उदंती की टीम को फिर उड़ीसा में मिली सफलता, शिकारियों की घिनौनी करतूत विफल
1 min read- चार पोटाश बम एवं दो भरमार बंदूक बरामद
- शेख हसन खान, गरियाबंद
गरियाबंद। गरियाबंद के उदंती सीतानदी टाइगर प्रोजेक्ट के अधिकारियों एवं एंटी पोचिंग टीम को एक बार फिर बड़ी सफलता मिली है। टीम के मुखबिरों की सूचना पर उड़ीसा के नौरंगपुर के एक गांव में शिकारी के घर छापेमारी की गई है बड़ी बात यह कि शिकारियों के शिकार का एक बेहद जिन्होंने तरीके का आज खुलासा हुआ पोटाश बम से वन्यजीवों के शिकार के प्रमाण आज छापे में मिले हैं। शिकारी के घर से चार आधे आधे किलो के पोटाश बम बरामद हुए हैं। यह बम ऐसे थे जिन्हें जंगलों में वन्यजीवों के चारे के स्थान पर रख दिया जाता था और वन्यजीव चारा समझ कर इसे जैसे ही खाए तो मुंह पर ही बम फट जाए और वन्य जीव की मौत हो जाए ।
इस शिकारी के घर से दो भरमार बंदूक और भालू के लिंग नाखून कछुए तथा अजगर की खाल साही के कांटे समेत कई वन्यजीवों के अंग तथा शिकार करने के सामान भारी मात्रा में मिले हैं कई तीर धनुष जाल ओर तार भी बरामद हुए हैं। इन सबके बीच लगातार कार्यवाही ओं से छत्तीसगढ़ उड़ीसा के शिकारियों के हौसले पस्त हैं शिकारी वन विभाग के डर से घर छोड़कर फरार हैं। यही कारण है कि आज जब अधिकारियों ने नौरंगपुर में छापा मारा तो एक शिकारी तो पकड़ा गया किंतु चार घर पर मिले ही नहीं बताया जा रहा है कि वन विभाग की दर से शिकारी खुद जंगल में मारे मारे फिर रहे हैं। वन विभाग के हौसले काफी बुलंद है और मुखबीरो की पूरी टीम को वन विभाग ने सक्रिय कर दिया है। खास बात यह है कि गरियाबंद के उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के मुंखवीरों और यहां की एंटी पोचिंग टीम इतनी अधिक सक्रिय हो गई है कि इन्हें उड़ीसा से लेकर महाराष्ट्र बॉर्डर तक के कई शिकारियों की जानकारी मिल रही है और अलग-अलग वन मंडल के साथ मिलकर हर दूसरे तीसरे दिन छापामार कार्यवाही करते हुए शिकारियों पर लगाम लगाने का प्रयास किया जा रहा है। लगातार वन विभाग को मिल रही सफलता से जहां वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी तो वही कड़ी कार्यवाही ओके चलते भविष्य में कोई वन्यजीवों के शिकार का प्रयास नहीं करेगा। इस संबंध में उदंती सीतानाडी टाइगर प्रोजेक्ट के उपसंचालक वरुण जैन ने बताया कि हमारी एंटी पूछूं टीम को लगातार जानकारियां मिल रही है जिस पर कार्यवाही जारी है। हमारा प्रयास है कि केवल उदंती में ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ और आसपास के जंगलों में शिकारियों का खात्मा हो सके वंयजीव जंगलों में स्वचंद विचार सकें। वन विभाग के राज्य स्तर के बड़े अधिकारियों से भरपूर सहयोग हमें मिल रहा है जिसके चलते लगातार कार्यवाहीयां करना संभव हो पा रहा है।