दिल्ली विवि छात्रसंघ निर्वाचन में अध्यक्ष पद के लिए जितेन्द्र चुनाव लड़ने की तैयारी में
1 min read
केसिंगा। होनहार बिरवान के होत चिकने पात-उक्त कहावत कालाहाण्डी जिलान्तर्गत कर्लामुण्डा ब्लॉक स्थित ग्राम पौरकेला के दलित युवा जितेन्द्र सुना (29) पर बिलकुल खरी उतरती है। एक बेहद ग़रीब कृषि मजदूर के घर जन्में जितेन्द्र आज दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ निर्वाचन में अध्यक्ष पद हेतु चुनाव लड़ रहे हैं, जो कि मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। स्वयं एक कृषि-मजदूर और मनरेगा के तहत काम कर चुके जितेन्द्र वतर्मान में जेएनयू में पीएचडी करते हुये छात्रसंघ चुनाव लड़ रहे हैं। जितेन्द्र के संघर्ष की कहानी तब से शुरू हो जाती है, जब वह कक्षा आठवीं के छात्र थे और उनके सिर से माँ का साया उठ गया।
उनकी माँ साग-सब्जी बेच कर पुत्र को पढ़ाने में मदद करती थी। पिता भी मजदूरी करते थे। घर की आर्थिक तंगी के चलते रोजगार की तलाश में एक दिन उन्होंने दिल्ली का रुख किया, जहाँ रिश्ते में उनके एक भाई इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड में कार्यरत थे, जिनकी बदौलत जितेंद्र को आईजीएल में सहायक की नौकरी मिल गयी। कुछ समय वहां काम करने के बाद वह वापस अपने गाँव लौट आये और किसी तरह स्नातक की पढ़ाई पूरी की। बाद में उन्होंने नागपुर जाकर अंबेडकर और बुध्दवाद पर एक दस माह का कोर्स किया। वर्ष 2013 में जेएनयू से इतिहास विषय में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल करने के बाद अब वहां डॉक्टरेट हेतु अध्ययन कर रहे हैं। जितेन्द्र की यह असामान्य उपलब्धि अंचल में चर्चा का विषय बनी हुई है।