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November 24, 2024

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हाथियों का दल लगातार बदल रहा है जगह, पता लगाने में हो रही है कठिनाई इसलिए हाथियों के लोकेशन जानने के लिए हाथी के गले में लगाया जायेगा काॅलर आईडी

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  • शेख हसन खान, गरियाबंद
  • हाथियों को काॅलर आईडी लगाने विशेषज्ञो का दल कर्नाटक से पहुंचे मैनपुर उदंती सीतानदी क्षेत्र हाथी प्रभावित जंगलो का किया निरीक्षण
  • एक वर्ष के भीतर हाथियों के गले में काॅलर आईडी लगाने की तैयारियां विभाग द्वारा किया जा रहा है

गरियाबंद। मैनपुर, तौरेंगा, कुल्हाड़ीघाट एवं उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व सहित पूरे गरियाबंद जिले में लगातार हाथियों के दल पिछले 6 -7 वर्षो से पहुंच रहा है और हाथियों का दल क्षेत्र में जमकर नुकसान भी पहुंचा रहा है। हाथियों का दल एक दिन में कई स्थान बदल रहे हैं जिसके चलते उनके वास्तविक जानकारी एकत्र करने में वन विभाग को भारी दिक्कतो का सामना करना पड़ता है। इसलिए अब हाथियों के सही लोकेशन और जानकारी के लिए उनके गले में काॅलर आईडी लगाने की योजना वन विभाग द्वारा बनाई जा रही है और हाथियों को काॅलर आईडी लगाने के लिए विशेषज्ञो का टीम पिछले दिनों वाइल्ड लाईफ हाथी संरक्षण कर्नाटक की टीम के मुखिया सुश्री ऋचा के नेतृत्व में मैनपुर, गरियाबंद, ओड़, आमामोरा, तौरेंगा, गोपालपुर, गोबरा, सोंढुर, नगरी, सिहावा एवं उदंती सीतानदी क्षेत्र के हाथी प्रभावित ग्रामो का निरीक्षण भी किया है जिससे हाथियों के दल में काॅलर आईडी लगाया जा सके। हालंकि काॅलर आईडी लगाने के लिए विभाग को एक वर्ष का समय लग सकता है लेकिन क्षेत्र में पहुंच रहे हाथियों के दल में काॅलर आईडी लगाने के लिए विभागीय तैयारियां प्रारंभ किये जाने की जानकारी मिली है।

गरियाबंद जिले में जंगली हाथियों को बढ़ती आमद को देखते हुए अब वन विभाग ने हाथियों की लोकेशन जानने कालर आईडी लगाने की योजना तैयार की है जानकारी के मुताबिक विभाग ने पहले फेस में सिकासार दल के हाथी में कालर आईडी लगाने का निर्णय लिया है। इस दल में लगभग 33-34 हाथी है सबसे ज्यादा नुकसान और खतरे का डर इसी दल रहता है।

जिले में बीते 6 -7 साल में हाथियों की आमद काफी बढ़ गई है जिले में करीब 58 से अधिक जंगली हाथी जिले के अलग- अलग जंगल क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं। इसमें 5 दतेल हाथी भी शामिल है। वन विभाग के मुताबिक इसे रोहासी, चंदादल, और सिकासार दल के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में सिकासार दल पड़ोसी जिले धमतरी में के नगरी परिक्षेत्र में है वही दो दतैल हाथी सिकासार होते हुए एक सप्ताह पहले ही ओडिशा पहुॅचे है। इसके अलावा तीन दतैल हाथी धमतरी के सिंगपुर क्षेत्र में है। इसके अलावा 20 हाथी का दल बालोद जिले में पहुॅच गया है। वन विभाग इसमें नजर बनाए हुए है, लेकिन कालर आईडी नही लगने के कारण विभाग को हाथियो के वास्वविक लोकेशन को लेकर परेशानी होती है हाथी का दल कभी भी कही भी किसी भी दिशा मे पहुॅच जाता है। अनुमानित लोकेशन होने के चलते वन विभाग को कई बार ग्रामीणो को सजग करने, संभावित गांव में मुनादी करने के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को लेकर दिक्कतो का सामना करना पड़ा है। इसके कारण जानमाल की हानि हो भी चुकी है अब विभाग के लिए ही यह चुनौती बन गया है कि कैसे हाथियों को जंगल तक रखा जाए और कैसे उन पर नजर रखी जाए। इसके मददेनजर अब विभाग ने कालर आईडी लगाने की योजना की तैयार की है।

दल से बिछड़े हाथी फिर पहुंचा आमामोरा ओड़

दल से बिछड़ा एक हाथी जो काफी खतरनाक है और मैनपुर धवलपुर क्षेत्र में इस हाथी के द्वारा तीन लोगो को मौत के घाट उतारा जा चुका है। यह हाथी वापस ओड़िशा सोनाबेड़ा जंगल पहुंच गया था लेकिन दीपावली के दो दिन पहले फिर उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के कुल्हाड़ीघाट वन परिक्षेत्र के आमामोरा ओड़ जंगल क्षेत्र में पहुंच गया है जिससे ग्रामीणों में भारी दहशत देखने को मिल रहा है।

टैकुलाइज कर हाथी को पहनाई जाती है काॅलर आईडी

हाथी विशेषज्ञ बताते है हाथियों के परफेक्ट लोकेशन जानने के लिए दल के एक या दो हाथियों के गले पर काॅलर आईडी लगाई जाती है। काॅलर आईडी लगाने के लिए हाथी के दल पर कई दिनो पहले से नजर रखना पड़ता है और बड़ी सावधानी से टैकुलाइज कर हाथी को बेहोश कर उसके गले में काॅलर आईडी लगाया जाता है। यह कार्य को करने में बड़ी सावधानी के साथ उच्च स्तरीय अनुमति प्राप्त करना पड़ता है जिसके कारण हाथियों को काॅलर आईडी लगाने में एक वर्ष का समय लग सकता है।

क्या कहते है वन विभाग के एसडीओ

इस संबंध में वन विभाग के एसडीओ राजेंद्र सोरी ने बताया कि हाथियों की संख्या बढ़ने और अलग अलग क्षेत्र में विचरण करने से नजर रखने में दिक्कत हो रही है इसलिए कालर आईडी लगाने का निर्णय लिया गया है। पहले हाथियों के सिकासार दल में कॉलर आईडी लगाए जाने की तैयारी है, जिससे इसके लोकेशन का पता वन विभाग को लगातार मिलता रहेगा। श्री सोरी ने बताया पिछले दिनों कर्नाटक से वाइल्ड लाईफ की टीम के सदस्य क्षेत्र के हाथी प्रभावित जंगलो में पहुंचकर हाथियों के आवागमन रास्तो का अध्यन किया है। जल्द ही काॅलर आईडी लगाने की दिशा में कार्य प्रारंभ होगा।