रस्सी पर डगमगाता देश का भविष्य, पेट की खातिर जान जोखिम में डालने को मजबूर मासूम
- शेख हसन खान, गरियाबंद
मैनपुर । दो वक्त की रोटी के लिए महज 10 साल की मासूम अपनी जान जोखिम में डालने के लिए मजबूर है, जिस उम्र में इस बच्चें को स्कूल में पढना और खेलना चाहिए। उस उम्र में यह बच्चा सडक के किनारे पेट की खातिर सड़कों पर करतब दिखा रहा है। इतना छोटे उम्र में देश का भविष्य बिना डरे रस्सी पर चल रहा है और चारो तरफ लोगो को तमाशा दिखा रहा है। लोगों को हुजुम बच्चे के करतब पर तालिया बजा रहा है।
इन्ही सड़कों से बडे बड़े समाज सेवी और प्रशासन के नुमाइंदे गुजरते है लेकिन कोई भी इन बच्चों के भविष्य की तरफ नहीं देख रहे हैं।
सडको पर रस्सी पर डगमगाता बचपना आखिर देश का उज्जवल भविष्य कैसे बनेंगा। यह सवाल किसीे के गले के नीचे नही उतर रहा है। मैनपुर नगर में पिछले तीन दिनो से मडई मेला का दौर चल रहा है और इस मडाई मेला में करतब दिखाने वाले लोगों के मनोरंजन करने तरह तरह के लोग पहुचे है, इन्ही में से इस कडाके के ठंड में आज सुबह एक बच्चे को मैनपुर नगर के बीचों बीच नेशनल हाईवे के किनारे रस्सी पर चलकर तमाशा व करतब दिखाकर हाथ फैला पैसा मांगते देखा गया।
बच्चे से जब उनका नाम पुछा गया तो उन्होने से अपना नाम तो नही बताया लेकिन इतना जरूर कहा कि यह उनकी मजबूरी है और उनके करतब दिखाने के बाद जो पैसा उन्हे मिलता है, उससे उनके परिवार का जीविकाउपर्जान होता है। बहरहाल जो भी हो केन्द्र और राज्य सरकार के तमाम विकास के दावे सर्वे शिक्षा अभियान, शिक्षा का अधिकार को यह बच्चा ठेंगा दिखा रहा है।