बदहाल शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल… अब कलेक्टर निलेश क्षीरसागर से स्कूल मरम्मत की गुहार लगाई आदिवासी बच्चों के पलकों ने
1 min read- रामकृष्ण धुर्व गरियाबंद
- जर्जर शाला भवन का प्लास्टर माहभर पहले भरभरा कर गिरा, बाल -बाल बचे दुर्घटना से आदिवासी बच्चे
- खबर प्रकाशन के बाद अफसरो ने किया निरीक्षण, एक सप्ताह मे मरम्मत का दिया था आश्वासन
शीत लहर ठंडी हवा कड़ाके की ठंड मे खुले आसमान के नीचे परीक्षा दिलाने आदिवासी बच्चे हो रहे है विवश
मैनपुर – गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मुख्यालय मैनपुर मे शिक्षा व्यवस्था की बदहाल स्थिति की पोल खुलकर रह गई है, शिक्षा विभाग के अधिकारियो के उदासीन रवैये के चलते आदिवासी नवनिहाल बच्चो को इस शीतलहर ठंडी हवा कड़ाके के ठंड मे सुबह 8 बजे खुले आसमान के नीचे परीक्षा दिलाने मजबूर होना पड़ रहा है ऐसा नही की इसकी जानकारी शिक्षा विभाग के स्थानीय अधिकारियो को न हो। स्थानीय अधिकारियो ने स्वयं शाला का निरीक्षण कर बच्चो को खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करते देख एक सप्ताह के भीतर जर्जर भवन को मरम्मत करवाने का आश्वासन दिया था लेकिन धीरे -धीरे पुरा दिसम्बर माह बित गया अब तक शाला भवन की मरम्मत तो बहुत दूर की बात मरम्मत के लिए संबंधित इंजीनियर द्वारा स्टीमेट भी तैयार कर शिक्षा विभाग को नही दिया गया है जिसके कारण छोटे -छोटे मासुम बच्चो को कड़ाके के ठंड और शीतलहर के बावजूद सुबह खुले आसमान के नीचे ठिठुरते परीक्षा दिलाने मजबूर होना पड़ रहा है। अब इस आदिवासी बालक आश्रम के पालको व मैनपुर नगर के वरिष्ठजनो ने गरियाबंद जिला के कलेक्टर निलेश क्षीरसागर से गुहार लगाई है कि तत्काल मैनपुर आदिवासी बालक आश्रम का निरीक्षण करवाकर शाला भवन का मरम्मत कार्य करवाई जाये और आदिवासी बच्चो को ठंड से बचने के लिए कमरा उपलब्ध कराया जाये।
ज्ञात हो कि 6 दिसम्बर 2021 को मैनपुर आदिवासी बालक आश्रम के शाला भवन मे बच्चे जब मध्यान भोजन के लिए कमरे से बाहर निकले थे इसी दौरान अचानक जर्जर हो चुके शाला भवन के छत का प्लास्टर भरभरा कर टूटकर गिरा तब बच्चे मध्यान भोजन कर रहे थे इसलिए एक बड़ी दुर्घटना टल गई इसका खबर प्रकाशन के बाद तत्काल दुसरे दिन ही जहां एक ओर आदिवासी परियोजना प्रशासक एवं सहायक आयुक्त गरियाबंद श्री सुखदेवे शाला भवन का निरीक्षण कर बच्चो को इस स्कूल के कमरो मे नही पढ़ाने का निर्देश दिया तथा तत्काल शाला भवन का मरम्मत करवाने का आश्वासन दिया था वही दुसरी ओर सर्व शिक्षा अभियान के विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयक एस के नागे, जनपद पंचायत मैनपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रूपकुमार ध्रुव, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी आर आर सिंग ने भी जर्जर शाला भवन का निरीक्षण कर एक सप्ताह के भीतर मरम्मत करवाने का आश्वासन दिया था। पिछले 6 दिसम्बर आश्रम शाला भवन के छत के प्लास्टर टूटकर गिरने के बाद से अब तक यहां पढ़ाई करने वाले सैकड़ो आदिवासी बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने और अपने सुनहरे भविष्य गढ़ने मजबूर हो रहे है।
आदिवासी विभाग का आश्रम और शिक्षा विभाग का स्कूल भवन होने के कारण नही हो पा रहा है मरम्मत
ज्ञात हो कि तहसील मुख्यालय मैनपुर मे सन् 1966 मे आदिवासी बालक आश्रम प्रारंभ हुआ जहां बच्चे निवास करते है लेकिन इसी परिषर मे जो स्कूल भवन जर्जर है और टूटकर गिरा है उस स्कूल भवन का निर्माण शिक्षा विभाग ने करवाया है अब जब स्कूल भवन जर्जर होकर टूटकर गिर गई तो विभागीय सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार आदिवासी विभाग द्वारा इस शाला भवन को शिक्षा विभाग का होना बताकर उसकी मरम्मत शिक्षा विभाग द्वारा करवाने की बात कही जा रही है तो वही शिक्षा विभाग द्वारा आदिवासी बालक आश्रम को आदिवासी विभाग परियोजना द्वारा बताकर इसका मरम्मत परियोजना से करवाने की बात कही जा रही है दोनो विभाग के बीच आपसी तालमेल नही होने का खामियाजा आदिवासी नवनिहाल बच्चो को उठाना पड़ रहा है और वे खुले आसमान के नीेच पढ़ाई करने विवश हो रहे है।
सर्व शिक्षा अभियान के अधिकारी ने कहा – इंजीनियर ने अब तक नही दिया स्टीमेट
आदिवासी सर्व शिक्षा अभियान के खण्ड स्त्रोत समन्वयक एस के नागे ने बताया कि स्कूल भवन बेहद जर्जर है इसकी जानकारी जिले के अधिकारियो को बैठक मे और बकायदा लिखित दिया हूं साथ ही यहां कमरे के भीतर कक्षा संचालन करना बहुत ही खतरा है। उन्होने कहा मैनपुर के जनपद पंचायत के इंजीनियर को स्कूल भवन मरम्मत के लिए स्टीमेट तैयार करने 15 दिन पहले कहा गया था अब तक इंजीनियर द्वारा स्टीमेट नही दिया गया है।
गरियाबंद के कलेक्टर निलेश क्षीरसागर से लगाई अब गुहार
आदिवासी बालक आश्रम के छात्रो के पालको व मैनपुर नगर के वरिष्ठजनो ने गरियाबंद जिला के कलेक्टर निलेश क्षीरसागर से मांग किया है कि तत्काल आदिवासी बालक आश्रम शाला भवन की मरम्मत करवाई जावे क्योकि इन दिनो बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण क्षेत्र मे ठंड बढ़ गया है और छोटे -छोटे आदिवासी बच्चे खुले आसमान के नीचे सुबह 8 बजे ठिठुरन के बीच परीक्षा दिलाने मजबूर हो रहे है।