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November 19, 2024

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जान जोखिम में डालकर टयूब के सहारे नदी पार कर स्कूल पढ़ई करने आते हैं छोटे छोटे नन्हे आदिवासी बच्चे, हमेशा दुर्घटना की बनी रहती है डर

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  • न्यूज रिपोर्टर, रामकृष्ण ध्रुव
  • पैरी, सलफ नदी में पुल निर्माण की मांग को लेकर वर्षों से मांग करते थक चुके है, ग्राम खाम्भाठा के ग्रामीण, अब तक नहीं बन पाया पुल
  • मूलभूत सुविधाओं से जुझ रहा है, ग्राम पंचायत देहारगुडा, गांव के सभी गलियों में कीचड व दलदल

मैनपुर – देश को आजाद हुए एकएक कर 75 वर्ष गुजर गये आजादी के सात दशक बाद भी गरियाबंद जिले के तहसील मुख्यालय मैनपुर से महज 06 किलोमीटर दुर ग्राम पंचायत देहारगुडा के आश्रित ग्राम खाम्भाठा के दर्जनों आदिवासी बच्चों को प्राथमिक, मिडिल एंव हाई स्कूल के शिक्षा ग्रहण करने के लिए बारिश के इन दिनों में जान जोखिम में डालकर नदी पार कर स्कूल तक आना पड़ता है। कभी कभी तो अत्यधिक बारिश होने पर नदी में भारी बाढ़ और तेज बहाव के कारण बच्चों को अपने रिश्तेदारों के यहा रहकर रात गुजारनी पडती है। ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी स्थानीय शासन प्रशासन को न हो क्षेत्र के विधायक व सबंधित विभाग के अधिकारियो ने कई बार इस नदी का निरीक्षण कर चुके है और इसी नदी में टुटे रपटा के स्थान पर पुल निर्माण के आश्वासन दे चुके है, लेकिन अब तक पुल निर्माण नहीं होने से बारिश के इन दिनों में आदिवासी बच्चों को जान जोखिम मे डालकर स्कूल पहुचना पड़ रहा है।

जब ग्रांउड जीरो में पहुंचकर मामले का जायजा लिया गया तो ग्राम पंचायत देहारगुडा के आश्रित ग्राम खाम्भाठा जो वंहा से एक किलेामीटर दुर है लेकिन इस गांव के पहुचने से पहले तीन नदी एक साथ गुजरती है जिसमें सलफ नाला, खजरान नाला, एंव पैरी नदी और बारिश होने पर तीनों नदी अपने पुरे उफान पर रहता है। नदी उस पार ग्राम खाम्भाठा में लगभग 25 से 30 आदिवासी बच्चे है जो प्राथमिक शाला और मिडिल स्कूल , हाई स्कूल में पढाई करने ग्राम देहारगुडा आते है लेकिन बारिश के इन दिनो में नदी में हमेशा कमर तक पानी चलता रहता है, और अचानक तेज बारिश हो जाने पर यहा नदी में बहाव और तेजी बढ जाती है, जिसके कारण ग्राम खाम्भाठा के ग्रामीण टयूब में लकडी बांधकर उसमें छोटे छोटे बच्चों को बिठाकर नदी पार करवाकर प्रतिदिन स्कूल लाते है कई बच्चों को कंधो पर भी बिठाकर लाते है, और यह अत्यधिक बारिश होने पर पालक बेहद चिंतित हो जाते है सभी बच्चों के माता पिता नदी के पास पहुचकर बच्चों का इंतजार करते रहते है, क्योंकि बच्चे अकेले नदी पैदल पार न करे जिससे हमेशा दुर्घटना का डर बना रहता है। ग्राम देहारगुडा के सरपंच श्रीमती डिगेश्वरी साण्डे, पूर्व सरपंच देवन नेताम एंव सरपंच प्रतिनिधि लोकेश साण्डे ने बताया कि 20 से 30 बच्चे खाम्भाठा से देहारगुडा पढाई करने आते है और बारिश के पुरा चार माह बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल तक पहुंचते है। सभी बच्चे के माता पिता बच्चों को लेकर नदी तक पहुंचते है, और एक साथ बच्चों को नदी कोई पालक बच्चों को अपने कंधो पर बिठाकर तो कुछ बच्चों को टयूब में लकडी पर बिठाकर स्कूल तक पैदल छोडने जाते है, तब कही जाकर इन आदिवासी बच्चों को शिक्षा मिल पा रहा है। ज्यादा बारिश होने पर बच्चों को देहारगुडा में ही अपने रिश्तेदार परिवार वालों के यहा रूकना पड़ जाता है। इसके बावजूद भी माता पिता की चिंता बनी रहती है इसलिए नदी के पास आकर माता पिता बाढ के दिनो में अपने बच्चो को इंतजार करते रहते है, यंहा के बच्चों को शिक्षा ग्रहण करना और स्कूल तक बारिश के दिनो में पहुचना आसमान से तारे तोडकर लाने के बराबर हैं।

मूलभूत समस्याओं से जुझ रहा है ग्राम पंचायत देहारगुडा

तहसील मुख्यालय मैनपुर से महज 06 किलोमीटर की दुरी पर बसा ग्राम पंचायत देहारगुडा इसकी जनसंख्या 1500 के आसपास है, इस ग्राम पंचायत के ग्राम खाम्भाठा, खूदूरबहारा, बेलकोना, डोंगरीपारा, बिसीआमा, दर्रीपारा, और गिरहोंला आश्रित ग्राम तथा पाराटोला है। इन सभी ग्रामो में कही भी सी.सी कांक्रीटीकरण सडक नही है जिसके कारण गांव के सभी गलियों में दलदल और कीचड भरा पड़ा हुआ है। पंचायत द्वारा कई बार प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है अब कांक्रीेटीकरण सडक के लिए प्रशासन स्तर पर कोई पहल नही किया गया है।

स्कूल भवन जर्जर
ग्राम पंचायत देहारगुडा में प्राथमिक शाला भवन और ग्राम गिरहोला में प्राथमिक शाला भवन बेहद जर्जर कवेलू वाला है देहारगुडा में तो मिडिल स्कूल के लिए भवन ही नही है जिसके कारण हाई स्कूल के अतिरिक्त कमरा में जैसे तैसे स्कूल का संचालन किया जा रहा है। लगभग 52 लाख रूपये के लागत से लोक निर्माण विभाग द्वारा हाई स्कूल भवन का निर्माण ग्राम देहारगुडा में किया है, लेकिन यह हाई स्कूल भवन बारिश के इन दिनो में जगह जगह से सिपेंज हो रहा है। भवन निर्माण की गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है, जबकि यह पुरा ग्राम पंचायत क्षेेत्र आदिवासी बाहूल्य ग्राम पंचायत है तथा यहा विशेष पिछडी जनजाति भुंजिया जनजाति के लोग भी बडी संख्या में निवास करते है।

पेयजल के लिए वन विभाग ने फुंक डाला लाखों रूपये, बूंद भर पानी नहीं मिला ग्रामीणाें को

ग्राम पंचायत देहारगुडा में व उसके आश्रित ग्रामो में हेडपम्प है, लेकिन दर्रीपारा, खाम्भाठा मे आयरन युक्त पानी निकलने के कारण ग्रामीण इस पानी का उपयोग नही करते, लंबे समय से इस ग्राम पंचायत में सौर उर्जा से संचालित होने वाले नल जल योजना की मांग किया जा रहा है। वही लगभग 07-08 वर्ष पहले वन विभाग द्वारा ग्राम पंचायत देहारगुडा में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए लगभग 08-09 लाख रूपये वन सुरक्षा समिति के पैसा का जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। ग्राम देहारगुडा में पानी का टंकी लगाकर घर घर नल कनेक्शन दिया गया था, लेकिन एक दिन भी इस नल जल योजना का लाभ ग्रामीणाें को नही मिला ग्राम पंचायत के ग्रामीणाें ने गरियाबंद के डीएफओ मयंक अग्रवाल से मांग किया है कि इस नल जल योजना का जांच किया जाए साथ ही इस योजना को फिर से प्रारंभ किया जाए।

राशन दुकान भवन चार साल से अधूरा

ग्राम पंचायत देहारगुडा में लाखों रूपये के लागत से पिछले चार वर्षो से राशन दुकान का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन निर्माण कार्य इंतना धीमी गति से चल रहा है कि अब तक पुरा नही हो पाया है। पिछले चार वर्षो से निर्माण कार्य अधुरा है, जिससे ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है।
ग्राम पंचायत देहारगुडा के सरपंच श्रीमती डिगेश्वरी साण्डे, उपसरपंच शिवदयाल, पूर्व सरपंच देवन नेताम, पूर्व उपसरपंच पवन दीवान, वरिष्ठ नागरिक सदाराम दीवान, लोकेश साण्डे, हितराम साण्डे, बुधराम मरकाम, यमराज ओंटी, दशरथ ओंटी, महादेव मरकाम, पंच श्रीमती बिमला चिंडा, यशमोतिन दीवान, महेश कुमार दीवान, काजल साण्डे, देवीसिंह साण्डे, निलकुमारी साण्डे, भोजमती, सियाराम ओंटी, भोलाराम चक्रधारी, चुणामडी साहू, कुंवर सिंह प्रधान ने गरियाबंद जिला के कलेक्टर से मांग किया है कि ग्राम पंचायत देहारगुडा के आश्रित ग्राम खाम्भाठा के स्कूली बच्चों के भविष्य को देखते हुए तत्काल पुल निर्माण किया जाए, साथ ही देहारगुडा में मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

क्या कहते है सरपंच
ग्राम पंचायत देहारगुडा के सरपंच श्रीमती डिगेश्वरी साण्डे ने चर्चा में बताया कि पुल निर्माण के लिए कई बार मांग करते थक चुके है स्कूल आने जाने के लिए बच्चों को बहुत परेशानी हो रही है। बारिश के इन दिनो में हमेशा दुर्घटना का डर बना रहता है। उन्होंने आगे कहा कि ग्राम पंचायत के सभी पाराटोला में सी.सीर.रोड और सौर उर्जा से संचालित होने वाला पेयजल के साथ प्राथमिक शाला भवन निर्माण किया जाना बहुत आवश्यक है। सरपंच ने बताया कि इन समस्याआें को लेकर कई बार प्रस्ताव ग्राम सभा के माध्यम से प्रशासन स्तर पर भेजा जा चुका है लेकिन अब तक समस्या का समाधान नही हुआ है।

क्या कहते है अधिकारी
जनपद पंचायत मैनपुर के मुख्यकार्यापालन अधिकारी नरसिंह ध्रुव ने बताया कि ग्राम पंचायत देहारगुडा मे पुल निर्माण के साथ सी.सी सडक और मूलभूत सुविधा उपलब्ध करने प्रयास किया जा रहा है।
नरसिंह ध्रुव, सीईओ जनपद पंचायत मैनपुर

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