बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा की राजनीतिक सियासत में अब तक जनता ने सबसे ज्यादा भरोसा पुजारी परिवार और राजमहल पर जताया
1 min read- बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र में पुजारी परिवार से 5 बार और राजमहल से 3 बार MLA चुने गए
- पूर्व मुख्यमंत्री पंडित श्यामचरण शुक्ल भी बिन्द्रानवागढ़ से विधायक का प्रथम चुनाव जीत कर क्षेत्र का नेतृत्व कर चुके हैं
- घने जंगल, कीमती रत्न हीरा, अलेक्जेंडर, खनिज संपदा से भरे इस अमीर धरती के ऊपर निवास करने वाले ग्रामीण आजादी के 75 वर्षों बाद भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं
- शेख हसन खान, गरियाबंद
छत्तीसगढ़ प्रदेश के गरियाबद जिला अंतर्गत बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक सियासत में आजादी के बाद से अब तक पुजारी परिवार और राजमहल छुरा परिवार का काफी महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिला है। बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र में पुजारी परिवार से 5 बार एवं राजमहल से 3 बार विधायक निर्वाचित हुए हैं जनता ने सबसे ज्यादा पुजारी परिवार और राजमहल परिवार पर भरोसा जताया है जो यहां के अब तक के हुए चुनाव परिणाम बता रहे हैं। बिंद्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र अजजा वर्ग के लिए आरक्षित है और यह विधानसभा क्षेत्र को अमीर धरती के नाम से जाना जाता है। हीरे के खदान और खनिज सम्पदाओं से भरा क्षेत्र है। इस विधानसभा का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री पंडित श्यामचरण शुक्ल भी विधायक बनकर कर चुके है।
- बिन्द्रानवागढ़ में अब तक चुने गए विधायकों पर एक नजर
आदिवासी बाहुल्य बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा सीट सन 1962 मे अजजा वर्ग के लिए सुरक्षित घोषित किये जाने के पूर्व सन 1957 मे पंडित श्यामाचरण शुक्ल यहां के विधायक चुने गये थे। 1952 में गौकरण सिंह ठाकुर विधायक मनोनित किया गया था। 1962 मे इस सीट को आदिवासी वर्ग के लिए सुरक्षित घोषित कर दिया गया तो प्रत्याशीयो के चेहरे बदल गये। 1962 मे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के खामसिंग कोमर्रा विधायक बने और 1967 में खामसिंग कोमर्रा का प्रभाव बना रहा। वे इस बार जनसंघ की टिकट पर दिया। छाप से चुनाव लड़े कांग्रेस के चरणसिंग ठाकुर को पछाड़ा कर लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए। 1972 मे निर्दलीय प्रत्याशी राजमहल से रानी पार्वतीशाह देवी को सम्मान देते हुए क्षेत्र की जनता ने भारी मतों से विधायक चुनी। 1977 मे चुनाव मे भारतीय राजनीति का परिदृश्य बदला बदला सा गया था लोग कांग्रेस से नाराज थे। जयप्रकाश की जनता लहर चल रही थी उसकी चपेट मे यह क्षेत्र भी नहीं बचा और जनता पार्टी सेे बलराम पुजारी अच्छी लीड से जीते। 1980 मे भाजपा की टिकट पर फिर बलराम पुजारी दूसरे बार विधायक चुने गए। 1985 मे कांग्रेस के ईश्वर सिंग पटेल विधायक बने, 1990 मे बलराम पुजारी भाजपा ने कांग्रेस के महेश्वर सिंह कोमर्रा को हराया और बलराम पुजारी तीसरी बार विधायक चुने गए। 1993 मे कांग्रेस के प्रत्याशी राजमहल से ओंकार शाह ने चरणसिंग मांझी को भारी मतों से पछाड़ दी । 1998 मे चरणसिंग मांझी ने कांग्रेस के ओंकार शाह को हराया। इसके बाद वर्ष 2003 मे राजमहल से ओंकार शाह फिर से कांग्रेस के विधायक बने, 2008 के चुनाव मे डमरूधर पुजारी ने भाजपा से चुनाव लड़कर ओंकार शाह को हराया। 2013 मे कांग्रेस के जनक धुव को पछाड़ कर गोवर्धन मांझी बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा से जहां विधायक बने और छत्तसीसगढ शासन में उन्हें संसदीय सचिव का जिम्मेदारी मिला। वही दुसरी ओर 2018 में बिन्द्रानवागढ विधानसभा से कांग्रेस के युवा प्रत्याशी संजय नेताम को लगभग 10 हजार वोट से हराकर भाजपा के डमरूधर पुजारी को दुसरी बार विधायक चुना गया और वर्तमान में डमरूधर पुजारी बिन्द्रानवागढ विधानसभा क्षेत्र के विधायक है।
- पुजारी परिवार से 05 बार तो राजमहल परिवार से 03 बार जनता ने विधायक चुने
- उल्लेखनीय है कि बिन्द्रानवागढ विधानसभा क्षेत्र में जंहा एक ओर पुजारी परिवार से लगातार पांच बार विधायक चुने गये। वर्तमान विधायक डमरूधर पुजारी सन् 2008 में भाजपा से विधायक पहली बार बने और 2018 में कांग्रेस लहर के बावजूद फिर डमरूधर पुजारी दूसरी बार विधायक चुने गये साथ ही वर्तमान में बिन्द्रानवागढ से भाजपा के विधायक है। डमरूधर पुजारी के पिता बलराम पुजारी 1977,1980 और 1990 में तीन बार विधायक चुने गये। इस तरह पुजारी परिवार से पांच बार विधायक चुना गया। चुनाव परिणाम यहा बताने के लिए काफी है कि क्षेत्र की जनता में इनके पकड़ काफी मजबूत है। साथ ही काफी सरल स्वभाव के माने जाते है तो वही दुसरी ओर राजमहल छुरा परिवार की बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में जबरदस्त दखल देखने को मिलता है। 1972 में राजमहल से रानी पार्वती शाह देवी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भारी मतो से विधायक चुने गये। राजमहज से ही 1993 में ओंकार शाह कांग्रेस के टिकट पर और 2003 मे फिर राजमहल से दुसरी बार ओंकार शाह भारी बहुमत से दुसरे बार विधायक निर्वाचित हुए तथा भाजपा के अभेद किला को ढाहने में ओंकार शाह को दो बार कामयाबी मिला था। सबसे महत्वपूर्ण यहां है कि राजमहल से ही पूर्व विधायक ओंकार शाह के पिता त्रिलोक शाह 1964 -67 के बीच कांकेर लोकसभा से सांसद चुने गये थे तब मैनपुर ,देवभोग क्षेत्र कांकेंर लोकसभा के अंतर्गत आता था। राजमहल परिवार का दखल बिन्द्रानवागढ की राजनीति में काफी मजबूत मानी जाती है।
- 3 बार MLA बनने के बाद भी बलराम पुजारी अपने कार्यकाल में एक कार तक नहीं खरीदे, सायकल से करते थे दौरा
गरियाबंद जिले के वरिष्ठ भाजपा नेता मुरलीधर सिन्हा ने बताया कि बलराम पुजारी लगातार तीन बार विधायक निर्वाचित होने के बाद भी इतने सरल और सौम्य थे । उन्होने अपने कार्यकाल के दौरान एक कार भी नहीं खरीदा लेकिन हर जगह हर कार्यक्रम में शामिल होते थे। पहले ऐसे विधायक बलराम पुजारी थे जो यात्री बस और पैदल तथा सायकल से मीलों यात्रा कर गांव गांव पहुंच अनेक कार्यक्रमों में शामिल होते थे साथ ही बड़े आसानी से सभी लोगों का कार्य चलते फिरते करते थे, जिसके कारण जनता उन्हे काफी पंसद करती थी। यहा तंक कि बलराम पुजारी को चौथी बार भाजपा से टिकट मिलने के बाद उन्होने नांमाकन भर भी दिया लेकिन कुछ पार्टी विरोधी लोग डमी प्रत्याशी के रूप में भाजपा के वरिष्ठ नेता घनस नागेश को नामांकन भरा दिया, जबकि बलराम पुजारी अधिकृत प्रत्याशी होने के बावजूद अपना नामांकन वापस लेकर त्याग का परिचय दिया थाा। हालांकि इसके परिणाम भी उसे चुनाव में देखने को मिला चुनाव में भाजपा प्रत्याशी धनसाय नागेश को हार का सामना करना पड़ा था। बिन्द्रानवागढ़ विधायक डमरूधर पुजारी भी अपने पिता की तरह काफी सरल और सहज स्वभाव के है। पिछले 2018 की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लहर में जब भाजपा के बड़े-बड़े दिग्गज नेता अपने सीट को नहीं बचा पाए। ऐसे समय में भाजपा के इस गढ़ बिन्द्रानवागढ़ को बचाने में डमरूघर पुजारी कामयाबी मिली हैं जिसके कारण आगामी चुनाव में वह पार्टी के सबसे मजबूत प्रत्याशी के रूप में देखा जा रहा है।
- 2023 के चुनाव में राजमहल की क्या होगी भूमिका, चर्चा का विषय
राजमहल परिवार से कांग्रेस के दो बार बिन्द्रानवागढ़ में विधायक का चुनाव जीतकर प्रतिनिधित्व करने वाले ओंकार शाह को पिछले 2018 के चुनाव में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर नाराज होकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ें थे। लगभग 20 हजार वोट प्राप्त किए थे जिसके चलते कांग्रेस प्रत्याशी संजय नेताम को हार का सामना करना पड़ा था लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कहने पर कांग्रेस प्रत्याशी के लिए ओंकार शाह चुनाव प्रचार का कमान भी संभाला था और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से इस्तीफा भी दे चुके हैं।
ओंकार शाह अनेक सामाजिक व परिवारिक कार्यक्रमो के तहत अपनी उपस्थिति क्षेत्र में दर्ज कराते रहे है, बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र के लगभग हर गांव में आदिवासी समाज के मुखिया, प्रमुखों और कांग्रेस के पुराने नेता वरिष्ठ कार्यकर्ताओ की एक बड़ी टीम ओंकार शाह के साथ हमेशा खड़े नजर आते हैं। श्री शाह को कांग्रेस के काफी अनुभवी नेता के रूप में जाने जाते है और मुख्यमंत्री भुपेश बघेल के करीबी भी बताए जाते है, लेकिन विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने दावेदारी अभी तक नहीं किया है। ओकार शाह का आगामी विधानसभा चुनाव में क्या रूख रहेगा यह आने वाले समय ही तय करेंगा । हालांकि राजमहल परिवार से यष्पेन्द्र शाह ने बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा चुनाव के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है।