गरियाबंद के नया कलेक्टर दीपक अग्रवाल से मैनपुर विकासखंड के लोगों को काफी उम्मीदें
- शेख हसन खान, गरियाबंद
- गरियाबंद जिला बने 11 वर्ष हो गए अब तक मैनपुर क्षेत्र की ना तो तकदीर बदली और ना तस्वीर
गरियाबंद। गरियाबंद जिलावासियों के लंबे संघर्ष के बाद भाजपा के डाॅ. रमन सिंह सरकार द्वारा 2012 में गरियाबंद को जिला की सौगात मिला है। गरियाबंद को जिले की सौगात मिलने से खासकर आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर ब्लाॅक के लोगों को विकास को लेकर भारी उम्मीद देखने को मिल रहा था लेकिन पिछले 11 वर्षो में जिले के भीतर 11 कलेक्टर बदले गये। इसके बावजूद मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र के लोगों को जो सुविधाएं मिलना चाहिए आज तक नहीं मिल पाया।
11 जनवरी को गरियाबंद जिले का स्थापना दिवस है और जिला 12 वां वर्ष में प्रवेश करेगा साथ ही छत्तीसगढ़ में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनते ही जिले में नये कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने पदभार ग्रहण किया है। नये कलेक्टर दीपक अग्रवाल से मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र के लोगों को विकास को लेकर उम्मीद देखने को मिल रही है।
क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़े विकासखण्ड मैनपुर को माना जाता है। यह विकासखण्ड क्षेत्र लगभग 80 से 90 किलोमीटर में बसा हुआ है, जिसके कई क्षेत्र ओडिशा सीमा से लगा हुआ है और घने जंगल नदी, नाले, पहाड़, पर्यटन स्थल के साथ खनिज सम्पदा हीरा खदान के नाम से पुरे प्रदेश , देश विदेश जाना पहचाना जाता है और तो और उदंती अभ्यारण्य मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र में है उदंती अभ्यारण्य को राजकीय पशु वनभैसों के नाम से पहचाना जाता है। इतना ज्यादा महत्व रखने के बाद भी यह क्षेत्र विकास के दृष्टि से पिछड़ा हुआ है, जिसके चलते दर्जनों ग्राम जो पहाड़ी के ऊपर बसा हुआ है। उन ग्रामों में पहुंचने के लिए आज तक पक्की सड़क का निर्माण नहीं किया जा सका है मैनपुर विकासखण्ड के दुरस्थ वनांचल पहाड़ी पर बसे ग्राम ताराझर,कुर्वापानी, मटाल, नारीपानी, भालूडिग्गी, अमली जैसे गांवों में आज तक पीने के पानी की व्यवस्था शासन प्रशासन नही कर पाई है यहां के ग्रामीण झरिया खोदकर पानी पीने को मजबूर हो रहे है और तो और इन ग्रामों में बिजली, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे सुविधा का अभाव है, वही मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र के 50 से ज्यादा पाराटोला गांव में आज तक बिजली की रौशनी नही पहुंची है जहां सौर उर्जा के माध्यम से बिजली की व्यवस्था की गई है लेकिन बैट्री व अन्य तकनीकी खराबी के कारण महज दो – तीन घंटा जलने के बाद रातभर लोगो को अंधेरा में जीवन गुजारना पड़ता है आज भी इस क्षेत्र के अधिकांश स्कूलों में एक शिक्षक के भरोसे पढ़ाई किया जा रहा है। शिक्षा व्यवस्था की हालत बेहद खराब है। स्वास्थ्य सुविधा भगवान भरोसे संचालित हो रहा है मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र के दुरस्थ वनांचल के लोग ओड़ीसा ईलाज कराने जाने को मजबूर होते हैं।
- सड़क, पुल, पुलिया भवन व कई निर्माण कार्य की स्तर बेहद ही घटिया, नहीं होती मानिटीरिंग
मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र में कई विभागों के द्वारा किये जा रहे निर्माण कार्यों की स्थिति बेहद ही खराब है जिसके पीछे मुख्य कारण माॅनीटिरिंग नही होना बताया जाता है क्योकि दुरस्थ वनांचल होने के कारण क्षेत्र में संबधित विभाग के आला अफसर बहुत कम पहुंचते है, जिसके कारण निर्माण एजेंसी मनमाने तरीके से कार्य को अंजाम देते है। आज भी दर्जनों स्कूल भवन वर्षो से अधुरा पड़ा हुआ है और इन निर्माण कार्यों की राशि आहरण किया जा चुका है। गांव में चल रहे निर्माण कार्य चाहे लोक निर्माण विभाग का हो या फिर नल जल योजना की उसकी गुणवत्ता को लेकर क्षेत्र की जनता हमेशा शिकायत करते आ रहे हैं लेकिन शिकायतों पर कोई ठोस कार्यवाही नही होने के कारण सरकार के महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ क्षेत्र के लोगों को नहीं मिल पाता, पंचायतों में दर्जनों निर्माण कार्य अधुरे पडे हुए हैं । शिकायतों का अंबार आवेदन जनपद से लेकर जिला स्तर कार्यालय तक बंडल का बंडल पड़ा हुआ है न इस मामले में जांच होती है और न ही कार्यवाही और तो और जांच रिर्पोट भी सार्वजनिक नहीं किया जाता।
- नया कलेक्टर दीपक अग्रवाल से मैनपुर ब्लाॅक के लोगों को विकास की जगी उम्मीद
गरियाबंद में नये कलेक्टर दीपक अग्रवाल के पदभार ग्रहण करने के बाद और छत्तीसगढ में फिर से भाजपा सरकार बनने के बाद अब मैनपुर आदिवासी क्षेत्र के लोगों में स्वास्थ्य शिक्षा, सड़क, बिजली, पुल, पुलिया, पेयजल जैसे मूलभूत समस्याओं के समाधान और विकास को लेकर उम्मीद की किरण जगी हुई है।