चयनित प्रत्येक गांव से 1 सौ उन्नत वत्स उत्पादन का लक्ष्य प्रथम चरण के बेहतर नतीजे से पशुपालकों में उत्साह
1 min readगोलू कैवर्त बलौदाबाजार
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के फेस दो कार्यक्रम के अंतर्गत दिनांक 1 अगस्त से 31 मई 2021 तक विभागीय एवं प्राईवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं के द्वारा गौ एवं भैंसवंशाीय पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान कार्य किया जावेगा । कार्यक्रम हेतु जिले के 500 ग्रामों का चयन किया गया है तथा प्रत्येक ग्राम में कृत्रिम गर्भाधान से 100 उन्नत नस्ल के बछडे ब्छिया उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा गया है।
कार्यक्रम अंतर्गत प्रत्येक गाय-भैंस की यूनिक आइ डी के टैग से टैगिंग किया जाकार उसकी पोर्टल में आनलाइन एन्ट्री किया जावेगा । कत्रिम गर्भाधान हेतु ऐसे देशी नस्ल के उन्नत सांड के सीमन का उपयोग किया जावेगा जिनकी मां का दग्ध उत्पादन 3हजार लीटर प्रति लेक्टेशन हो, विदेशी नस्ल के एचएफ 10हजार लीटर, जर्सी गाय 7 हजार लिटर दुग्ध उत्पादन क्षमता हो। कार्यक्रम की मोनिटरिंग भारत शासन के अधिकारियों द्वारा तथा जिला स्तरीय मानिटरिंग हेतु जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जावेगा। जिला स्तर पर डॉ वन्दना उपेन्द्र रात्रे को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है जो कार्यक्रम हेतु आवश्यक सामग्री जैसे, शासन द्वारा निर्धारित उन्नत सांड के सिमन स्ट्रा, लिक्विड नाइट्रोजन, यूनिक टैग की आवष्यकता अनुसार पूर्ति सुनिश्चित करने के साथ ही आनलाईन एण्ट्री हेतु प्रशिक्षण प्रदान कर कार्यक्रम की मोनिटरिंग का कार्य करेंगी। विकासखण्ड नोडल पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रत्येक सप्ताह चयनित ग्रामों की मानिटरिंग किया जायेगा।
योजना से जिले के 50,000 पशु पालकों को प्रत्यक्ष लाभ उन्नत बछडे-बछिया के रूप में प्राप्त होगा जिनके उचित भरण पोषण एवं रखरखाव से 3-4 वर्ष में अधिक उत्पादन क्षमता वाले गाय-भैंस पशुपालकों को मिल सकेगा। इससे अन्य राज्यों पर दुग्ध एवं उन्नत पशुओं के लिये निर्भरता कम होगी और प्रदेश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता में बढोतरी होना निश्चित है। राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के फेस 1 कार्यक्रम दिनांक 15सितम्बर 2019 से 31मई 2020 तक संचालित किया गया जिसमें जिले के 300 ग्रामों का चयन किया गया था जिसके अंतर्गत 16 हजार 138 पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान कार्य किया गया । 9 माह पूर्व किये गये कृत्रिम गर्भाधान से उन्नत वत्स उत्पादन होने लगे है जिसे देख अन्य पशुपालकों में भी पशुपालन व कृत्रिम गर्भाधान के प्रति जागरूकता बढी है। कृत्रिम गर्भाधान से उत्पन्न बछिया के गाय बनने पर दुग्ध उत्पादन में बढोतरी होगी जिससे पशुपालको के आय में वृद्धि होगी। अतः फेस 2 के इस कार्यक्रम को सफल बनाने में विभाग समस्त पशुपालक जनप्रतिनिधियों एवं चरवाहों से सहयोग की अपील करता है।