निखिल राखेचा ऐसे पहले पुलिस अधीक्षक जो पथरीले पगडंडी रास्तों को पैदल पार कर पहाड़ी पर बसे नक्सल प्रभावित ग्रामों में पहुंच ग्रामीणों से मुलाकात किया
- शेख हसन खान, गरियाबंद
- गरियाबंद जिले के मैनपुर कुल्हाड़ीघाट पहाड़ी के ऊपर बसे ग्राम भालूडिग्गी पहुंच पुलिस अधीक्षक ने ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं
गरियाबंद। गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखंड मैनपुर क्षेत्र के कुल्हाड़ीघाट दुर्गम पहाड़ी के ऊपर बसे विशेष पिछड़ी कमार जनजाति ग्राम भालू डिग्गी में गरियाबंद जिले के युवा पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा जब मिलो पैदल दूरी को पार कर पहुंचे तो ग्रामीणों ने अपने बीच जिले के पुलिस कप्तान को अचानक देखकर खुशी से गदगद हो उठे,कुल्हाड़ीघाट अंतर्गत उड़ीसा सीमा से लगे भालूडीगी गांव, जिसे कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था, अब एक नई उम्मीद की किरण देख रहा है। जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) निखिल राखेचा ने पहली बार पुलिस टीम के साथ इस दुर्गम इलाके में पैदल पहुंचकर ग्रामीणों का भरोसा जीतने की पहल की है। मिली जानकारी के अनुसार पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा अपनी टीम के साथ मैंनपुर थाना क्षेत्र के कुल्हाड़ी घाट तक वाहन से पहुंचे और फिर वहां से करीब 12 -13 किलोमीटर की कठिन पहाड़ी चढ़ाई पैदल तय कर भालूडीगी पहुंचे। भालू डिग्गी पहुंचने के लिए अब तक सड़क का निर्माण नहीं किया गया है पगडंडी और पथरीले फिसलन भरे रास्तों को पार कर पैदल पहुंच जाता है यहां आजादी के बाद से लेकर अब तक कोई भी बड़े अफसर एवं सांसद विधायक नहीं पहुंचे हैं। पुलिस अधीक्षक और उनकी टीम करीब 6-7 घंटे पैदल चलने के बाद यहां पहुंचे, जिसमें उन्होंने दो घंटे स्थानीय ग्रामीणों के बीच बैठकर न सिर्फ उनकी समस्याएं सुनीं, बल्कि उनके साथ भोजन भी किया।

- पहली बार सिविक एक्शन कार्यक्रम में ऐसी पहल
पुलिस सिविक एक्शन कार्यक्रम के तहत यह पहला मौका था जब जिले के किसी पुलिस अधीक्षक ने इतनी दूर, दुर्गम और नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्वयं पहुंचकर जनता से सीधा संवाद किया। पुलिस टीम अपने साथ स्कूली बच्चों के बैग, साड़ियां, छाते, टॉर्च जैसी दैनिक उपयोग की वस्तुएं भी लाई थी, जिन्हें उन्होंने ग्रामीणों को भेंट किया। जो ग्रामीण पहले नक्सलियों को देखकर भयभीत होते थे, इस बार पुलिस अधीक्षक और उनकी टीम को अपने बीच पाकर हैरान भी हुए और खुश भी। उन्होंने इस पहल का खुले दिल से स्वागत किया।
- गरियाबंद पुलिस ग्रामीणों के बीच लगातार पहुंच कर विश्वास जगा रही
गरियाबंद पुलिस नक्सली गतिविधियों के बीच ग्रामीणों के नजदीक पहुंचकर विश्वास का प्रयास जग रही है कि पुलिस हमेशा जनता की सेवा के लिए तत्पर है। गौरतलब है कि भालूडीगी क्षेत्र ओडिशा सीमा से लगा हुआ है। कभी यह इलाका नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना माना जाता था। इसी साल जनवरी में इसी क्षेत्र में माओवादी सेंट्रल कमेटी के सदस्य चलपति समेत 16 नक्सलियों को सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में ढेर किया था। यह कार्रवाई पुलिस अधीक्षक राखेचा की रणनीति का ही परिणाम थी।
- बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे पहाड़ी पर बसे गांव
गरियाबंद जिले के मैनपुर अंतर्गत कुल्हाड़ीघाट ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम तराझर, कुर्वापानी, मटाल, भालू डिग्गी जैसे एक दर्जन ऐसे गांव पारा टोला पहाड़ी के ऊपर बसा हुआ है जो मूलभूत बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। आज भी इन गांव में पहुंचने के लिए जहां सड़क नहीं है वहीं दूसरी ओर आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की इन ग्रामों में आज तक हैंडपंप की भी व्यवस्था नहीं की गई है ग्रामीण झरिया का पानी पीने विवाह होते हैं और तो और स्कूल भवन भी नहीं है आंगनबाड़ी भवन भी नहीं है। झोपड़ियों में स्कूल का संचालन किया जाता है। शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ आज भी यह निवास करने वाले ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। पहाड़ी में बसे ग्रामीण राशन सामग्री ले जाने के लिए घोड़ा पाले हुए हैं। राशन सामग्री को घोड़े के माध्यम से गांव तक पहुंचाया जाता है और तो और स्वास्थ्य की कोई सुविधा नहीं है। अत्याधिक बीमार की स्थिति में पहाड़ी के ऊपर निवास करने वाले ग्रामीणों को कांवर में बिठाकर कुल्हाड़ीघाट तक लाया जाता है उसके बाद ही एंबुलेंस व अन्य सुविधा उपलब्ध हो पाती है। इस क्षेत्र के ग्रामीणों ने कई बार इन समस्याओं से जिले के आला अफसरों एवं सांसद विधायक को समस्या से अवगत करा चुके हैं।
- पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा ने ग्रामीणों से कहा- पुलिस आपके साथ है
गरियाबंद पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा का कहना है कि नक्सली ग्रामीणों की सीधे-साधे और भोली भावनाओं का फायदा उठाते हैं और उन्हें भ्रमित करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया, “हम हर उस स्थान तक जाएंगे जहां जनता रहती है। हम यह संदेश देना चाहते हैं कि पुलिस प्रशासन हर समस्या, हर जरूरत को पूरा करने के लिए हर नागरिक के साथ सदैव तत्पर होकर खड़ी है। एसपी राखेचा ने कहा कि लोगों में विश्वास बढ़ाना, शासन की योजनाओं से उन्हें जोड़ना और सुरक्षा का एहसास दिलाना ही इस पहल का मकसद है।
