बदहाल शिक्षा व्यवस्था – गरियाबंद जिले के आदिवासी मैनपुर क्षेत्र में बच्चे झोपड़ी के एक कमरे में सुनहरे भविष्य गढ़ने मजबूर
- शेख हसन खान, गरियाबंद
- ग्रामीणों के मांग के बावजूद आज तक शिक्षा विभाग के स्थानीय अधिकारी तक झांकने नहीं पहुंचे
गरियाबंद। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों सहित पूरे प्रदेश में बेहतर शिक्षा व्यवस्था की दम भरते नहीं थक रहे है। आज शहरों व राजधानी के बच्चों को स्कूलों में बेहतर से बेहतर कंप्यूटर शिक्षा तक उपलब्ध कराई जा रही है। बावजूद इसके ठीक विपरीत गरियाबंद जिले के मैनपुर आदिवासी विकासखण्ड क्षेत्र के बीहड़ वंनाचल में बसे ग्रामों में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति सुधारने के बजाय लगातार बिगड़ती जा रही है। ग्रामीणों के द्वारा मांग करने के बावजूद व्यवस्था सुधारने वाले जिम्मेदार अधिकारीयों द्वारा समस्याओं का समाधान करना तो दुर इस ओर झांक कर देखना भी पंसद नहीं कर रहे हैं ।

तहसील मुख्यालय मैनपुर से लगभग 35 किलोमीटर दुर मोंगराडीह से 3 किलोमीटर घने जंगल के अंदर बसा ग्राम मोतीपानी में शासन प्रशासन द्वारा वर्षो पूर्व बकायदा प्राथमिक शाला भवन का निर्माण कर स्कूल प्रारंभ किया गया लेकिन घटिया स्तर के भवन निर्माण के कारण समय से पहले भवन जर्जर हो गया। बच्चे जान जोखिम में डालकर पढाई करने मजबूर हो रहे थे तब जर्जर भवन छत टुट टुटकर गिर रहा था तो स्कूल का संचालन पेड़ के नीचे प्रारंभ किया बच्चों की समस्या को देखते हुए ग्रामवासियों ने चंदा एकत्र कर कच्ची मिटटी का एक कमरे का झोपड़ी बनाकर पिछले तीन वर्षों से मोतीपानी में शासकीय प्राथमिक शाला का संचालन किया जा रहा है। झोपडी के एक कमरे के भीतर पांच कक्षा संचालित किया जा रहा है।
एक कमरे के भीतर कैसे पांच कक्षा संचालित किया जा रहा होगा जो सोचने को मजबूर करता है। जंहा कक्षा पहली, दुसरी, तीसरी, चौथी और पांचवी के छात्र एक साथ बैठकर पढ़ाई कर रहे है और इसकी दर्ज संख्या 41 छात्र छात्राओं की है। इन्हें पढ़ाने के लिए शासन द्वारा 02 शिक्षक की व्यवस्था किया गया है। स्कूल झोपड़ीनुमा कमरे में सामने हिस्सा पुरा खुला है जिसके कारण यहा स्कूल के रजिस्टर व अन्य दस्तावेज भी रखना सुरक्षित नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक साथ एक कमरे के भीतर पांच कक्षाओं को बच्चों को एक साथ पढाना किसी जादूगरी से कम नहीं है, क्योंकि कक्षा पहली और कक्षा पांचवीं के छात्र एक साथ क्या पढ़ाई करते होंगे। इसकी स्वंय आंकलन किया जा सकता है।
- बीईओ और शिक्षा विभाग के अफसर अब तक नहीं पहुंचे
शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष हुलार सिंह, नवल सिंह, सगरू राम, प्रेमलाल, अर्जन कुमार ने बताया कि जर्जर स्कूल के कारण ग्रामीणों ने अपने स्वंय चंदा एकत्र कर एक कमरे का निर्माण कर स्कूल का संचालन कर रहे हैं। इसकी बदहाल स्थिति के संबंध में मैनपुर विकासखण्ड शिक्षा कार्यालय पहुचकर कई बार लिखित में आवेदन दिया जा चुका है लेकिन समस्या का समाधान करना तो दुर आज तक विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी या कोई भी शिक्षा विभाग के अधिकारी इस गांव तक नही पहुंचे हैं। हालांकि इस गांव में नया स्कूल भवन स्वीकृत है लेकिन निर्माण कार्य पिछले दो वर्षो से अधुरा पड़ा हुआ है जब निर्माण कार्य की कोई मानिटरिंग ही नहीं होगा तो सबंधित कार्य एजेंसी भी निर्माण कार्य को बंद कर दिया है।
- कलेक्टर से लगाई फरियाद
ग्राम मोतीपानी के ग्रामीणों ने गरियाबंद कलेक्टर भगवान सिंह उईके से मांग किया है कि इस गांव वालों की समस्या को देखते हुए आदिवासी क्षेत्र के स्कूली बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराई जाए।
