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November 19, 2024

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छग में मानसिक रोगियों की पहचान के लिए अब धर्म गुरुओं की ली जायेगी मदद

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मानसिक रोगियों की पहचान के लिए अब धर्म गुरुओं की मदद ली जायेगी। इसी क्रम मेंराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत जिला नोडल अधिकारी डॉ. आर. के. खण्डेलवाल के मार्गदर्शन में भिलाई स्थित भारतीय बौद्ध महासभा भवन में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता पर कार्यशाला आयोजित की गयी, जिसमें विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं व पदाधिकारियों को समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। साथ ही मानसिक रोगियों की पहचान कर उनका समय से उचित इलाज कराने के लिए यह पहल की गयी। इसके अतिरिक्त कार्यशाला में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर विस्तार से  जानकारियां दी गई।

कार्यक्रम में भिलाई के सभी धर्मों के धर्मगुरुओं एवं अन्य धार्मिक संस्थानों के 50 से अधिक सामाजिक व धार्मिक प्रतिनिधियों को मानसिक रोगों के लक्षण की जानकारियां दी गई। कार्यशाला में प्रमुख रुप से हिन्दू धर्म के प्रतिनिधियों में सुपेला एरिया के मंदिरों के पुजारियों, सिक्ख समुदायों से नेहरू नगर गुरुद्वारा के प्रमुखों, मुस्लिम समुदाय से जामा मस्जिद के मौलवियों, सेक्टर-6, भिलाई एवं सुपेला मस्जिद के इमामों एवं ईसाई समुदाय से रोमन कैथोलिक चर्च, मेनोनाइट चर्च, चर्च ऑफ़ गॉड, बैप्टिस्ट चर्च, हार्वेस्ट चर्च के पादरियों एवं बौद्ध धर्म के सामाजिक पदाधिकारियों  सेक्टर-6 के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया । सामजिक एवं धार्मिक प्रतिनिधियों ने दिल से मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की सराहना की।

 जिला अस्पताल दुर्ग के स्पर्श क्लीनिक में कार्यरत चिकित्सक मनोवैज्ञानिक सीपी सुमन कुमार ने मनोरोग के बारे में बताया आज के समय में हर 4 में से एक व्यक्ति मनारोग से ग्रसित है। इनमें तीन प्रतिशत तीव्र मानसिक रोगी पाया जाता है और 10 प्रतिशत रोगी डिप्ररेशन के शिकार होते हैं। चिकित्सक मनोवैज्ञानिक ने विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान करते हुए बताया, जिला अस्पताल में मनोराग की दवाईयां, साइको थेरिपी की सुविधा, साइको एजुकेशन और काउंसलिंग की सुविधाएं उपलब्ध हैं। सुमन कुमार ने कार्यशाला में सामान्य जीवन में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर रोशनी डालते हुए शामिल प्रतिभागियों को अपने संस्थानों में आने वाले श्रद्धालुओं को मानसिक स्वास्थ्य के विषय में जागरूक करने के लिए आग्रह भी किया।

उन्होंने बताया, ज्यादातर रोगी मानसिक समस्याओं से जुझते हुए अपने धर्म गुरुओं के शरण में आते हैं। या फिर अज्ञानतावश झाड़ फूंक कराने बैगाओं से इलाज कराते हैं। जिससे रोगी की हालत और बिगड़ने लगती है। मानसिक रोगों से ग्रसित रोगियों के असमान्य व्यवहार, गुमशुम रहना, अकेले रहना, चिड़चिड़ापन, बड़बड़ाने से आदत दिखने लगती है। समाज में लोगों में जागरुकता व इलाज को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई है। मनोचिकित्सक ने कहा मनो रोगियों के इलाज को लेकर धर्म गुरुओं व सामाजिक पदाधिकारियों की भूमिका अहम हो सकती है। कार्यक्रम के दौरान सभी धर्मों के प्रतिनिधियों ने अपने समुदाय में व्याप्त मानसिक समस्याओं की चर्चा की तथा अपनी बातें रखीं।

मानसिक सोशल वर्कर हर्ष प्रकाश तथा कम्युनिटी नर्स कविता देशलहरे द्वारा प्रतिभागियों को मनोरोग निदान के लिए जिला चिकित्सालय-दुर्ग स्थित स्पर्श क्लिनिक के विषय में जानकारी दी गयी। मानसिक समस्या सर ग्रस्त लोगों के इलाज के लिए रेफरल के लिए प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया गया। प्रतिभागियों ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए बीमारी के समय रहते शासकीय अस्पताल में निशुल्क चिकित्सक से इलाज व काउंसलिंग  करा कर मनोरोगी आसानी से ठीक हो सकते हैं।

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