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October 17, 2024

समाचार पत्र और मीडिया है लोकतंत्र के प्राण, इसके बिन हो जाता है देश निष्प्राण।

जन्म देकर हमें मुस्कुराती है माँ

सारी दुनिया का भार उठाती है माँ
हर मुसीबत में धिरज दिलाती है माँ।
खुद गीले में सोकर सूखे में सुलाती है
हरपल सहारा देकर दिल को समझाती है।।

जन्म देकर हमें मुस्कुराती है माँ….

भूखे रहकर निवाला खिलाती है माँ
खून से सींचकर हमें बढ़ाती हैं माँ।
सर्दी गर्मी से आँचल में छुपाती है
दिल को सुकून कैसी दिलाती है।।

जन्म देकर हमें मुस्कुराती है माँ….

कष्ट सह करके आगे बढ़ाती है माँ
संस्कारों का संस्कार कराती है माँ
गुरु बन करके हमको पढ़ाती है
सही गलत का पहचान कराती है

जन्म देकर हमें मुस्कुराती है माँ…..

  रचना:  धरमराज सिन्हा, एडवोकेट जिला गरियाबंद

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