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December 15, 2025

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मैनपुर के साहेबिनकछार क्षेत्र में मोबाइल में बात करने के लिए पेड़ों, घरों और ऊंची स्थानों पर चढ़ना पड़ता है 

  • शेख हसन खान, गरियाबंद 
  • सही नेटवर्क नहीं मिलने से गंभीर घटना, दुर्घटना के समय भी ग्रामीणों को नहीं मिल पाता समय पर सहायता
  • गांव में मोबाइल टावर लगाया जा चुका है लेकिन अब तक नहीं किया गया प्रारंभ, ग्रामीणों लगा चुके हैं फरियाद

गरियाबंद । आज हम डिजिटल क्रांति के दौर में जी रहे हैं लेकिन आपको यह जानकार आश्चर्य होगा गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर क्षेत्र के दुरस्थ वनांचल में बसे साहेबिनकछार क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीण डिजिटल के जमाने से कोसो दूर है। यह समस्या वर्षो पुरानी है लेकिन समाधान अब तक नहीं हुआ। यहां के निवासियों की जिंदगी में मोबाइल में बात करना एक स्वप्न है आज 5जी के जमाने में कई ऐसे गांव है जहां इंटरनेट की बात तो छोड़िए मोबाइल से बात करना भी नसीब नहीं हो पाती। यह हालात हम नहीं बल्कि मैनपुर ब्लाॅक के वनांचल में बसे ग्राम साहेबिनकछार क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीण बयां कर रहे है। यहां के लोगों को मोबाइल से बात करने के लिए पहाड़ी के उपर या फिर पेड़ तथा घरों के छत पर जाना पड़ता है।

इसके बावजूद भी ठीक ठाक बात नहीं हो पाती। साहेबिनकछार क्षेत्र की आबादी 10 हजार के आसपास है और यहां की भौगोलिक स्थिति कुछ इस तरह है कि हर तरफ से गांव जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है यहां के ग्रामीण खेती किसानी के साथ वनोपज संग्रहण का कार्य करते हैं। यह क्षेत्र आज भी घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क भी नहीं बन पाई है और तो और गांव में बिजली भी नहीं लगी है। अचानक घटना दुर्घटना की स्थिति में ग्रामीण मोबाइल के माध्यम से भी मदद की गुहार नहीं लगा सकते। कई बार बारिश के दिनों में संजीवनी एक्सपे्रस और एंबुलेंस की सुविधा नही मिलने से इस क्षेत्र के ग्रामीण मरीजों को कांवर और उल्टे खाट में बिठाकर नेशनल हाइवे बम्हनीझोला तक लाते हैं।

समय पर उपचार नही मिलने के कारण कई लोगो की अब तक मौत हो चुकी है। गांव में मोबाइल का टावर लगाया गया है जब मोबाइल का टावर गांव में लगाया जा रहा था तो ग्रामीणों में उत्साह देखने को मिल रहा था कि जल्द ही इसे प्रारंभ किया जायेगा लेकिन आज तक मोबाइल टावर को प्रारंभ नही किया गया है। पूर्व सरपंच रूपसिंग मरकाम, आदिवासी नेता अर्जुन नायक, उपसरपंच हरिहर यादव, अशोक नेताम, गजेन्द्र नाग, ईश्वर नाग, मनोज कुमार, पवन सिंह, भोलाराम नायक, सोहन सिंह, सेमलाल नाग सहित ग्रामीणों ने बताया कई बार मोबाइल टावर को प्रारंभ करने की मांग कर चुके है लेकिन अब तक इस दिशा मे कोई प्रयास नही किया गया हैं। आज भी यहां के ग्रामीण दूर संचार जैसी सुविधा से बेहद दूर है। पहाड़ों, पेड़ों और घरों के छत पर चढ़कर आधा अधुरी बात होती है। कई ग्रामीण अपने मोबाइल को पेड़ और छत के उपर लटका देते है ताकि बाहर से आने वाले फोन काॅल के बारे में पता चल सके। आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर क्षेत्र के दर्जनों ग्रामों में इस आधुनिक युग में हजारों आदिवासी ग्रामीण मोबाईल नेटवर्क नहीं होने के कारण दुर संचार जैसे महत्वपूर्ण सेवा से वंचित हो रहे हैं, जब भी क्षेत्र में कोई बडे जनप्रतिनिधि व आला अफसरों का दौरा होता है, तो यहा के ग्रामीण मोबाईल टावर लगाने की मांग प्रमुखता के साथ करते है लेकिन अब तक इस क्षेत्र के ग्रामों में मोबाईल का टावर नहीं लगाया गया है।

  • गंभीर दुर्घटना की स्थिति में नहीं मिल पाता 108 व अन्य जरूरी सेवा का लाभ

आये दिन दूरस्थ गांवो मे आपातकालीन गंभीर स्थिति या घटना दुर्घटना उत्पन्न हो जाती है। तो ऐसे में इस क्षेत्र के ग्रामीण शासन द्वारा संचालित संजीवनी 108 एवं महतारी 102 वाहन को सूचित करने के लिये नेटवर्क की तलाश में उंचे पहाड़ी इलाके वाले क्षेत्र में चढ़ते हैं। नेटवर्क मिला तो सही, वरना हताश ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अपने दूर दराज के रिश्तेदारों को संदेश भेजने के लिये इस क्षेत्र के लोग आज के आधुनिक युग में या कहा जाये तो मोबाईल नेटवर्क नहीं होने के कारण डाक विभाग के द्वारा अपना संदेश भेजते हैं।

जब ज्यादा आवश्यकता आन पड़ती है तो मुख्यालय आकर ही सही नेटवर्क के माध्यम से अपने सगे संबंधियों से बात कर पाते हैं। इस दूरस्थ आदिवासी पिछड़ी कमार भुंजिया जनजाति के लोग अब आधुनिक सुविधाओं का इस्तेमाल करना चाहते हैं लेकिन इस दिशा में ध्यान नहीं देना ग्रामीणों के तकनीकि व उन्नतशील विकास की गति पर पानी फेरता दिख रहा है।