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October 18, 2024

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अँधेर नगरी चौपट राजा… जनपद पँचायत पिथौरा पँचायत fund में सेँध सरपंचों द्वारा, ceo अनभिज्ञ क्यों ? या सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का ? पँचायत fund में सेँध का ऐसा नया तरीका ?

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  • पिथौरा, महासमुँद, शिखादास

स्थानीय जनपद पंचायत के तहत ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने स्वयं को मिलने वाले प्रति बैठक भत्ता 500 की जगह 2000 रुपये और पंचों के लिए निर्धारित 100 रुपये प्रति बैठक भत्ता की जगह 200 रुपये निकाल कर एक बार फिर शासन द्वारा पंचायतो को दिए जाने वाले फण्ड पर सेंध लगाई है। इस बात की पुष्टि ग्राम सचिवों ने भी की है, वही स्थानीय जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने इस सम्बंध में किसी भी जानकारी से इनकार किया है।

अनियमितता एवम आर्थिक गड़बड़ी के लिए पूरे प्रदेश में जानी जाने वाली जनपद पंचायत पिथौरा में एक बार फिर नियम विरुद्ध राशि आहरण की जानकारी मिल रही है। बताया जा रहा है कि जनपद क्षेत्र की करीब सभी ग्राम पंचायतों से दीपावली के आसपास सरपंच एवम पंचों के लिए नियम विरुद्ध धनराशि आहरण कर ली गयी है।

इस आहरण के समय कुछ ग्राम सचिवों द्वारा आपत्ति लगाए जाने पर उन्हें अन्य पंचायतो में भी इसी तरह राशि आहरण करने की जानकारी देकर आहरण कर लिया गया।

विकासखण्ड के कुछ पंचायत के सचिवों ने बताया कि उनकी जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत की बैठक माह में एक बार ली जा सकती है।जिसके लिए वे अब तक सरपंच के लिए 500 रुपये एवम पंच के लिए 100 रुपये ही निकालते आये है।

परन्तु इस बार अचानक सरपंचों ने उन्हें बैठक भत्ता निकालने का निर्देश दिया ज़ब सचिव उक्त दर से भत्ता निकालने लगे तब सरपंचों ने उन्हें 2000 एवम पंचों के लिए 200 प्रति बैठक निकालने कहा।वह भी सात महीने का भत्ता एक साथ निकलवाने कहा गया।

इस सम्बंध में सचिवों के अनुसार उन्होंने ज़ब मुख्य कार्यपालन अधिकारी से मार्गदर्शन चाहा तो उन्होंने उन्हें मौखिक में ही अपने विवेक से निर्णय लेने कहा–_जिस पर सचिवों द्वारा सरपंचों के अनुसार निर्णय लेते हुए 7 माह का बैठक भत्ता 14000 सरपंच एवम 1400 रुपये पांचों हेतु निकलवा लिए गए।ज्ञात हो कि विगत वर्ष भी 14 वे वित्त मद से स्थानीय जनपद क्षेत्र के तहत पंचायतो द्वारा एक साथ सप्ताह भर के भीतर ही करोड़ो का आहरण कर लिया था।जिसकी जांच भी हुई थी परन्तु नतीजा सिफर ही रहा था।

प्रति बैठक 500 एवम 100 का नियम -डड़सेना

इस सम्बंध में इस प्रतिनिधि ने पंचायत मामलो के विशेषज्ञ पूर्व सेवानिवृत्त पंचायत एवम समाज शिक्षा अधिकारी एस के डड़सेना ने बताया कि नियमानुसार छ ग शासन के अनुसार पंचायतो में प्रति माह कम से कम एक बैठक एवम आवश्यक्ता अनुसार अधिक बैठक तक कि जा सकती है।इन बैठकों में सरपंचों को 500 एवम पंचों को 100 रुपये प्रति बैठक भत्ता निर्धारित किया गया है। इनमें जिस माह चार या अधिक बैठके होती है इनमे सरपंच को चार एवम पंचों को दो बैठक का भत्ता पात्रता होगी।परन्तु बैठक के तत्काल बाद बैठक की तारीख एवम उपस्थिति की जानकारी जनपद अधिकारी को देना अनिवार्य है।

पंचायत द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार ही सरपंच एवम पंचों का मानदेय शासन के निर्दशानुसार आबंटित किया जाता है।

ये मानदेय मात्र उन्हें ही प्राप्त होगा जो पंचायत की बैठक में उपस्थित रहेंगे।

अनुवस्थित पंच या सरपंच मानदेय के पात्र नही होंगे।पंचायत अधिनियम में एक यह नियम भी आश्चर्यजनक है कि जिस माह किसी कारणवश 2 से अधिक बैठके होंगी।उनमें सरपंच को तो 4 बैठकों का मानदेय दिया जा सकता है परन्तु पंचों को मात्र 2 बैठकों का मानदेय ही मिलेगा।यहां सवाल यह उठता है कि यदि सरपंच दो अतिरिक्त बैठके लेता है।तो पंचों के बिना वैठक कैसे होगी।

पिथौरा जनपद में अनियमितताओं का अंबार

  • पिथौरा जनपद पंचायत क्षेत्र में इसके पूर्व भी शौचालय निर्माण में भारी गड़बड़ी, प्रधानमंत्री आवास में अनियमितता,पंचायत चुनाव के ठीक पहले 14 वे वित्त मद की राशि का बगैर अनुमति पूर्ण आहरण सहित अनेक शिकायते हो चुकी है।परन्तु शिकायतों के बाद मात्र अफसर ही बदले गए कभी किसी ठोस कार्यवाही की खबर नही है।
  • मुझे जानकारी नहीं, सी ई ओ

दूसरी ओर स्थानीय जनपद पंचायत अधिकारी प्रदीप प्रधान ने बताया कि पंचायतो ने कितना आहरण किया है उन्हें इसकी जानकारी नही है।यदि शिकायत होगी तो जांच करवाई जाएगी।

हमेशा की तरह जाँच करवाने व जानकारी ना होने का वहीबेसुरा राग के अलावा CEOकर भी क्या सकते हैं?

ज्ञात हो कि जनपद अधिकारी पूरे जनपद क्षेत्र हेतु नियमो का पालन कराने शासन के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है परन्तु उन्हें ही राशि आहरण की जानकारी नही होना आश्चर्यजनक है ?? जबकि एक करारोपण अधिकारी ने बताया कि उन्होंने 14 हजार नहीं निकालने कहा था। इतना नही उतना कहा था अब हड़बड़ाहट मे बोल ग ये सच या झूठ ये तो करारोपण ही जाने : कई सरपंच व सचिव ने स्वीकार किया कि 14000/ निकाले हैं।

एक ने तो घबराहट में 7000 की बात कही

जो कि उक्त अधिकारी की कार्यशैली एवम नियंत्रण क्षमता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। क्या अब जिला प्रशासन बरसों से अँगद के पैर की तरह जमे जनपद के भ्रष्टाचार व भ्रष्ट अफसरों पर कायॆवाई करेगी ? सरकार बदल गयी। कई ELECTION हुए पर ना तो बरसों से जमे भ्रष्ट अफसरान का TRANSFER हुआ ना निलंबन ना बखॆस्तगी।

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