छत्तीसगढ़ का पायलीखण्ड और बेहराडीह हीरा खदानों की सुरक्षा भगवान भरोसे
1 min read- शेख हसन खान, गरियाबंद
- अरबों खरबों की सम्पति के लिए एक भी चौकीदार नहीं, हो रही है लगातार चोरी छिपे अवैध उत्खनन
- मामला न्यायालय में होने के कारण छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 21 वर्षो बाद भी दोहन शुरू नहीं हो पाया
- देश के भीतर पायलीखण्ड और बेहराडीह ऐसा हीरा खदान यहां बेरोक टोक होती है खुदाई कोई रोकने वाला भी नहीं
- बारिश के दिनों में नदी नालों में बाढ़ का फायदा उठाकर ओडिसा, महाराष्ट्र के तस्करों के द्वारा हर वर्ष करवाई जाती है हीरा खदानों में जमकर अवैध उत्खनन
मैनपुर – छत्तीसगढ प्रदेश के घने जंगलो वाले बेहराडीह, पायलीखंण्ड के हीरा खदानो से सरकार भले ही अब तक हीरा निकाल नही पाई है, लेकिन अवैध खुदाई करने वाले यहा बेरोक टोक समय बेसमय हीरा खुदाई कर रहे हैं। और हीरा की अवैध खुदाई की पुष्टि स्वंय प्रशासन द्वारा किया जा रहा है बता दे पिछले डेढ दो वर्षो के भीतर इन हीरा खदानों से निकाले गये लगभग 1316 नग हीरा को तस्करों से गरियाबंद पुलिस ने बरामद किया है, जिसकी कीमत करोडो रूपये आंकी गई है। गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखण्ड अंतर्गत हीरा खदान बेहराडीह और पायलीखंण्ड के घने जंगलों में हीरा खदानों का जायजा लिया मैनपुर से महज 13 किलोमीटर दुर में बेहराडीह हीरा खदान है और मैनपुर से 42 किलोमीटर की दुरी पर पायलीखंण्ड हीराखदान है। पायलीखंण्ड हीरा खदान गांव से पहले इद्रावती नदी गुजरती है जिसमें उदंती नदी भी शामिल है, और ये दोनो हीरा खदान विश्व के सर्वोत्तम हीरा जनित खदानो में जाना जाता है। आस्टेलिया से पहुचे वैज्ञानिकों इन हीरा खदानो में किम्बर लाईट पाईप होने की पुष्टि की है।
किम्बर लाईट पाईप उसे कहते है जिसमें चारो तरफ हीरा चिपका रहता है और वैज्ञानिकों के अनुसार जंहा इन खदानो में एक दर्जनों से ज्यादा किम्बर लाईट पाईप होने की बात परीक्षण के बाद बताई गई है। बेहराडीह, पायलीखंण्ड का हीरा विश्व का सबसे बेश कीमती हीरा है यहा के खदान देश के बडे हीरा खदानों में जाना जाता है पर यह देश की ऐसी हीरा खदान है जिसकी कोई सुरक्षा नहीं है, जिसके चलते लगातार अवैध खुदाई के कारण यह खदान लुटने के कगार पर है। जानकारों के मुताबित पायलीखंण्ड और बेहराडीह में इतना हीरा भरा पडा हुआ है की सरकार उसका दोहन कर पुरे प्रदेश का विकास कर सकती है पर हीरा खदान का मामला न्यायालय में चलने के कारण आज तक इन हीरा खदानों के सरकारी तौर पर दोहन कार्य प्रारंभ नही हो पाया है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 21 वर्ष बाद भी इन हीरा खदान के मामलों में अब तक कोई फैसला नहीं आया है। इस सबंध में उस समय जब बी विजय कुमार कंपनी द्वारा हीरा खदान की सर्वे कार्य किया जा रहा था, तो उनके वैज्ञानिको से हमारे प्रतिनिधि ने चर्चा किया था।
वैज्ञानिकों का कहना था कि दक्षिण अफ्रीका के प्रसिध्द हीरा खदान के बाद पायलीखण्ड और बेहराडीह का यह हीरा खदान है, जहां अधिक मात्रा में बहुमूल्य हीरे भंडारित है इस सबंध में अर्थशास्त्रियों का भी कहना है। हीरा खदान से छत्तीसगढ प्रदेश को इतना आय हो सकती है कि पुरे छत्तीसगढ प्रदेश का चार साल का बजट का संचालन सिर्फ इसी हीरा खदान से किया जा सकता है और खासकर बारिश के दिनो में इन हीरा खदानो में हर वर्ष जमकर अवैध खुदाई के मामले सामने आते है, क्योंकि हीरा खदान पहुंचने से पहले इंद्रावती उंदती नदी को पार करना पड़ता है। और इस नदी में बाढ़ का लाभ उठाकर ओडिसा तथा महाराष्ट्र के तस्करों द्वारा जमकर हीरा की अवैध खुदाई करवाया जाता है।
उल्लेखनीय है कि मैनपुर से महज 13 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम बेहराडीह और 42 किलोमीटर दूर ग्राम पायलीखण्ड मे हीरे की खदाने जंगलो और पहाड़ो के बीच असुरक्षित स्थिति मे बिखरी पड़ी है। नवगठित राज्य छत्तीसगढ़ की गठन के 21 सालो बाद भी न तो न्यायालय स्तर पर और न ही शासन स्तर पर इन बिखरे अकुत खजाने हीरा खानो के विद्दोहन पर न तो नीति निर्धारण बन पाई है और न ही बीते इन सालों में इन हीरा खदाने की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कार्य योजना बनाई गई। हाल फिलहाल बिना सुरक्षा के ये हीरा खदाने लूट -पीट रही है किन्तु इन हीरा खदानो का मामला न्यायालय मे होने का तथ्य देकर शासन प्रशासन भी खदानों की सुरक्षा को लेकर संजीदा दिखाई नहीं पड़ता है। गौरतलब है कि इन खदानों में हीरे की सबसे बेहतर क्वालिटी मिलने की उम्मीद देश विदेश के भूवैज्ञानिकों ने जताई थी साथ ही उन वैज्ञानिको को इन खानो मे भारी मात्रा में हीरे की किम्बर लाईट पाईप होने का अनुमान था यदि इन हीरा खानो को लेकर यदि निर्णायक फैसला आ जाये तो देश प्रदेश की तरक्की मे इन खानो की महती भूमिका होगी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।
पायलीखण्ड बेहराडीह हीरा खदान की सुरक्षा भगवान भरोसे
बेहराडीह और पयलीखंड हीरा खदान की सुरक्षा पिछले कुछ वर्षो से भगवान भरोसे हैं। विकासखंड मैनपुर के अंतर्गत बेहराडीही और पायलीखंड के हीरा खदानों का पता आमजनों के माध्यम से प्रशासन को लगभग 30 वर्ष पूर्व छ.ग. राज्य निर्माण के पहले अविभाजित मध्य प्रदेश राज्य के जमाने में लगा था तब भी ईलाके में हीरा तस्करी के लंबे फ़ेहरिस्त की गुंज भोपाल तक पहुंची थी। तब इस मामले पर तत्परता बरतते हुए तत्कालीन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह के निर्देश पर जहां जंगल के हीरा मिलने वाले संभावित एक बडे़ हिस्से को तार के बाडों से घेर कर सुरक्षित किये जाने का प्रशासनिक उपाय किया गया तो वहीं जांगडा पायलीखंड में हीरा खदान की सुरक्षा के लिए बीएसएफ की कंपनी तैनात कि गई थी और खनिज विभाग ने बकायदा चौकीदार नियुक्त किया था। दूसरी तरफ वन संरक्षित क्षेत्र बेहराडीही में वन प्रशासन चौकीदारों को तैनात कर सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रहा था। उस दौर में खनिज विभाग के अफसर व वन प्रशासन के जिम्मेदार लोग इन हीरा खदानों की सुध लिया करते थे किन्तु बितते वक्त के बीच हीरा खदानों को लेकर दिलचस्प राजनैतिक प्रशासनिक रस्साकशी के बीच हीरा खदान की सुरक्षा व इन खदानों के स्वामित्व को लेकर बडा भुचाल देखने को मिला। जब तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार ने इन हीरा खदानों को बहुराष्ट्रीय कंपनी डिवियरस को सौंपने का फैसला लिया था। फैसले के विरूद्ध पूर्व मुख्यमंत्री स्वः अजीत जोगी ने इसका विरोध करते हुए इन हीरा खदानों को राष्ट्रीय कंपनियों को सौपे जाने की वकालत की थी बदले परिद्श्य में बेहराडीही व पायलीखण्ड की हीरा खदानों के पूर्वेक्षण व सर्वेक्षण का ठेका बी विजय कुमार कंपनी को सरकार ने सौंपा किन्तु इस कंपनी के कार्यो को लेकर उठे सवालों के बीच मामला अब तक वर्षो से न्यायालयों में लंबित हैं।
वर्ष 2006 -07 से हटा दिया गया सुरक्षा
इलाके में वर्ष 2006 -07 में नक्सलियों के आमदरफ्त बढने के बीच जहां पयलीखंड जांगडा से बीएसएफ की कंपनी को खदान की सुरक्षा से वापस बुला लिया गया तो वहीं दूसरी तरफ बेहराडीह हीरा खदान की सुरक्षा से वन प्रशासन हाथ खडे़ करते हुए अपने चौकीदारों को वर्षो पहले हटा दिया है, तब से ये दोनों हीरा खदानों की सुरक्षा भगवान भरोसे हैं। और सुरक्षा के अभाव में इन दोनों हीरा खदानों में अवैध खुदाई बहुत बडे़ पैमाने पर लगातार समय समय पर होने की जानकारी आती रहती है।
हीरा के तलबगारों ने पहाड़ों और सुरक्षा चौकी तक को खोद डाला
हीरा खदान में अवैध खुदाई की इंतिहा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं कि जंगल की नदियों और पहाडों तक को खोदने से हीरे के लुटेरों ने नहीं बख्शा हैं। अवैध खुदाई के बेरोकटोक के चलते आलम यह हैं कि समूचा वन क्षेत्र गडढों में तब्दील हो गया हैं ,हीरा जनित क्षेत्र के वृक्षों की जडों तक की 05 से 10 फिट तक की मिट्टी हीरे की तलबगार निकाल ले गये हैं,फिलहाल सुरक्षा के लिए लगाये गये तार के बाडों को अवैध खुदाई करने वाले लोग जगह जगह तोड फोड कर नष्ट कर दिये हैं और तो और सुरक्षा चौकी की नीव तक इन खुदाई से बच नहीं पाई हैं। हालाकि इन खदानों के स्वामित्व व विदोहन कौन करेगा इस पर देर सबेर न्यायालय फैसला करेगी किन्तु तब तक इस खुले खजाने को लूटने से बचाने की जिम्मेदारी तो सरकार की बनती ही हैं। बरसात के दिनों में अवैध खुदाई के खबरे आती है वैसे तो हीरा खदान क्षेत्र में पहले ही हुए अवैध खुदाई से चारो तरफ सिर्फ गडढे ही गढढे नजर आते है लेकिन बरसात के दिनों में हर वर्ष यहा अवैध खुदाई की खबरे तहसील मुख्यालय तक पहुंचना आम बात है। हीरा खदान क्षेत्र में विशाल नदी है और नदी में बाढ के पानी के चलते आसानी से मिटटी गिला हो जाने पर अवैध खुदाई किया जाता है जिसकी लगातार खबरे आती रहती है ।
खदानों में सर्वेक्षण का काम हुआ बहुत
स्थानीय लोगों का मानना है कि हीरा खदान में सर्वेक्षण का काम बहुत हो चुका है। सर्वेक्षण के नाम पर हीरा खदान क्षेत्र से काफी मात्रा में मिटटी विदेश तक भेजी गई है, लेकिन मिट्टियों का क्या रिर्पोट आया इसे विभाग द्वारा अब तक सार्वजनिक नही किया गया। इन सवालो के जवाब आज भी क्षेत्र की जनता शासन प्रशासन से मांग रही है। अब क्षेत्र के लोग जल्द से जल्द हीरा खदान में शासकीय तौर पर खुदाई करने की मांग करने लगे है, जिससे इस क्षेत्र की भी तकदीर और तश्वीर बदल सकती है।
क्या कहते है एडिशनल एसपी
इस सबंध में चर्चा करने पर गरियाबंद जिला के एडिशनल एसपी सुखंनदन सिंह राठौर ने बताया कि पिछले एक वर्षो में गरियाबंद जिला के पुलिस ने 1316 नग हीरा तस्करो से बरामद किया है, जिसकी अनुमानित लागत डेढ करोड रूपये के आसपास है। उन्होंने आगे बताया कि बेहराडीह और पायलीखण्ड हीरा खदान में सुरक्षा के लिए स्थाई रूप से कोई कंपनी तैनात नहीं है लेकिन बीच बीच में सी.आर.पी.एफ, पुलिस बल लगातार हीरा खदानो में पहुंचकर निरीक्षण करती है और गश्त किया जाता है।