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November 20, 2024

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भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में 10 lakh पहुंचे

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Lord Jagannath's Rath Yatra

odisha news

भुवनेश्वर/पुरी। puri jagarnath rath yatra – जय जगन्नाथ के जयघोष के साथ महाप्रभु श्री जगन्नाथ की नौ दिवसीय विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा शुरू हो गई है। बारिश के बावजूद लाखों की संख्या में भक्तों का सैलाब महाप्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा का साक्षी बना।कड़ी सुरक्षा के बीच एक के बाद एक तीनों रथों को खींचकर रत्न वेदी से जन्म वेदी अर्थात गुंडिचा मंदिर तक पहुंचाए। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ कई गणमान्य व्यक्ति विशेष श्रीक्षेत्र धाम पहुंचकर रथ पर विराजमान महाप्रभु के दर्शन करते हुए राज्य, देश एवं विश्व के कल्याण की कामना की है। चारों तरफ बस जय जगन्नाथ, नयन पथगामी भव तुमे गूंजता रहा। पुरी श्रीक्षेत्र भक्तिमय हो गया। ढोल-नगाड़े के साथ पारंपरिक वाद्य यंत्र पर नृत्य गीत करते झूमते हुए भक्त इस रथयात्रा में शामिल हुए।

Lord Jagannath's Rath Yatra
चतुर्धा मूर्ति रथ पर विराजमान होने के बाद जगतगुरू शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने तीनों रथ पर जाकर महाप्रभु के साथ श्री विग्रहों के दर्शन किए। इसके बाद गजपति महाराज दिव्यसिंहदेव ने रथ पर पहुंचकर छेरा पंहरा किए अर्थात रथ पर सोने के झाड़ू से झाड़ू लगाए। गजपति महाराज के छेरा पहंरा करने के बाद रथ खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई। इस अवसर पर पुरी शहर में चारों तरफ सुरक्षा के क़ड़े इंतजाम किए गए थे। खासकर बड़दांड में परिंदा भी पर न मार सके इसके लिए प्रशासन की तरफ से त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था को अपनाया गया था। जमीन से लेकर आकाश व समुद्र मार्ग पर पुलिस प्रशासन की तरफ से पैनी नजर रखी गई थी।
सुबह 8:30 बजे श्री जीओं की पहंडी बिजे शुरू हुई। सबसे पहले सुदर्शन जी को पहंडी बिजे में लाकर रथ पर विराजमान किया गया।
सबसे पहले प्रभु बलभद्र जी के तालध्वज रथ को 2 बजकर 15 मिनट पर खींचने की प्रक्रिया शुरू की गई और 5:45 बजे प्रभु बलभद्र जी का रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच गया। इसके बाद देवी सुभद्रा जी का रथ दो बजकर 40 मिनट पर खींचना शुरू और करीबन 6:10 बजे गुंडिचा मंदिर के सामने रथ पहुंच गया। सबसे अंत में महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के रथ को खींचने की प्रक्रिया 3:40 बजे शुरू हुई और 6 बजकर 45 मिनट पर रथ गुंडिचा मंदिर के सामने पहुंच गया। इसके बाद महाप्रभु के बड़े भाई बलभद्र जी एवं बहन सुभद्रा जी की पहंडी बिजे सम्पन्न की गई। सबसे अंत में महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी को पहंडी बिजे में लाकर रथ पर विराजमान किया गया। सुबह 8:15 बजे रथ प्रतिष्ठा किए जाने के बाद निर्धारित समय से एक घंटे पहले ही पहंडी बिजे शुरू कर दी गई। तीनों रथों पर गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव के छेरा पहंरा के बाद रथ में चारीमाल अर्थात घोड़ा लगाए गए। तीनों रथों में घोड़ा एवं सारथी लगाए जाने के बाद रथ खींचने की प्रक्रिया शुरू की गई।

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