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November 19, 2024

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आरक्षित वर्ग का कोटा पूरा करने को चलाया जाय विशेष भर्ती अभियान: लौटन राम निषाद

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  • “केन्द्रीय सचिवों, उच्च शिक्षण संस्थाओं व आईआईएम में आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व नगण्य”

लखनऊ।केन्द्रीय सेवाओं में ओबीसी को 27 प्रतिशत, एससी को 15 प्रतिशत, एसटी को 7.5 प्रतिशत व ईडब्लूएस(8 लाख से कम आय वाले गरीब सवर्ण) को 10 प्रतिशत आरक्षण कोटा की व्यवस्था है। राष्ट्रीय निषाद संघ (एन ए एफ) के राष्ट्रीय सचिव चौ.लौटन राम निषाद ने बताया कि केन्द्रीय सचिवों, केन्द्रीय सेवाओं, उच्च शिक्षण संस्थानों एवं आईआईएम में सचिवों व प्राध्यापकों का प्रतिनिधित्व नगण्य है। उन्होंने आरक्षित वर्ग का कोटा पूरा करने के लिए बैकलॉग भर्ती शुरू करने या विशेष भर्ती अभियान चलाकर कोटा पूरा करने की मांग किया है।

केन्द्र सरकार के मंत्रालयों में कुल 79 सचिव हैं। जिसमें एक एससी व 3 एसटी हैं, ओबीसी का प्रतिनिधित्व शून्य है। कार्मिक, लोक शिकायत और पेन्शन मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार केन्द्र सरकार में कुल 93 संयुक्त सचिव हैं। जिसमें 6 एससी व 5 एसटी वर्ग के हैं, ओबीसी का प्रतिनिधित्व शून्य है। केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों में कुल 275 संयुक्त सचिव हैं। जिसमें 19 ओबीसी, 13 एससी व 9 एसटी हैं। उक्त प्रतिनिधित्व चिन्ता जनक है ।

निषाद ने कहा कि लेटरल इण्ट्री के माध्यम से केन्द्र सरकार निजी क्षेत्र के लोगों को संयुक्त सचिव बना रही है। जिससे संघ लोक सेवा आयोग पर खतरे का बादल मडरा रहा है। प्राध्यापक पदों पर सामान्य वर्ग का 95.2 प्रतिशत कब्जा है। 40 केन्द्रीय विश्वविद्यालय हैं। जिसमें 1125 प्राध्यापकों में एससी के 39, एसटी के 6 , सामान्य वर्ग के 1071 हैं, ओबीसी का प्रतिनिधित्य शून्य है। 9 प्रध्यापक पद रिक्त है। केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में 2620 असिस्टेन्ट प्रोफेसर हैं जिसमें एससी के 130 एसटी के 34 और 2456 सवर्ण असिस्टेन्ट प्रोफेसर है, ओबीसी का प्रतिनिधित्व शून्य है। निषाद ने बताया कि कार्मिक मंत्रालय की 19.11.2019 की रिपोर्ट के अनुसार आईआईएम अहमदाबाद के 120 प्राध्यापक पदों में 97 सवर्ण है। आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व शून्य है। बंगलोर आईआईएम में 120 प्राध्यापकों में 106 सवर्ण, 2 ओबीसी, 1 एससी, कलकत्ता आईआईएम के 126 प्राध्यापकों में 91 सवर्ण, 2 ओबीसी हैं। आईआईएम लखनऊ में 103 प्राध्यापक पद सृजित है जिसमें 80 सवर्ण, 2 ओबीसी व 1 एससी,आईआईएम इन्दौर के 150 में 104 सवर्ण प्राध्यापक हैं। ओबीसी, एससी का प्रतिनिधित्व शून्य हैं। कोझीकोड आईआईएम के 80 प्राध्यापकों में 67 सवर्ण, 4 ओबीसी व 1 एससी है।

निषाद ने केन्द्र सरकार से अन्य पिछड़े वर्ग की जनगणना कराने की मांग करते हुए कहा कि सेन्सस-2011 के अनुसार एससी, एसटी, धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ ट्रान्सजेण्डर व दिव्यांग की जनसंख्या घोषित कर दी गयी। लेकिन साजिशन ओबीसी की संख्या छुपा दी गयी । उन्होंने संविधान के अनुच्छेद-16(4) व 16(4-ए) के अनुसार सभी वर्गों को जनसंख्यानुपात में प्रतिनिधित्व दिये जाने की मांग किया है।कहा,सामाजिक न्याय के लिए सेन्सस-2021 में जातिवार जनगणना आवश्यक है।साथ ही न्यायपालिका की पारदर्शिता व निष्पक्षता के लिए उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों का मनोनयन कॉलेजियम से न कर लोक सेवा आयोग व संघ लोक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षा पैटर्न पर भारतीय न्यायिक सेवा आयोग द्वारा की जानी चाहिए।

  

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