Recent Posts

October 17, 2024

समाचार पत्र और मीडिया है लोकतंत्र के प्राण, इसके बिन हो जाता है देश निष्प्राण।

प्रदेश के प्रसिध्द चौकसील देवगढ़ धाम पहाड़ी में 15 और 16 अक्टूबर को भव्य देव मेला को लेकर जोरशोर से तैयारी 

  • शेख हसन खान, गरियाबंद 
  • उदंती अभ्यारण्य के भीतर चौकसील पहाडी में है देवी देवताओं के दरबार जहां पहुंचते हैं 

गरियाबंद। छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रसिध्द चौकसील देवगढ़ धाम मे प्रतिवर्ष की भांति झांकर पुजारी बैगा सिरहा मिलन सम्मेलन पूजन कार्यक्रम के साथ ही दशहरा मेला का इस वर्ष आयोजन 15 एवं 16 अक्टूबर को आयोजित किया गया है जिसके लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की जा रही है। ज्ञात हो कि यहां लगने वाला मेला अपने आप मे एक अनूठा मेला है छत्तीसगढ़ प्रदेश भर से झांकर ,पुजारी, बैगा ,सिरहा अपने अपने देवी देवताओं के ध्वज लेकर पहुंचते है और विशाल मेला का आयोजन किया जाता है। 15 अक्टूबर दिन मंगलवार को देवी देवताओं का आगमन के साथ मेला का शुभारंभ किया जायेगा और रात्रि में बगैर बिजली के चन्द्रमा की रोशनी में सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। 16 अक्टूबर दिन बुधवार को भव्य मेला का आयोजन किया जायेगा जिसमे पूरे प्रदेश भर से देवी देवताओ के आगमन के बाद शोभा यात्रा निकाली जायेगी और पूरे प्रदेश मे सुख शांति समृध्दि के लिए कामना किया जाता है। इस मेला मे छत्तीसगढ़ के सरगुजा से लेकर बस्तर के अलावा ओड़िसा से भी बड़ी संख्या मे लोग पहुंचते है।

गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर के उदंती अभ्यारण्य में स्थित प्राकृतिक खुबसूरती से भरापूरा चौकशील पहाड़ी के उपर गढ़िया माता के दरबार में हर वर्ष दशहरा पुन्नी के अवसर पर मेला का आयोजन किया जाता है जंहा सम्पूर्ण छत्तीसगढ प्रदेश के कोनेे कोने से लाखों लोग व देवी देवता बड़ी संख्या में पहुंचते है। 52 गढ़ बारह पाली के हजारों लोगों चौक सील पहाड़ी प्रमुख धार्मिक आस्था का केन्द्र है। पहाडी के उपर गढहिया माता, गादी मां, माता कुलेश्वरी, बारह पाली के देवी देवताओं की विशेष पूजा अर्चना कर कर क्षेत्र में सुख शांति समृध्दि की कामना करते हैं। साल में एक बार दशहरा पुन्नी के अवसर पर यहा विशाल मेला का आयोजन किया जाता है। इस मेला का खासियत यह है कि यहां बिजली नहीं है। बावजूद इसके हजारों लोगों की भीड़ खुले आसमान के नीेचे पहाडी के उपर चन्द्रमा की दुधिया रौशनी में मेला का आयोजन होता है। यह प्रदेश का पहला ऐसा मेला स्थल होगा जहां बगैर बिजली के मेला का आयोजन किया जाता है।

मैनपुर से लगभग 40 किलोमीटर दुर उदंती अभ्यारण्य के भीतर बम्नीझोला से कच्ची मार्ग व पहाडी वाले मार्ग से होते हुए चौकसील पहुंचा जाता है। चौकसील की खासियत यह है कि यह पहाड़ के उपर एक विशाल पत्थर चट्टान है, जो चौकोर लगभग 05 से 06 किलोमीटर क्षेत्रफल मेें फैला हुआ है और पहाडी के उपर इसी पत्थर में मेला का आयोजन किया जाता है, जहां पहुंचने के लिए ग्रामीणों के द्वारा कच्ची सडक का निर्माण किया जाता है, यहां पुरे प्रदेशभर से बडी संख्या में ग्रामीण देवी देवता के साथ पहुंचते हैं। देवी देवताओं का मेला और सौर्य प्रदर्शन को देखने के लिए विशेष भीड़ ईक्कठा होती है जहां आदिवासी विचार गोष्ठी झांकर, बैगा, सिरहा, पुजारी सम्मेलन का विशेष आयोजन किया जाता है।

क्षेत्र वरिष्ठ प्रमुख टीकम नागवंशी, अर्जुन सिंह नेताम, अर्जुन नायक, बैजनाथ नेताम, जनपद सदस्य दीपक मंडावी, मधुसिंह ओटी, रूपेन्द्र सोम, चन्द्रशेखर नागेश, केशर सिन्हा, सहित ग्रामीणों ने बताया हर वर्ष दशहरा पुन्नी के अवसर पर मेला का आयोजन किया जाता है।