महंगाई भत्ता के लिए एक साथ हुंकार भरने की जरूरत
- और कितने चरणबद्ध आंदोलन होंगे ?
- नेतृत्वकर्ताओं में मतभेद व एकजुट नहीं होने के कारण छत्तीसगढ़ निम्न महंगाई भत्ता वाला राज्य है
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा कि प्रदेश में फेडरेशन व महासंघ 2 गुट में बंटा होना मंहगाई भत्ता की लड़ाई को कमजोर कर दिया है। छत्तीसगढ़ के कर्मचारी, अधिकारी को प्रत्येक माह 4 हजार से 14 हजार तक पूर्ण महंगाई भत्ता नही मिलने से नुकसान उठाना पड़ रहा है। महंगाई की मार कर्मचारियों को भी है। सभी कर्मचारी महंगाई भत्ता के लिए मिलकर संघर्ष करना चाहते है, जबकि कर्मचारियों के धड़ेबाजी का लाभ सरकार को मिल रहा है, छत्तीसगढ़ में महंगाई भत्ता केंद्र व अन्य राज्य की तुलना में निम्न दर पर मिल रहा है।
छत्तीसगढ़ में निम्न दर पर देय महंगाई भत्ता से कर्मचारी संघो में नाराजगी है और इसे जाहिर करने चरणबद्ध आंदोलन का खेल शुरू हुआ है। फेडरेशन व महासंघ दोनो ने एक एक दौर के आंदोलन महंगाई भत्ता के लिए कर लिए है। एक होकर साथ नही लड़ते है तो फिर सभी संघो को समर्थन या शामिल होने की अपील ही क्यो करते है ? आने वाले जुलाई में पुनः केंद्रीय महंगाई भत्ता में वृद्धि प्रस्तावित है, इसके बाद छत्तीसगढ़ में भी कुछ वृद्धि संभावित है। इसको ध्यान में रखते हुए पुनः चरणबद्ध आंदोलन की राग अलापने लगे है, लंबित पूर्ण महंगाई भत्ता के लिए सभी संघ मिलकर आरपार हड़ताल की घोषणा क्यों नहीं करते?
फेडरेशन और मोर्चा के द्वारा लंबित महंगाई भत्ता के लिए अपने अपने धड़े में चरणबद्ध आंदोलन किया जा चुका है, नेतृत्वकर्ताओं के फुट के कारण ही अभी छत्तीसगढ़ में केंद्र व अन्य राज्यो से कम महंगाई भत्ता मिल रहा है। फेडरेशन व महासंघ तथा प्रदेश के एल बी संवर्ग के शिक्षकों के विभिन्न संघ को साथ लेकर “निष्पक्ष मोर्चा” का गठन किया जावे, जिसमे कोई अध्यक्ष न हो बल्कि सभी संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदेश संयोजक/संचालक की समान भूमिका में नेतृत्व करें।
केवल 2 सूत्रीय मांग रखने की जरूरत
प्रदेश के कर्मचारी व शिक्षक संवर्ग का अलग अलग मांग है जिसे वे अपने अपने संघ के बैनर में संघर्ष करते रहते हैं। अनेक मांग न रखते हुए केवल लंबित मंहगाई भत्ता, केंद्र के समान हाउस रेंट की मांग को लेकर ही रणनीति बनाने की जरूरत है।