Recent Posts

October 18, 2024

समाचार पत्र और मीडिया है लोकतंत्र के प्राण, इसके बिन हो जाता है देश निष्प्राण।

गरियाबंद जिले के एक मात्र सबसे बड़े सिंचाई परियोजना सिकासार जलाशय सुखा, मात्र 22 प्रतिशत पानी बचा 

1 min read
  • शेख हसन खान, गरियाबंद 
  • जलाशय के मुख्य गेट से 150 मीटर दुर हुआ पानी

गरियाबंद। भीषण गर्मी में इस वर्ष सिकासार जलाशय भी सुख गया इस जलाशय में मात्र 22 प्रतिशत ही पानी बचा हुआ है। गरियाबंद जिले के सबसे बडे सिंचाई परियोजना सिकासार जलाशय तेजी से सुखने लगा है। तहसील मुख्यालय मैनपुर से 26 किलोमीटर दुर सिकासार जलाशय का निर्माण सन् 1977 में दो विशालकाय पहाड़ों के बीचों बीच बांधकर निर्माण किया गया है और प्रदेश के काफी महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना में से एक है। सन् 1977 – 78 में महज 70-80 लाख रूपये बहुत कम लागत में इस सिंचाई परियोजना का निर्माण किया गया था बाद में इस सिंचाई परियोजना में करोड़ों रूपये खर्च किये गये हैं। इस सिकासार जलाशय में पानी की कुल भराव क्षमता 200 मिलियन टन घनमीटर है और 90 गांवो में 40 हजार हेक्टयेटर में सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है। इस वर्ष भीषण गर्मी के कारण यहां पानी बेहद कम बचा हुआ है यहां तक की मुख्य गेट से 150 मीटर दुरी पर पानी सुख चुका है और यहां मुख्य 22 गेट का निर्माण किया गया है।

  • बिजली संयंत्र भी सिकासार में बनाया गया है 

सिकासार जलाशय में करोड़ों रूपए की लागत से विद्युत संयंत्र का निर्माण लगभग 19 वर्ष पूर्व किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल द्वारा सिकासार जल विद्युत गृह से 2-3.5 मेगावाट बिजली के उत्पादन होने की जानकारी दिया जाता है ।

  • क्या कहते हैं कार्यपालन अभियंता 

जल संसाधन विभाग के गरियाबंद कार्यपालन अभियंता एस.के बर्मन ने बताया कि सिकासार जलाशय का निर्माण 1977-78 में किया गया था उस समय इसमें 70 से 80 लाख रूपये लागत आई थी। इस जलाशय का निर्माण तीन फेस में किया गया बाद में इसकी उंचाई, हाईट और एरिया को डबल किया गया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में यहां मात्र 22 प्रतिशत पानी बचा हुआ है। इस जलाशय से 40 हजार हेक्टेयर खेतों में सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है अभी रवि फसल के लिए 10 हजार हेक्टेयर खेतो में पानी दिया गया था शुरूआती दो बारिश में ही यह बांध लबालब हो जाता है। श्री बर्मन ने आगे बताया कि यह महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना में शामिल है और इसमें करोड़ों रूपये खर्च किया गया है जिससे आसानी से किसानों के खेतो तक पानी पहुंच सके। यहां पर्यटन के दृष्टि से काफी संभावनाएं है। जलाशय के बीचो बीच जो टापू है वहां पर्यटकों के लिए सौन्दर्यीकरण व अन्य कार्य किये जायेंगे जल्द ही इसके लिए कार्ययोजना बनाये जा रहे हैं।