यूपी में राजनीति हलचल, सपा को भारी पड़ेगी चंद्रशेखर परिवार से दूरी
1 min readलखनऊ। UTTAR प्रदेश में इस समय नीरज शेखर को लेकर हलचल मचा हुआ है। बलिया से लगातार सांसद रहने के बाद देश के प्रधानमंत्री बने स्व. चंद्रशेखर के परिवार से दूरी समाजवादी पार्टी को काफी भारी पड़ सकती है। स्व. चंद्रशेखर के पुत्र व राज्यसभा सदस्य नीरज शेखर ने कल समाजवादी पार्टी के साथ ही राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया है।
समाजवादी पार्टी में बसपा से गठबंधन को लेकर पनपा असंतोष अभी कायम है। इसकी चढ्क सोशल मीडिया में जोरो पर है। इसके साथ ही टिकटों के बंटवारे से गहराया गुस्सा भी कम नहीं हुआ। पार्टी में चंद्रशेखर परिवार से वर्षो पुराना नाता टूट जाने की चिंता ज्यादा है।
नीरज शेखर का समाजवादी पार्टी को छोड़ता एक-दो महीना में प्रदेश में 12 विधानसभा क्षेत्रों के होने वाले उपचुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के लिए बड़ा झटका है। प्रदेश में बसपा से गठबंधन टूटने के बाद अखिलेश यादव को अकेले लड़ कर नेतृत्व क्षमता दिखानी है। जिसका प्रभाव वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव मेें भी दिखेगा। सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी संभालने के बाद अखिलेश यादव पार्टी की प्रतिष्ठा बचाने व समाजवादी दिग्गजों को संभालने में नाकाम रहे हैं। गठबंधन में चुनाव लडऩे के प्रयोग भी फेल सिद्ध हुए हैं। कांग्रेस से गठबंधन में वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में किरकिरी करा चुके अखिलेश के लिए बसपा से गठजोड़ करके लोकसभा चुनाव लडऩा आत्मघाती साबित हुआ। लोकसभा चुनाव में बलिया की सीट सपा-बसपा बंटवारे में समाजवादी पार्टी के खाते में थी। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की इस परंपरागत सीट से नीरज शेखर का लडऩा तय माना जा रहा था। वह राज्यसभा सदस्य भी थे, लिहाजा माना जा रहा था कि समाजवादी पार्टी अपनी एक सीट कम नहीं करेगी। ऐसे में नीरज शेखर की पत्नी डा. सुषमा शेखर को उम्मीदवार बनाने पर मंथन हो रहा था। इसे लेकर लंबे समय तक उम्मीदवार की घोषणा भी सपा नहीं कर पा रही थी। डा. सुषमा शेखर का नाम तय भी हो गया था लेकिन ऐन मौके पर ऐसा कुछ राजनीतिक पेंच उलझा कि चंद्रशेखर की विरासत पर विराम लगाते हुए सपा ने यहां से सनातन पांडे को उम्मीदवार बना दिया।
नीरज शेखर की नाराजगी की नींव भी बसपा से गठबंधन के समय ही पड़ गयी थी। नीरज शेखर पुश्तैनी संसदीय क्षेत्र बलिया से खुद या अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाना चाहते थे। अखिलेश की ओर से पूरा आश्वासन भी दे दिया गया था परंतु ऐन वक्त पर इन्कार करने से नीरज आहत हुए। उनकी नाराजगी इसलिए अधिक थी कि बलिया का टिकट बसपा के इशारे पर दिया गया। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर के राज्यसभा से इस्तीफा देने की खबर सोमवार को आई तो उन सारी अटकलों पर विराम लग गया, जिसके कयास लोकसभा चुनाव के समय से ही लगाया जा रहे थे। माना जा रहा है कि वे जल्द ही भाजपा का दामन थाम सकते हैं।