वाराणसी पीएमओ का घेराव कर मांगा एससी का दर्जा
1 min read
राष्ट्रीय निषाद संघ ने केंद्र को प्रस्ताव भेजकर स्वीकृति दिलाने की राज्य सरकार से किया मांग
लखनऊ,1 जुलाई2019।राष्ट्रीय निषाद संघ व माँ गंगा निषाद सेवा समिति वाराणसी ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 17 अतिपिछड़ी -निषाद, मछुआ,केवट,मांझी,धीवर,बिन्द,कहार,गोड़िया,मछुआ,तुरहा, राजभर,कुम्हार आदि 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के शासनादेश को राजनीतिक छलावा बताते हुए मांग किया है कि प्रदेश सरकार इस सम्बंध में विधिसम्मत संस्तुति/प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजकर स्वीकृति दिला राजपत्र जारी कराये।राष्ट्रीय निषाद संघ के सैकड़ों पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय सचिव चौ.लौटनराम निषाद, प्रदेश सचिव मुरारी कश्यप,जिलाध्यक्ष बनारसी निषाद प्रधान के नेतृत्व में अस्सी घाट से विशाल रैली निकालकर वाराणसी स्थित पीएमओ का घेराव कर मझवार,तुरैहा, गोंड़ को परिभाषित कर इनकी पर्यायवाची जातियों को आरक्षण देने,मछुआरा आयोग का गठन करने व फिशरमैन विजन डाक्यूमेंट्स के संकल्पों को पूरा करने की मांग किया।प्रधानमंत्री के वाराणसी स्थित पीएमओ के सामने सभा को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय सचिव चौ.लौटनराम निषाद ने कहा कि प्रदेश सरकार मा.उच्च न्यायालय के अंतरिम निर्णय के आधार पर सपा सरकार के शासनादेश को 24 जून को जारी कराया है।उक्त शासनादेश 15.30% वाली तथाकथित 17 अतिपिछड़ी जातियों को भ्रमित कर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने व राजनीतिक लाभ उठाने की साज़िश है।
निषाद ने कहा कि जबतक संसद की मुहर नहीं लगेगी,निषाद आदि 17 अतिपिछड़ी जातियों को संवैधानिक अधिकार नहीं मिल पायेगा।उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय के आदेश से मांझी,मल्लाह,केवट आदि को मझवार के नाम से लाभ मिल जाएगा,अन्य के लिए संसद में बिल पास करना पड़ेगा।उन्होंने कहा कि एक तरफ इनको प्रमाण मिल भी जाएगा तो उसकी वैधानिकता पर खतरा रहेगा,दूसरी तरफ ओबीसी आरक्षण से भी हाथ धोना पड़ेगा।निषाद ने कहा कि राज्य सरकार मझवार(मझवार,केवट,मांझी,बिन्द),तुरैहा(तुरहा,धीवर,धीमर,सिंघड़िया),गोंड(गोड़िया,गौड़,कहार, रैकवार,बाथम),पासी तड़माली(भर,राजभर) व शिल्पकार(कुम्हार,प्रजापति) के आधारित केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर स्वीकृति दिलाने की मांग की।राज्य सरकार की मंशा ठीक है,तो केंद्र से मान्यता दिलाये।मल्लाह,मांझी,केवट,राजगौड़,गोंड़ मझवार आदि सेन्सस-1961 के आधार पर मझवार की पर्यायवाची/वंशानुगत जातिनाम हैं।इस आधार पर इन्हें मझवार का प्रमाण पत्र जारी कराया जा सकता है। राज्य सरकार की मंशा 17 अतिपछड़ी जातियों को आरक्षण व सामाजिक न्याय दिलाने की नहीं,राजनीतिक लाभ उठाने की है।
उन्होंने कहा कि की राज्य व केंद्र में दोनों जगह भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है।उसकी नीति,नियत व मंशा ठीक है,तो शीघ्र केंद्र को प्रस्ताव भेजकर इसी संसद सत्र में स्वीकृति दिलाने का कदम उठाने में देर न करे।
मुरारी कश्यप ने फिशरमैन विजन डॉक्यूमेंट में 5 नवम्बर,2012 को लिए गए संकल्पों को केंद्र की भाजपा सरकार से मांग की,जात राष्ट्रीय मछुआरा आयोग गठित करने की मांग की।धरना सभा को कैलाशनाथ निषाद, तूफानी निषाद, बनारसी निषाद,शशिभूषण कश्यप,रमेशचंद्र निषाद,राजेश साहनी,दीपक मांझी,सोनू निषाद, रामकेश बिन्द, राजेश साहनी,तिलकधारी निषाद,जितेंद्र निषाद, सन्तोष कुमार नगर आदि ने सम्बोधित किया।