रांची में हक के लिए राजभवन पर गरजे निषाद, उमड़ा जनसैलाब
1 min readबैनर और पोस्टर के रंग में रंगा झारखंड
राजभवन के समक्ष प्रदेश स्तर पर महाधरना के लिए निकल चुके है निषाद
पारंपरिक नृत्य संगीत के साथ राजभवन की ओर कारंवा बढ़ चुका है
रांची। सोमवार को सुबह से झारखण्ड की राजधानी रांची में प्रदेशभर से निषादों का कारंवा जनसैलाब के रूप में उमड़ पड़ा। प्रदेशभ से पहुंचे करीब 15 हजार से अधिक निषादों ने रांची शहर को मछुवामय कर दिया। पारंपरिक ढोल-नगाडों की थाप पर जब हजारों का करवां राजभवन की ओर निकला तो देखने के लिए शहर उमड़ पड़ा। शासन और प्रशासन की तैयारियां भी उनके जजबे को रोक नहीं सकी । सुबह से शाम तक निषादों ने हक के लिए आवाज बुलंद किया । झारखंड एसोसिएशन आफ फिशरीज सोसाइटी के प्रदेश अध्यक्ष चरण केवट से हजारों में उपस्थित सभा को संबोधित भी किया। उन्होंने कहा कि विरोधी चाहे जितना जोर लगा ले हम अपने अधिकार राज्य और केन्द्र सरकार से छिन कर रहेंगे। इस बात पर राजधानी गूंज उठा।
राजभवन घेरने के लिए झारखंड एसोसिएशन आफ फिशरीज सोसाइटी के तत्त्वाधान में दजर्नों निषाद संगठन एक मंच पर आ गया गया है। महाधरना को सफल बनाने निषादों का करवा राजधानी रांची की सड़को पर उतर चुका है। राजधानी के चहुओर निषादों की गूंज सुनाई दे रही है। राजधानी रांची को बैनर और पोस्टर से पाट दिया गया है।
इस महाधरना को देखते हुए सरकार भी घरबरा गई है। रविवार से ही लोग रांची में जुटने लगे थे। इस महाधरना का का उद्देश्य यह है कि निषाद समाज के लोगों को झारखण्ड में भी उत्तर प्रदेशए बिहार आदि स्टेट कि तरह आरक्षण के साथ ही साथ 22 मांगों को सरकार से मनवाया जाए।
इसकी तैयारियां माह भर से जोरों पर चल रही थी। सोसाइटी के हर कार्यकर्ता जोर.शोर से लगा हुआ है। इस संदर्भ में प्रदेश अध्यक्ष चरण केवट ने बताया कि चतराए हजारीबागए कोडरमा सहित कई जिलों का दौरा कर कहां के केवटए निषादए मछुवारों से अधिक से अधिक संख्या में महाधरना में पहुंचने की अपील की गई थी। समाज के लोग भी महाधरना में पहुंच कर करवा राजभवन की ओर निकल चुका है।
उन्होंने कहा कि पारंपरिक नृत्य संगीत के साथ 20 हजार लोगों का कारवां राजभवन की ओर नारों के बढ़ने लगा है। समाज के लोगों को कोई समस्या न हो इसके लिए कई टीम बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस समाज को आजादी के बाद से अधिकार नहीं मिला। सभी राजनितिक पाटिर्या सिर्फ वोट के लिए राजनीति करती आ रही हैए लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। तलाबो पर समाज का अधिकार है लेकिन उसका भी हक़ नहीं मिल रहा है। नगर निगम इस पर कब्जा कर रही है। नदी और नावों पर से अब समाज का अधिकार छिना जा रहा है।
बिहार के तर्ज पर भी झारखण्ड में मछुआ आयोग का गठन हो। शासकीय पदों पर भी पहले की तरह अधिकार मिले। इस महाधरना से हम सरकार को हिला देंगे। निषाद समाज क्या है ए ताकत का एहसास कराएंगे। हम अपना अधिकारी लेकर रहेंगे। उन्होंने बताया कि मल्लाह जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा देने और मछुआरों को उनका हक दिलाने आदि मांगों को लेकर महाधरना ऐतिहासिक होगा।
उत्तर प्रदेश से संजय निषाद और बिहार से मुकेश साहनी को बैनर और पोस्टर में स्थान दिया गया है। महाधरना में पहुंचे निषाद भाइयो का कहना है कि 22 मांगे हमारा अधिकार है। केवट जी का प्रदेशभर के निषादों का समर्थन है। उनके सानिध्य में प्रदेश के निषाद अपना अधिकार ले कर रहेंगे।