में पर बंद रहती है शीशे  

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  • समय के साथ बदलता गया चुनाव प्रचार 60 -70 के दशक में बैल गाड़ी और पारंपरिक डुगडुगी से होता था प्रचार
  • शेख हसन खान की विशेष रिपोर्ट 

गरियाबंद। समय के साथ परिवर्तन और आधुनिकता के इस दौर में तेजी से चुनाव प्रचार का स्वरूप बदलता गया आज से 60 -70 वर्ष पहले चुनाव प्रचार के लिए ज्यादा से ज्यादा बैलगाड़ी का उपयोग होता था। गांव में ग्रामीणों को एकत्र करने के लिए पारंपरिक वाद्ययंत्र डुगडुगी बजाना पड़ता था प्रत्याशी और मतदाताओं के बीच आत्मीय रिश्ता होता था। मतदाता भी प्रत्याशी को चुनाव खर्च के लिए चंदा देते थे। अब चुनाव का स्वरूप पूरा बदल गया है। अब के चुनाव में महंगी लग्जरी वाहनों का काफीला और डिजिटल चुनाव प्रचार सामग्री ही चुनाव में दिखाई देता है। चुनाव में लाखों करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया जाता है। इस संबंध में कई क्षेत्र के वरिष्ठ बुजुर्गों से चर्चा किया।

  • घर से बासी लेकर निकलते थे चुनाव प्रचार के लिए – हरचंद

मैनपुर नगर के वरिष्ठ नागरिक बुजुर्ग हरचंद ध्रुव उम्र लगभग 95 वर्ष ने बताया उनके पिता स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिए थे और उनके पिता के द्वारा उन्हे देश के आजादी के बारे में सुनने को मिलता था उस जमाने में अखबार और टीवी नही हुआ करता था 10 -20 गांवों में एक रेडियो हुआ करता था। 1952 में जब पहला चुनाव पंडित जवाहर नेहरू प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हुआ तो रेडियो से इसका सूचना लोगो को मिला था लेकिन बाद के चुनाव में उन्हे मतदान करने का अवसर मिला।उन्होंने 60 -70 के दशक को याद करते हुए भावुक होकर बताया उस समय हमारे क्षेत्र के विधायक साहब के पास स्वयं के मोटर कार नहीं हुआ करते थे। बलराम जुगसाय, बलराम पुजारी, ईश्वर सिंह पटेल इतने सरल स्वभाव के थे की चुनाव जीतने के बाद भी राज्य परिवहन की बस से आना-जाना करते थे और हमेशा जनता के बीच रहते थे।

बुजुर्ग महिला अजमत बेगम उम्र 100 साल देवभोग ने बताया कि पहले चुनाव में ज्यादा खर्चा नहीं हुआ करता था बहुत कम खर्च में चुनाव लड़ते थे। उन्होंने सभी मतदाताओं से अपील किया है कि हर हाल में अपना मत का उपयोग करें लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए मतदान बहुत जरूरी है।

  • अब चुनाव हुआ महंगा और नेता हुए जनता से दूर – सोनसाय

ग्राम गौरघाट के बुजुर्ग लगभग 93 वर्षीय सोनसाय ध्रुव ने बताया कि अब चुनाव बहुत महंगा हो गया है। चुनाव से पहले ही लाखो करोड़ो की बात चलती है बगैर पैसा के कोई किसी के लिए कुछ नहीं करने वाला सहयोग की भावना खत्म हो गई है। उन्होंने कहा कि आज भी ऐसे कई पुराने नेता जो अपने नैतिक मूल्यो के आधार पर चुनाव लड़ते हैं।

  • युवा पीढ़ी को बुजुर्गों के ज्ञान और अनुभव से सिखना चाहिए – कोमल सिंह ठाकुर

मैनपुरकला के बुजुर्ग कोमल सिंह ठाकुर ने कहा युवा पीढ़ी को बुजुर्गो के ज्ञान और अनुभव से सीखना चाहिए उन्होने कहा मतदान बहुत जरूरी है। भले ही मतदान के तरीके बदल गये पहले कागज में मुहर लगाकर मतदान करते थे। अब मशीन के माध्यम से करते हैं लेकिन मतदान ही एक ऐसा माध्यम है जिससे हम अपने अधिकारो की लड़ाई लड़ते है। उन्होंने युवाओं से अपील किया हर हाल में मतदान करना चाहिए उनके समय में मतदान केन्द्र कम हुआ करते थे लेकिन ग्रामीण पैदल मतदान के मिलो जाते थे अब तो मतदान केन्द्र भी नजदीक हो गया है।

  • वोट देने के बाद चुनाव परिणाम का पता 3-4 दिनों बाद लगता था – पांचोबाई पटेल

मैनपुर पटेलपारा के बुजुर्ग महिला पांचोबाई पटेल उम्र 93 वर्ष ने बताया पहले चुनाव में प्रत्याशी घर घर आकर वोट मांगते थे और प्रत्याशी की बातचीत को देखकर उन्हे वोट देते थे उस समय चुनाव प्रचार के लिए कोई गाड़ी घोड़ा नहीं हुआ। करता था ज्यादा से ज्यादा पोंगा बजता था और लोगो को मुनादी कर चुनाव की सूचना दिया जाता था। मतदान करने के बाद चुनाव जीतने वाले का पता 4 -5 दिनों बाद पता चलता था क्योंकि वोटो की गिनती हुआ करती थी।

  • गांव और घर के मुखिया के बताये अनुसार मतदान करते थे – थानू राम पटेल

मैनपुर नगर के बुजुर्ग थानुराम पटेल ने बताया पहले और अब चुनाव में बहुत ज्यादा परिवर्तन आ गया है। पहले लोग विश्वास कर मतदान करते थे और जनता से चुनाव जीतने के बाद प्रत्याशी गांव में विकास काम भी करते थे अब तो विधायक सांसद बड़े-बड़े लग्जरी कारों में कांच बंदकर के आना-जाना करते हैं। आम जनता उनसे मुलाकात भी नहीं कर पाते, श्री पटेल ने कहा इतने बड़े विधानसभा बिन्द्रानवागढ़ क्षेत्र के मैनपुर में आजादी के 75 वर्षों बाद भी कोई विधायक और सांसद अपना कार्यालय नहीं खोल पाया यदि क्षेत्र की जनता को सांसद और विधायक से कोई काम हो या उन्हें कोई समस्या बताना हो तो उन्हें रायपुर या उनके निवास जाना पड़ता है। श्री पटेल ने कहा सांसद विधायक को मैनपुर जैसे तहसील मुख्यालय में अपना कार्यालय खोलना चाहिए। कम से कम महीना में एक दिन यहां बैठकर जनता की समस्या सुनना चाहिए यहां सभी राजनीतिक दलों को चाहिए कि इस ओर गंभीरता से ध्यान दिया जाए।

  • एक दिन में 20 किमी सायकल में नेता जी को बिठाकर वोट मांगने जाता था – रतिराम

रतिराम उम्र 98 वर्ष ने बताया उन्होने पहला मतदान सिहावा धमतरी जिला में किया था तब नेता जी को बिठाकर एक दिन में 20 किमी तक सायकल में वोट मांगने जाते थे उस जमाने में सायकल चलाना किस्मत वालो की बात होती थी।