शराब दुकाने खूल गई, होम डिलीवरी की जरूरत क्यों – देवजी भाई पटेल
1 min readजहां से लोगों को सरलता से शराब उपलब्ध हो रही है, बावजूद होम डिलीवरी पर सरकार और उसके नुमाइंदों को इतना दिलचस्पी क्यों?
रायपुर । प्रदेश की कांग्रेस सरकार कोरोना संक्रमण नियंत्रण के आड़ में खुलेआम प्रदेशवासियों को सिर्फ शराब परोसने में जुटी हुई है, पहले सोशल डिस्टेंनसिग को अनदेखा कर जहां शराब दुकानों को खोलवाया , वहीं अब घर पहुंच सेवा देने को बढ़ावा देने में लगी है , नियत तो तभी स्पष्ट हो गया था, जब सरकार ने राशन दुकानों को हफ्ते में दो दिन और शराब दुकानों के लिए पूरे 5 दिन खोलने का घोषणा किया । और आनन-फानन में शराब की अवैध बिक्री को बढ़ावा देने के लिए तत्काल पायलट प्रोजेक्ट बनाकर होम डिलीवरी शुरू करवाया शराब की अवैध कमाई से सरकार अंधा हो गया है और वह प्रदेश की जनता को साबित करने में लगा है कि प्रदेश की जनता को राशन से कहीं शराब की जरूरत अधिक है, अनाज भले ना मिले मगर प्रदेश में 5 दिन निरंतर शराब जरूर मिलेगी । अर्थव्यवस्था का सुधार सिर्फ और सिर्फ शराब पर ही है यह भी बताने में कोई असर नहीं छोड़ा।
कांग्रेस की बदनियती का खेल तो अब शुरू होने जा रहा है जब प्रदेश का वातावरण सामान्य होने जा रहा है , तब भी सरकार शराब की होम डिलीवरी के लिए नियम नीति बनाने में रात दिन एक कर दिया दिनांक 14 मई को जारी होम डिलीवरी का टेंडर यह साबित कर दिया। शराब की दुकानों में भीड़ सामान्य हो गई है फिर अब भी होम डिलीवरी पर इतना हाय तौबा क्यों? सरकार के पास सारे संख्यिकी उपलब्ध है प्रदेश में लगभग 90 प्रतिशत शराब देसी और विदेशी कंपनी के आम वर्ग के लोगों में खपत है, महज 10% खपत उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग के बीच है
और यह भी जानते हैं कि शराब की दुकानें खुली है, और वह मनचाहे शराब खरीदी कर रहे हैं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो ना हो ,इधर किसी का ध्यान नहीं है । वहीं 10% उच्च मध्यम वर्ग में खपत के लिए अलग से प्रीमियम शाप की भी व्यवस्था है । जहां से लोगों को सरलता से शराब उपलब्ध हो रही है, बावजूद होम डिलीवरी पर सरकार और उसके नुमाइंदों को इतना दिलचस्पी क्यों?
शासन स्तर के अधिकृत एजेंसी द्वारा जारी टेंडर में 15 करोड़ के ऑनलाइन होम डिलीवरी का मामला भी एक बड़ा षड्यंत्र है। टेंडर शर्तों में चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन एजेंसी को ही काम देने का खेल खेला जा रहा है । होम डिलीवरी के लिए महज एक माह का अनुभव हास्यास्पद है। सरकार तत्काल प्रभाव से निविदा निरस्त कराए , होम डिलीवरी पूरी तरह बंद किया जाए वरना सरकारी तंत्र इसके आड़ में करोड़ों अरबों का वारा न्यारा करने में नहीं चूकेंगे । छत्तीसगढ़ में प्रदेश की आम जनता ,बच्चे, विशेषकर महिलाएं निरंतर शराब विरोधी हैं, संघर्षरत हैं । लाकडाउन के लगभग 60 दिन की दिनचर्या में शांति व्यवस्था को देखकर लाक डाउन के समय में भी शराब दुकान खुलने का विरोध कर चुके हैं, पूर्ण शराबबंदी सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, जिससे उनके द्वारा लिए गए गंगाजल की शपथ पूरी हो सके ।