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December 23, 2024

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समय के साथ बदल गया चुनाव प्रचार का तरीका – चुनाव में अब नहीं दिखता भोंपू व बिल्ला, चबूतरा बन जाता था मंच

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  • शेख हसन खान, गरियाबंद 
  • पूर्व मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल, अजीत जोगी, संत कवि पवन दीवान, ओंकार शाह भी चुनाव प्रचार के लिए ट्रैक्टर का उपयोग करते थे और पैदल नदी पार कर कई किलोमीटर जाते थे

गरियाबंद। अब समय के साथ -साथ चुनाव प्रचार का तरीका पूरी तरह बदल गया है 70 -80 के दशक में भोंपू से प्रचार का जोर सुनाई देता था। कार्यकर्ता अपने हाथों से भोंपू बनाकर खुद चौक चौराहों हाट बाजारो व भीड़भाड़ वाले स्थानो पर चिल्ला चिल्लाकर वोट देने की अपील करते थे। कपड़ों में पार्टी का निशान बनाकर झंडा तैयार करने कार्यकर्ता रात -रातभर जागा करते थे। बिल्ले का खुब चलन हुआ करता था। कार्यकर्ता गर्व के साथ पार्टी के चुनाव चिन्ह का बिल्ला लगाकर घुमते थे।

  • चुनाव प्रचार के लिए अब डीजे और हाईटेक सोशल मीडिया के साथ लग्जरी वाहनों की काफिला नजर आती है

अब रिकाॅर्ड कर डीजे में चलाई जाती है हाथ में लिखा हुआ बैनर गायब हो गया है बड़े बड़े फ्लेक्स व झंडो ने इनका स्थान ले लिया है। एक आर्डर देने पर कुछ मिनटो में फोटो लगा सैकड़ो फ्लेक्स तैयार हो जाता है प्रचार के लिए प्रत्याशी लग्जरी वाहनो में पहुंचते हैं। एक नही अब जो प्रत्याशी ज्यादा लग्जरी वाहनो की काफिला में आता है उन्हे उतना ज्यादा पावरफुल माना जाता है।

  • चुनाव प्रचार का रंग देखकर अब सब हो जाते हैं दंग

वर्तमान में चुनाव का रंग देख बेशक सभी लोग दंग हो जाते हैं एलइडी डिस्प्ले, डीजे साउंड, आधुनिक मशीनें पर 60 का वो दशक जब सिर्फ चुनाव प्रचार का भोंपू ही एकमात्र माध्यम था जनसभा हो, रैली हो या नुक्कड़ सभा सभी में भोंपू इस्तेमाल होता था यहां तक आज की तरह आकर्षक मंच भी नहीं बनता था उस दौर में तो दरवाजे के सामने का चबूतरा ही नेताओं के लिए मंच बन जाता था, चुनाव में परिवेश बदलने के साथ ही साथ चुनावों में प्रचार की स्टाइल व विधि बदलती रही है उन दिनो भोंपू से बोलना आसान न था बुलंद आवाज वाले लोग भोंपू से अपनी या अपने उम्मीदवार का पक्ष रखते थे उस समय भोंपू में बोलने वाले लोग चुनिंदा होते थे और वे अपने नेताओं, दलों व जनता का दिल जीत लेते थे।

  • सोशल मीडिया अब चुनाव प्रचार का सशक्त माध्यम बना

अब लगभग हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल हो जाने से सोशल मिडिया वाट्अप, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि के माध्यम से लोगो तक सीधा संदेश पहुंचा दिया जाता है आधुनिक संसाधनो ने प्रचार को आसान बना दिया है लेकिन अब चुनाव खर्चीला हो गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री पंडित श्यामाचरण शुक्ल, अजीत जोगी,पवन दीवान, चंद्रशेखर साहू,ओंकार शाह जैसे दिग्गज नेता भी चुनाव प्रचार के लिए ट्रेक्टर का उपयोग करते थे।

क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक दुबे, हरचंद ध्रुव, तिलक राम ने बताया इस क्षेत्र से सांसद और विधायक का चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री पंडित श्यामाचरण शुक्ल, अजीत जोगी, संत कवि पवन दीवान, चंद्रशेखर साहू, ओंकार शाह जैसे दिग्गज नेताओं ने चुनाव जीतकर नेतृत्व किया है इन बड़े नेताओं को भी दुर्गम ग्रामो तक चुनाव प्रचार के लिए पहुंचने के लिए ट्रेक्टर और पैदल कई किलोमीटर तक चलना पड़ता था।