बेटी ने दी पिता की चिता को मुखाग्नि
1 min readबेटा ना होने की स्थिति में लिया यह निर्णय
झारसुगुड़ा/raipur। odisha news – अब तक बेटा और बेटी में बराबरी का दर्जा दिए जाने की बातें और दावे अधिकतर मंचीय भाषणबाजी और कागज के पन्नों पर दिए जाते रहे पर आज झारसुगुड़ा में सिक्ख परिवार में युवक के निधन पर उसके पुत्र न होने की स्थिति में इकलौती बिटिया ने अपने पिता के अंतिम संस्कार में मुखाग्नि देकर जहां एक नया इतिहास रचा है वहीं बेटा-बेटी बराबरी का दर्जा दिए जाने का साक्षात जीवंत उदाहरण प्रस्तुत हुआ जिसकी मिसाल के साथ आसपास क्षेत्र में सार्थक प्रतिक्रिया भी मिलनी आरंभ हो गई है।
उड़ीसा प्रांत के झाड़सुगुड़ा शहर के प्रतिष्ठित छाबड़ा परिवार के युवक इंद्रजीत सिंह छाबड़ा उर्फ राजा का 45 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। एक ओर जहां पूरा परिवार शोक के गहन सागर में डूबा हुआ था वही दूसरी ओर शोक की भारी पीड़ा को झेल रही मृतक की अर्धांगिनी श्रीमती सिमर छाबड़ा के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। वह अपनी इकलौती संतान 12 वर्षीय कु। स्वाति छाबड़ा के हाथों से अपने पति का अंतिम संस्कार मुखाग्नि कराने का दृढ़ निश्चय कर रही थी। लोगों की दुहाई और सामाजिक मान्यता को दरकिनार करते हुए मृतक युवक की धर्मपत्नी ने दृढ़ निश्चय के साथ अपनी और अपने पति की इकलौती संतान कु। स्वाति के हाथों ही मुखाग्नि का निर्णय लेकर बेटा और बेटी के बीच की दूरी को खत्म भी कर रही थी। आज नियत निर्धारित समय में जब सिक्ख युवक इंद्रजीत की अंतिम यात्रा निकली तो उसकी इकलौती बेटी न सिर्फ उसमे शामिल हुई बल्कि अंतिम संस्कार रस्म में मुखाग्नि देकर सभी को चमत्कृत भी कर दिया। मृतक इंद्रजीत की पत्नी सिमर ने कहा कि हमारा बेटा नहीं तो क्या हुआ बेटी ही हमारी सब कुछ है और यही जीवन की सच्चाई है। आज मेरी बेटी सिर्फ रस्म अदायगी के लिए मुखाग्नि नहीं देगी बल्कि इस मासूम कोमल हृदय में वो निर्भयता जन्म लेगी जिसका इसे भविष्य में सामना करना होगा।