सामाजिक न्याय, अम्बेडकरवाद-मंडलवाद के आधार को कमजोर नहीं करना चाहता : लौटनराम निषाद
1 min read- सपा नेतृत्व चाटुकार सलाहकारों से घिर रामचरित्र व आनन्द निषाद को लौटनराम के विकल्प के तौर पर बढ़ा रहा आगे
लखनऊ,7 अप्रैल।राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव व समाजवादी पिछड़ावर्ग प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चौ.लौटनराम निषाद ने नेतृत्व द्वारा की जा रही अवहेलना व उपेक्षा से दुःखी हैं। उन्होंने कहा कि सपा नेतृत्व चाटुकार किस्म के सलाहकारों की सलाह पर दरकिनार कर रहे हैं।राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी को कमजोर करने वाले आस्तीन के साँपों व आरएसएस की विचारधारा के तत्वों के जाल में उलझ गए हैं। उन्होंने कहा कि लौटनराम निषाद का मकसद एमपी, एमएलए, एमएलसी बनना नहीं, बल्कि वर्गीय हित को प्रमुखता दी सामाजिक न्याय, मंडलवाद-अम्बेडकरवाद की बुनियाद को मजबूत करना मकसद है।
लौटनराम निषाद के पिछडों, दलितों में बड़ी स्वीकार्यता व समग्र वर्गीय सोच से कुछ हवाई नेताओं के पेट में दर्द हो रहा है। सपा सामाजिक न्याय की ही विचारधारा पर आगे बढ़ सकती है। गलत सलाहकारों के बहकावे में सपा नेतृत्व फर्जी आईएएस बिहार निवासी आनन्द निषाद जो वीरांगना फूलन देवी के हत्यारे शेरसिंह राणा के साथ मंच साझा कर रहा था,उसे व रामचरित्र निषाद को लौटनराम निषाद के विकल्प के तौर पर आगे बढ़ाया जा रहा है। आनन्द निषाद बेगूसराय का निवासी है, जो भोपाल में संविदा पर बिजली विभाग में चपरासी था, जो अपने को 1976 बैच का आईएएस बताकर लोगों को गुमराह कर सौदेबाज़ी किया।
निषाद ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के बाद यादव सहित पिछड़े, दलित,वंचित वर्ग ने बड़ी संख्या में मेरा समर्थन किये जिससे कुछ नेताओं का बीपी बढ़ गया।कहा,मैं समाजवादी था। समाजवादी हूँ और समाजवादी ही रहने की अभिलाषा है। हमने मण्डल के दौर को बहुत करीब से देखा है, इसलिए निजस्वार्थ में सामाजिक न्याय की जड़ों में मट्ठा घोलकर मंडलवाद को कमजोर करने की बात सोच ही नहीं सकता। सपा से दूर जाकर पिछडों, दलितों की ताकत को कमजोर नहीं करना चाहता।पर नेतृत्व द्वारा बार बार हल्कापन दिखाना चोट पहुंचाता है।उन्होंने कहा कि यादव,पिछडों,दलितों ने मेरा समर्थन किया तो इसमें मेरा क्या दोष? कहा, ज्योतिबा फूले, छत्रपति शाहू जी महाराज, सावित्री बाई फूले, डॉ. अम्बेडकर,पेरियार,बीपी मण्डल,कर्पूरी ठाकुर,रामचरनलाल निषाद, रामप्रसाद अहीर, स्वामी ब्रह्मानन्द लोधी अपने आदर्श हैं तो गुनाह क्या? इन महापुरुषों में मेरी आस्था है।सपा की सरकार बने या न बने,इससे राष्ट्रीय अध्यक्ष जी की सेहत पर भले ही कोई असर न पड़े, पर 2022 में सपा सरकार नहीं बनी तो पिछड़े,दलित 70 के दशक में चले जायेंगे।
निषाद ने कहा कि नेतृत्व को गलत सलाह व फीडबैक दी गयी कि सामाजिक न्याय की बात करने के कारण सपा-बसपा गठबंधन हार गया।जबकि सच्चाई यह है कि अतिविश्वास में गठबंधन हार गया।संघीय विचारधारा के सलाहकारों द्वारा नेतृत्व को मृगमरीचिका दिखाकर असलियत से दूर किया जा रहा है।बिना अतिपिछड़ों,दलितों को जोड़े,बढ़ाये मिशन-2022 में सफलता टेढ़ी खीर है।कहा- पिछडों, दलितों व बुद्धिजीवियों ने पदच्युत करने पर जो समर्थन दिया, उनकी भावना के विरुद्ध कदम उठाकर खलनायक नहीं बनना चाहता। राजनीति सम्मान के लिए की जाती है अपमान सहकर नहीं। लौटनराम निषाद को पद से हटाकर राजपाल कश्यप को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की सलाह देना कमजोर राजनीति का हिस्सा था। राजनीतिक दूरदर्शिता व परिपक्व राजनीतिक सूझबूझ होती तो किसी कुशवाहा/मौर्य, लोधी, पाल, राजभर, चौहान, विश्वकर्मा, गूजर, साहू, प्रजापति, नाई आदि को बनाया गया होता। निषाद ने कहा कि वे पीके/प्रशांत किशोर से कम रणनीतिकार नहीं हैं,बस दोष यह है कि हम निषाद या पिछड़े हैं।उन्होंने कहा कि लौटनराम निषाद पिछडों,दलितों का कितना भी बड़ा नेता बन जाये, मुख्यमंत्री या राष्ट्रीय अध्यक्ष तो नहीं बन जायेगा। मुख्यमंत्री तो अखिलेश यादव ही बनेंगे।