बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था – गरियाबंद जिले के मैनपुर ब्लाक के 1 लाख 75 हजार लोगों के लिए मात्र 2 डाॅक्टर, ईलाज के लिए ओडिसा पर निर्भर
1 min read- शेख हसन खान, गरियाबंद
- मैनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में नहीं है मूलभूत सुविधाए, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र उरमाल, झरगांव, शोभा की स्थिति भी बदहाल
- आदिवासी मैनपुर ब्लाक के ग्रामीण वर्षो से कर रहे हैं महिला डाॅक्टर की मांग, अब तक एक महिला डाॅक्टर की नहीं की गई तैनाती
गरियाबंद । गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर क्षेत्र में आजादी के 75 वर्षो बाद भी लाखों ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नही मिल पा रहा है। हालांकि सरकारी आंकड़ा कुछ और ही बया करती है, लेकिन जमीनी सच्चाई यहा है कि ग्रामीणों को आज भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए ओडिसा प्रदेश पर निर्भर रहना पड़ता है। तहसील मुख्यालय मैनपुर नगर में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र वर्षो से स्थापित है और आलीशान भवन का निर्माण भी किया गया है लेकिन मैनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मूलभूत बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में कुल डाॅक्टरो के स्वीकृत पद 11 है लेकिन मैनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में मात्र 02 डाॅक्टर की वर्तमान में तैनात है जिसमें एक डाॅक्टर बीएमओ होने के कारण बैठक व अन्य विभागीय कार्यो में आने जाने से एक मात्र डाॅक्टर के सहारे यह अस्पताल संचालित हो रहा है और एक डाॅक्टर दिनरात 24 घंटा अपनी सेवा देते दिखाई देता है लेकिन बुनियादी समस्या के चलते मैनपुर अस्पताल सिर्फ रिफर सेंटर बनकर रह गया है। छोटी छोटी बीमारियों और घटना दुर्घटना पर अस्पताल में सुविधा नहीं होने पर सीधा गरियाबंद और रायपुर रिफर करना पड़ता है। अस्पताल में आये दिनो जिले के आला अफसरों से लेकर जनप्रतिनिधियों का आगमन होते रहता है हर बार निरीक्षण कर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की दावा कर लौट जाते है लेकिन जनप्रतिनिधियों और अफसरों के जाते ही सबकुछ भुल जाते है। मैनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में वर्षो से महिला डाॅक्टर की मांग किया जा रहा है क्योंकि महिलाओं को अपनी व्यक्ति स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को बताने में भारी परेशानियां का सामना करना पड़ता है लेकिन आज तक महिला डाॅक्टर की व्यवस्था प्रशासन द्वारा नहीं किया जा सका है। मैनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में डिजिटल एक्सरे मशीन है लेकिन महज कम्प्युटर व अन्य छोटी मोटी सुविधा के नही होने के कारण इसका लाभ नही मिल पा रहा है जबकि लाखों रूपये के लागत से एक्स-रे मशीन यहा उपलब्ध कराई गई है। मैनपुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण काफी संवदेनशील है। यहां स्वास्थ्य की तमाम सुविधाएं 24 घंटा उपलब्ध रहना चाहिए लेकिन कोई सुविधा अस्पताल में दिखाई नहीं देता। यहा मरीज के साथ आने वाले परिजनों के रूकने की भी व्यवस्था नहीं है। मरीजों के परिजन रात को भटकते रहते हैं। महज मोटर सायकल स्टैण्ड नही होने के कारण अस्पताल के गेट के सामने चारो तरफ वाहन खड़े नजर आता है। और तो और अस्पताल के चारो तरफ गंदगी कीचड़, खुद बीमारी को आमंत्रित कर रहा है।
- गरियाबंद जिला निर्माण के 11 वर्षों बाद भी ओडिसा में ईलाज कराने जाने मजबूर
गरियाबंद जिला निर्माण के 10 से 11 वर्षो बाद भी यदि इस क्षेत्र के हजारों लोगों को दुसरे प्रदेश ओडिसा ईलाज कराने जाने मजबूर होना पड़ रहा है तो यहा के स्वास्थ्य सुविधा के बदहाली पर सवाल उठाना लाजमी है। आज मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र में दो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है। एक मैनपुर और दुसरा अमलीपदर,अमलीपदर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक भी डाॅक्टर नही है आर.एम.ए के सहारे संचालित हो रहा है। और तो और तीन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है झरगांव, उरमाल और शोभा लेकिन शोभा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में अस्पताल भवन ही नहीं है और झरगांव और उरमाल में डाॅक्टर नहीं है, जिसके कारण आजादी के 75 वर्षो बाद भी अमलीपदर, गोहरापदर, मुडगेलमाल, खरीपत्थरा, राजापडाव, भुतबेडा, कुचेंगा, गौरगांव, कुहीमाल क्षेत्र के हजारों ग्रामीणों को ईलाज कराने दुसरे प्रदेश ओडिसा जाना पड़ रहा है यह छत्तीसगढ सरकार के तमाम स्वास्थ्य सुविधा के विकास के दावों के पोल खोलने के लिए काफी है। मैनपुर विकासखण्ड में लगभग 01 लाख 75 हजार ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा के लिए मात्र दो डाॅक्टर उपलब्ध है।
- अस्पताल में इन दिनो भारी भीड़ मजा काट रहे हैं झोलाझाप डाॅक्टर
मौसम में परिवर्तन के कारण इन दिनो सरकारी अस्पताल में भारी भीड़ लगी हुई है। सर्दी, खांसी, बुखार, उल्टी दस्त एंव मलेरिया के साथ मौसमी बीमारियों का प्रकोप देखने को मिल रहा है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में डाॅक्टर नहीं होने के कारण खासकर ओडिसा सीमा से लगे ग्रामों में झोलाझाप डाॅक्टर मोटर सायकल में घुम घुमकर बकायदा ठेके में ईलाज कर रहे हैं।
मरीजों को उल्टे खाट में लाया जाता है अस्पताल तक
आज भी इस क्षेत्र के दूरस्थ पहाड़ी पर बसे ग्रामो के ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधा के अभाव मे उल्टे खाट मे मरीज को लिटाकर अस्पताल तक लाने मजबूर होते है, क्योकि इन ग्रामों तक सड़क का निर्माण ही नही हुआ है और 108 एंबुलेंस सुविधा भी नहीं पहुंच पाती और तो और दूरस्थ ग्रामीण अंचलो मे स्वास्थ्य सुविधा नहीं पहुचंने के कारण आज भी इस वैज्ञानिक युग मे लोग झाड़ फूंक, तंत्र मंत्र से ईलाज कराने मजबूर हो रहे हैं।
- क्या कहते है बीएमओ
विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी डाॅ गजेन्द्र ध्रुव ने बताया मैनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में 11 डाक्टर के पद स्वीकृत है जिसमें वर्तमान में 2 डाॅक्टर मैनपुर मे पदस्थ है। उन्होंने बताया सभी उपस्वास्थ्य केन्द्रो में एक महिला और एक पुरूष आरएचओ होना चाहिए लेकिन हमारे मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र में बहुत कमी बनी हुई है। इसके बावजूद भी लगातार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रयास जारी है। उन्होंने कहा समय -समय पर यहां की समस्याओं से बैठको में अवगत कराया जाता है।
- क्या कहते हैं विधायक
बिन्द्रानवागढ विधानसभा क्षेत्र के विधायक डमरूधर पुजारी ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधा एंव डाॅक्टर की मांग को लेकर कई बार मुख्यमंत्री तक को पत्र लिख चुके है लेकिन इस आदिवासी क्षेत्र की चिन्ता कांग्रेस सरकार को नहीं है। आज इस क्षेत्र के ग्रामीण डाॅक्टर नही होने के कारण ओडिसा ईलाज कराने मजबूर हो रहे है। डाॅक्टर और स्वास्थ्य सुविधा को लेकर उग्र आंदोलन करेंगे।