26 मई को किसानों ने खेतों, खलिहानों, घरों में मनाया काला दिवस
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- रामकृष्ण ध्रुव, गरियाबंद
- दिल्ली सीमाओं पर जारी किसान आन्दोलन को हुआ 6 महीने पूरा
- किसान व जनविरोधी मोदी सरकार के निरंकुश शासन का भी हुआ सात साल पूरा
- भारतीय किसान संघ किसानों का पक्षधर नहीं बल्कि कॉरपोरेट घरानों का गुलाम है
संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के घटक संगठनों द्वारा 26 मई को खेतो, खलिहानों, घरों में काला दिवस मनाते हुए किसान अपने घरों, गाड़ियों में काला झण्डा लगाए और सिर पर काला साफा बांधकर काम भी करते रहे तथा निरंकुश शासक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और संवेदनहीन कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का पूतला फूंके।
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अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा छत्तीसगढ़ के उपाध्यक्ष मदन लाल साहू ने कहा कि साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने ’’हर हर मोदी, घर घर मोदी’’ का नारा दिया था। इसी के साथ साथ बहुत हो गई महंगाई की मार अबकि बार मोदी सरकार, बहुत हो गई भ्रष्टाचार अबकि बार मोदी सरकार जैसे नारे दिए थे, पेट्रोल डीजल की दामों को कम करने जैसे लोक लुभावन वायदे किये थे। लेकिन आज मोदी के सात साल पूरे होने को है और उनके वायदे केवल जुमले बनकर रह गये। जिस प्रकार हर साल दो करोड़ बेरोजगारों को रोजगार देने, प्रत्येक भारतीयों के बैंक खातों में 15-15 लाख रुपये देने का वायदा किया था उसी प्रकार किसानों को उनके उपजों का स्वामीनाथान आयोग की सिफारिशो के अनुरुप लागत से डेढ़ गुणा समर्थन मूल्य देने का वायदा किया था जो आज झूठा साबित हो चुका है।
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उल्टे कृषि को काॅरपोरेटों के हवाले करने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बाजार के हवाले करने की नियत से 05 जून 2020 को अध्यादेश लाकर मोदी सरकार ने काॅरपोरेट परस्त व किसान कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी कानून को जबरदस्ती थोपा है जिसके खिलाफ किसानों का आन्दोलन निरंतर जारी है। प्रदर्शन पश्चात् राष्ट्रपति के नाम नायब तहसीलदार राजिम अंकुर रात्रे को ज्ञापन सौंपा गया।
अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के सचिव तेजराम विद्रोही ने कहा कि मोदी सरकार सभी सार्वजनिक संस्थानों जैसे रेल्वे, बैंक, बीमा, भेल, हवाई आदि को नीजि हाथों में बेच रहा है, कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए ही श्रम कानूनों में संशोधन कर मजदूर विरोधी चार कोड बिल बनाया, कोरोना जैसे महामारी के पहले चरण में नमस्ते ट्रंप किया और दूसरे चरण में पांच राज्यों के विधनसभा चुनाव के बहाने कोरोना संक्रमण की गंभीरता को हल्के में लिया और जब भारत की लाखों जनता कोरोना से अपनी जान गवां चुके हैं, आज भी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराया हुआ है उसे दुरुस्त न कर अनावश्यक रूप से करोड़ों रुपए खर्च कर सेंट्रल वीष्टा बनाने में लगा हुआ है। आपदा को अवसर में बदलकर आवश्यक वस्तुओं की महंगाई बढ़ाने वाले मुनाफाखोरों, कालाबाजारियों पर मोदी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। अर्थात् मोदी सरकार हर मोर्चे पर असफल साबित हुआ है जो देश के मेहनतकश मजदूर किसानों और आम उपभोक्ताओं के लिए किसी अंधकारमय दिन से कम नहीं है।
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अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा छत्तीसगढ़ के सह सचिव ललित कुमार ने कहा काला दिवस का विरोध करने वाली आरएसएस की किसान संगठन भारतीय किसान संघ द्वारा किसानों द्वारा काला दिवस का विरोध करने पर किसान नेताओं ने कहा कि छै महीने से जारी किसान आंदोलन ने भारतीय किसान संघ के जन आधार को समाप्त कर दिया है वह अपने शासक भारतीय जनता पार्टी और कॉर्पोरेट जगत का गुलाम हो चुका है इसलिए वे “खिसियानी बिल्ली, खंभा नोचे” कहावत की तरह शांतिपूर्ण किसान आंदोलन को बदनाम करने में लगा रहता है।धरना प्रदर्शन में धनेश्वरी, संगीता, मनोज कुमार, मोहन लाल, रमेश कुमार, संतोषी, पीली बाई सम्मिलित रहे।