राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए भुतेश्वरनाथ हर्बल औषधी निर्माण केन्द्र केशोडार गरियाबंद वनमण्डल को सम्मानित किया गया
1 min read- नयूज रिपोर्टर, रामकृष्ण ध्रुव
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में प्रदेश के लघु वनोपज संग्राहकों को अधिकतम लाभ पहंुचाने के लिए संचालित की जा रही वन धन योजना और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वनोपजों की खरीदी, प्रसंस्करण और विपणन के कार्य में राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए छत्तीसगढ़ को 8 उपवर्गों में प्रथम पुरस्कार तथा नवाचार एवं नव उत्पाद के लिए भी छत्तीसगढ़ को 2 पुरस्कारों से नवाजा गया जिसमें भुतेश्वरनाथ हर्बल औषधी निर्माण केन्द्र केशोडार गरियाबंद वनधन केन्द्र गरियाबंद वनमण्डल को सबसे अधिक विक्रय की श्रेणी में प्रथम पुरूस्कार प्राप्त हुआ।
भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन संघ मर्यादित, भारत सरकार नई दिल्ली (ट्रायफेड) द्वारा विभिन्न राज्यों के प्रदर्शन के आधार पर इन पुरस्कारों की घोषणा की गई है। प्रदेश में लघु वनोपजों के संग्रहण का कार्य छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा किया जा रहा है। भारत सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्री श्री अर्जुन मुंडा एवं केन्द्रीय मंत्री श्रीमति रेणुका सिंह के द्वारा वर्चुअल रूप से छत्तीसगढ़ को ये पुरस्कार दिया गया । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस उपलब्धि के लिए वन मंत्री मोहम्मद अकबर सहित वन विभाग, छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के अधिकारियों-कर्मचारियों, लघु वनोपजों के संग्रहण और प्रसंस्करण के कार्य में लगे स्व सहायता समूहों, वन समितियों के पदाधिकारियों और सदस्यों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
गरियाबंद वनमण्डल अंतर्गत केशोडार मंे भुतेश्वर हर्बल औषधी निर्माण केन्द्र की स्थापना वर्ष 2004 में की गई थी उक्त समूह में कुल 12 सदस्य है,इस हर्बल औषधी निर्माण केन्द्र में हर्बल उत्पादों, जिनमें से अधिकांश का संग्रहण गरियाबंद जिले के वन क्षेत्रों से ही किया जा रहा है, जो उनसे संबंधित रोगों के इलाज में राम-बाण सिद्व हो रही है। उक्त औषधी केन्द्र में 12 समूह के सदस्यो के अतिरिक्त 43 महिलाओ को सालभर रोजगार दिया जा रहा है।
उक्त औषधी केन्द्र में 14 प्रकार के औषधीय उत्पादन तैयार किये जा रहे है, इन 14 वन औषधियों में विशेष उल्लेखनीय महाविषगर्भ तेल, भृंगराज तेल तथा सर्व ज्वरहर चूर्ण के अतिरिक्त प्रदरांतक चूर्ण, कृमिधन चूर्ण,नवायस चूर्ण, पुनर्नवा चूर्ण, आमलक्यादि चूर्ण, वैश्वानर चूर्ण, अश्वगंध चूर्ण, सतावरी चूर्ण, तुलसी चूर्ण, तथा कौंच चूर्ण का निर्माण किया जा रहा है। ये औषधियों संबंधित रोगो का स्थायी समाधान प्रदान करने के कारण, दिनो दिन पूरे देश में लोकप्रिय होती जा रही है। विशेष लोकप्रिय महाविषगर्भ तेल, जिसका उपयोग कमर एवं जोड़ो के दर्द शोध, तथा अन्य शारीरिक पीड़ा के शमन में होता है ।
इस तेल की लोकप्रियता का अंदाज इस बात से ही लगाया जा सकता है कि, पूर्व राष्ट्रपति माननीय श्रीमति प्रतिभा पाटिल के अतिरक्ति प्रदेश तथा देश के बड़े राज नेताओं द्वारा भी इसका उपयोग किया जाता है।
औषधी निर्माण केन्द्र में निर्मित सर्व ज्वर हर चूर्ण, जिसका शुभारंभ माननीय मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 05/06/2020 को किया गया था, करोना की रोकथाम हेतु शारीरिक प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने में कारगार आमद सिद्व हुआ है। ट्रायफेड दिल्ली द्वारा निरंतर महाविषगर्भ तेल, सर्वज्वर हर चूर्ण तथा भृंगराज तेल की इतनी मात्रा का आदेश औषधी निर्माण केन्द्र को दिया जा रहा है।
समूह के द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 में किए गए महत्वपूर्ण उपलब्धि
- उत्पादन लक्ष्य राशि रू. – 1,38,37,350 रू.
- निर्मित राशि रू. – 93,01,910 रू.
- विक्रित राशि रू. – 76,37,450 रू.
- लाभ राशि रू. – 14,80,313 रू.
गरियाबंद वनमण्डल कें शासन की महत्वाकांक्षी वनधन योजना के अंतर्गत न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लगभग 150 महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से इमली,नागरमोथा, हर्रा, बहेड़ा, शहद, सालबीज आदि लघु वनोपज का क्रय 10103 संग्राहको से कर उन्हें राशि रू. 4.50 करोड़ का भुगतान किया गया है । जिससे संग्राहकों के साथ-साथ महिला स्व सहायता समूहों को भी रोजगार प्राप्त हुआ है तथा आगे भी लघु वनोपज के संग्रहण, प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन का कार्य होने से ग्रामीणों एवं स्व-सहायता समूहों को वर्षभर रोजगार प्रदाय किया गया।
वर्ष 2021 -22 में अब पूरे वनमण्डल में कुल 26932 क्विंटल वनोपज संग्रहण किया गया है जिसके अंतर्गत 8533 संग्राहक लाभान्वित हुए है संग्राहको को राशि रू. 7,86,20,554/-का भुगतान किया गया है। गरियाबंद वनमण्डल अंतर्गत वर्ष 2021 में कुल 22011 क्विंटल सालबीज संग्रहण कर पूरे छत्तीसगढ़ स्थान में प्रथम रहा ।
वनधन योजना अंतर्गत जिले के मैनपुर में माहुलपत्ता प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना की गई है जिसमें महिला स्व सहायता समूहों के द्वारा दोना एवं पत्तल का निर्माण किया जा रहा है इसके अतिरिक्त देवभोग क्षेत्र में लाख का उत्पादन बहुतायत में होने के कारण लाख प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना एवं तैलीय बीज प्रसंस्करण कार्य हेतु वनधन केन्द्र की स्थापना छुरा में की जा रही है । वनधन केन्द्रों में लघु वनोपज का प्रसंकरण कर मूल्य संवर्धन किया जावेगा । जिससे ग्रामीणों को रोजगार के साथ-साथ उन्हें वनोपज का उचित मूल्य प्राप्त होगा। शासन की मंशानुरूप वनो पर निर्भर ग्रामीणों को अधिक से अधिक लाभ दिलाने हेतु वन विभाग दृढ़ संकल्प है।
वर्चुअल पुरूस्कार कार्यक्रम में वनमण्डलाधिकारी श्री मयंक अग्रवाल, उप वनमण्डलाधिकारी श्री मनोज चन्द्राकर, उप प्रबंध संचालक श्री आर.के.शोरी , श्री अतुल श्रीवास्तव एवं वनधन केन्द्र के समूह के समस्त सदस्य एवं कर्मचारी उपस्थित थे। वनमण्डलाधिकारी ने पुरूस्कृत समूह के सदस्यो को बधाई एवं शुभकामनाए दिए ।